पुष्पा गुप्ता
_इस जगत में जो भी लोग है, जो भी आत्माएं हैं, उनके मरते ही : साधारण व्यक्ति का जन्म तत्काल हो जाता है। उसके लिए गर्भ तत्काल उपलब्ध होता है। लेकिन असाधारण शुभ आत्मा के लिए तत्काल गर्भ अपलब्ध नहीं होता। उसे प्रतीक्षा करनी पड़ती है, उसके योग्य गर्भ के लिए।_
प्रतीक्षा करनी पड़ती है। बहुत बुरी आत्मा, बहुत ही पापी आत्मा के भी गर्भ तत्काल उपल्बध नहीं होता है। उसे भी बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ती है। साधारण आत्मा के लिए तत्काल गर्भ उपलब्ध हो जाता है।
साधारण आदमी इधर मरा और उधर जन्मा। इस जन्म और मृत्यु और नए जन्म के बीच में बड़ा फासला नहीं होता। कभी क्षणों का भी फासला होता है। कभी क्षणों का भी नहीं होता। चौबीस घंटे गर्भ उपलब्ध; तत्काल आत्मा गर्भ में प्रवेश कर जाती है। ,
_*श्रेष्ठ आत्मा नए गर्भ में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा में रहती है। इस तरह की आत्मा का नाम देवता है। निकृष्ट आत्माएं भी प्रतीक्षी में होती है। इस तरह की आत्मा का नाम प्रेत है।*_
_पापी की आत्मा इस बीच क्या करेगी? आत्मा इस बीच खाली नहीं बैठी रह सकती। भला आदमी तो कभी खाली भी बैठ जाए, बुरा आदमी बिलकुल खाली नहीं बैठ सकता। बुरी आत्मा कुछ न कुछ करने को कोशिश जारी रहेगी।_
*जब भी आप कोई बुरा काम करते है। तब तत्काल ऐसी आत्माओं को आपके द्वारा सहारा मिलता है, जो बुरा करना चाहती है। आप वैहिकल बन जाते है। आप साधन बन जाते है।*
जब भी आप कोई बुरा काम करते हो, तो ऐसी आत्मा अति प्रसन्न होती है। और आपको सहयोग देती है।
_प्रेत आत्मा को बुरा करना है, लेकिन उसके पास शरीर नहीं है। उस लिए कई बार आपको लगा होगा कि बुरा काम आपने कोई किया और पीछे आपको लगा होगा, बड़ी हैरानी की बात है, इतनी ताकत मुझमें कहां से आ गई कि मैं यह बुरा का कर पाया। यह अनेक लोगों का अनुभव है।_
*अच्छे इंसान से इसी तरह देवात्मा अटैच होती है।*
तो अच्छा आदमी भी अकेला नहीं इस पृथ्वी पर और बुरा आदमी भी अकेला नहीं है।
_बीच के आदमी अकेले होते है। सिर्फ बीच के आदमी अकेले होते है। जो न इतने अच्छे होते है कि अच्छों से सहयोग पा सकते सकें, न इतने बुरे होते है कि बुरों से सहयोग पा सकें। *सिर्फ साधारण, बीच का मीडियाकर, मिडिल क्लास—पैसे के हिसाब से नहीं, आत्मा के हिसाब से जो मध्यवर्गीय है, उनको, वे भर अकेले होते है।* वे लोनली होते है। उनको कोई सहारा-वहारा ज्यादा नहीं मिलता।_
कभी-कभी हो सकता है कि या तो वे बुराई में नीचे उतरें, तब उन्हें सहारा मिले; या भलाई में ऊपर उठे, तब उन्हें सहारा मिले। लेकिन इस जगत में अच्छे आदमी अकेले नहीं होते, बुरे आदमी अकेले नहीं होते।
जब महावीर जैसा आदमी पृथ्वी पर होता है या बुद्ध जैसा आदमी पृथ्वी पर होता है, तो चारों और से अच्छी आत्माएं इकट्ठी सक्रिय हो जाती है। इसलिए जो आपने कहानियां सुनी है; वे सिर्फ कहानियां नहीं है।
_यह बात सिर्फ कहानी नहीं है कि महावीर के आगे और पीछे देवता चलते है। यह बात कहानी नहीं है कि महावीर की सभा में देवता उपस्थित है। यह बात कहानी नहीं है कि जब बुद्ध गांव में प्रवेश करते है, तो देवता भी गांव में प्रवेश करते है। यह बात, यह बात माइथेलॉजी नहीं है, पुराण नहीं है।_
*अब तो वैज्ञानिक अधारों पर भी सिद्ध हो गया है कि शरीरहीन आत्माएं है। उनके चित्र भी, हजारों की तादात में लिए जा सके है। अब तो विज्ञानिक भी अपनी प्रयोगशाला में चकित और हैरान है। अब तो उनकी भी हिम्मत टूट गई है। यह कहने की कि भूत-प्रेत नहीं है।*
_कोई सोच सकता था कि कैलिफ़ोर्निया या इलेनाइस ऐसी युनिवर्सिटीयों में भूत-प्रेत का अध्ययन करने के लिए भी कोई डिपार्टमैंट होगा। पश्चिम के विश्वविद्यालय भी कोई डिपार्टमैंट खोलेंगे, जिसमें भूत-प्रेत का अध्ययन होगा। पचास साल पहले पश्चिम पूर्व पर हंसता था कि सूपरस्टीटस हो।_
*हालाकि पूर्व में अभी भी ऐसे नासमझ है, जो पचास साल पुरानी पश्चिम की बात अभी दोहराए चले जा रहे है।*
पचास साल में पश्चिम ने बहुत कुछ समझा है और पीछे लौट आया है। उसके कदम बहुत जगह से वापस लौटे है। उसे स्वीकार करना पड़ा है कि मनुष्य के मर जाने के बाद सब समाप्त नहीं हो जाता।
*स्वीकार कर लेना पडा है कि शरीर के बाहर कुछ शेष रह जाता है। जिसके चित्र भी लिए जा सकते है। स्वीकार करना पडा है कि अशरीरी आस्तित्व संभव है। असंभव नहीं है।*
यह छोटे-मोटे लोगों ने नहीं, ओली वर लाज जैसा नोबल प्राइज़ विनर गवाही देता है के प्रेत है।
_सी. डी. ब्रांड जैसा विज्ञानिक चकित गवाही देता है कि प्रेत है। जे. बी. राइन और मायर्स जेसे जिंदगी भर वैज्ञानिक ढंग से प्रयोग करने वाले लोग कहते है कि अब हमारी हिम्मत उतनी नहीं है पूर्व को गलत कहने की, जितनी पचास साल पहले हमारी हिम्मत होती थी।