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आगत चुनाव:भारत जोड़ो यात्रा के खिलाफ हिंदू एकजुटता

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सुसंस्कृति परिहार

देश इस वक्त बहुत गहरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है।भारत जोड़ो यात्रा को अभी विराम मिला ही था कि पी एम की सरपरस्ती में दुनिया के नंबर दो  रईस का जिस तरह पतन हुआ उसकी चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।टू जी मामले की याद कीजिए तब विपक्ष ने जिसमें संघ और भाजपा ने कितना बड़ा हंगामा किया था कि कांग्रेस पार्टी तब से अब तक उठ नहीं पाई।आज देश की पूरी जनता मंहगाई, बेरोजगारी और लूट से जितनी त्रस्त है उतनी ताकत से सरकार की खिलाफत दिखाई नहीं देती। जबकि कांग्रेस ने अपनी यात्रा के ज़रिए निडरता का साफ़ साफ़ संदेश दिया है।

इन परिस्थितियों में इस साल 9राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। समझा जा रहा है कि विपक्ष में कितनी एका हो पाती है इस पर सारा दारोमदार टिका है।तो वहीं ई वी एम के उपयोग से भी नाराज़गी तो है पर प्रतिकार का जुझारू संदेश नहीं। बहरहाल बात आजकल कांग्रेस और भाजपा के बीच संघर्ष की ही कहीं जा रही है।संघ द्वारा पोषित बी टीम आम आदमी पार्टी भी भाजपा की नाराज़गी का फायदा लेने विकट तौर पर काम करती नज़र आ रही है।। ऐसे में आमजन का क्या रुख होगा ये वक्त बताएगा लेकिन भाजपा सबसे बड़े शत्रु के रूप में कांग्रेस को ही देख रही है खासकर कांग्रेस में जान डालने वाली भारत जोड़ो यात्रा की सफलता को।

इसके बरक्स भाजपा ने जो काट निकाली है वह है हिंदू राष्ट्र की स्थापना।जो संघ का दिवा स्वप्न है चूंकि भाजपा बुरी तरह कश्मीर, चीनी अतिक्रमण,आर्थिक अवमूल्यन, बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी एवं अडानी फर्जी मामलों से घिरी हुई है इसलिए उसका ध्यान एक बार फिर ध्रुवीकरण की ओर जा रहा है।जगह जगह भागवत और राम कथाओं के पंडाल सजने लगे हैं।बाबाओं द्वारा राममंदिर निर्माण और धारा 370हटाने का ज्ञान कथाओं के जरिए कराया जा रहा है। बागेश्वर धाम का  युवा बाबा तो बुलडोजर खरीदकर चलाने की बात सरे आम कह चुका है। वह हिंदू राष्ट्र बनाने का आव्हान कर रहा है और तो उसके गुरु मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को पुनः मुख्यमंत्री बनाने का आशीर्वाद दे चुके हैं उनका कहना है उन्होंने इसके लिए अपना काम शुरू कर दिया है वे निश्चिंत रहें।

आपको याद होगा भोपाल सांसद साध्वी भी चाकू छुरी तेज रखने की बात कह रही हैं। हिंदू संत समागम में भी पूर्व में किस तरह भड़कानें वाली बातें की गई हैं जो किसी से छुपी नहीं हैं।बिल्किस बानो के अपराधी जेल से स्वाधीनता दिवस पर रिहा कर जिस तरह उनका अभिनंदन हुआ वह बताता है कि हम फिर 2002की तरफ़ तो नहीं जा रहे हैं। कश्मीर के हिंदू और मुस्लिमों ने जिस तरह भारत जोड़ो यात्रा में एकता का पैगाम दिया उससे भी भाजपा की चूलें हिली हुई हैं।इधर 2019 के दिल्ली जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम ,सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और 8 अन्य को बरी करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ थी और निश्चित रूप से उन्हें बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही। जामिया मिल्लिया इस्लामिया कांड में जिस तरह कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लताड़ा वह भी भाजपा पर भारी पड़ रहा है।विदित हो दिल्ली पुलिस केन्द्र की भाजपा सरकार के अधीन है।

इसीलिए नफ़रत हटाने और मोहब्बत की दूकान चलाने वाली यात्रा के खिलाफ हिंदू एकजुटता ही बचता है जिसकी तैयारी शुरू हो गई है।23 के चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है।अब ये देखना बाकी है कि भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ भारतवासी 2023 के चुनाव में किस विचारधारा को चुनते हैं।2023के राज्य चुनाव 2024 को ,समझा जा रहा है चुनाव तय करेंगे। हालांकि राज्य चुनाव में स्थानीय पार्टियां महत्व रखती हैं। यहां यदि कांग्रेस और समान विचारधारा की पार्टियां  एकजुट हो जाएं तो किसी भी हालत में भाजपा चुनाव नहीं जीत सकतीं क्योंकि सबसे अच्छे दौर में भाजपा केन्द्र में मात्र 31और 35%वोट हासिल कर पाई है अब उसके हालात बहुत बदतर हैं। वहीं राज्यों में यदि खरीद-फरोख्त या दल-बदल को हटा के देखा जाए तो उ प्र और बिहार को छोड़कर वह लगभग बराबरी की स्थिति के करीब थी। इसके अलावा संघ और भाजपा के सम्बन्ध शाह और मोदी को लेकर ठीक नहीं। नितिन गडकरी के बयान यही संकेत देते हैं।लगता है इस जोड़ी से संघ प्रमुख खफ़ा हैं। इसलिए बी टीम आम आदमी पार्टी  का सहारा ले रहे हैं।

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