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ज्योतिष-तंत्र : बारह राशियों के जातक का स्वरूप

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 ज्योतिषाचार्य पवन कुमार

    विश्वकी ज्योतिषीय गणनामें नवग्रहों और बारह राशियोंका उल्लेख है। सभी ग्रहोंके राजा सूर्य हैं। अन्य ग्रह हैं- चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु । बारह राशियाँ हैं – मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। जिस राशि में चन्द्रमा होता है, वही जातककी राशि होती है।

१- मेष राशि का जातक :*

मेषरा शि में चन्द्रमा के विद्यमान होने पर जातक के लिये कहा गया है :

लोलनेत्रः सदा रोगी धर्मार्थकृतनिश्चयः। पृथुजङ्घः कृतघ्नश्च निष्यापो राजपूजितः॥
कामिनीहृदयानन्दो दाता भीतो जलादपि।
चण्डकर्मा मृदुश्चान्ते मेषराशौ भवेन्नरः॥
(मानसागरी १।२६६-२६७)

अर्थात् जिस जातक का जन्म मेष राशि के चन्द्रमा में होता है, वह चंचल नेत्रों वाला, प्रायः रोगी, धर्म और धन दोनों का मूल्यांकन करने वाला, भारी जंघाओं वाला, कृतघ्न, पापरहित, राजा को मान्य, कामिनियों को आनन्दित करने वाला, दानी, जल से भयभीत रहने वाला और कठोर कार्य करने वाला परंतु अन्त में विनम्र होता है।

२- वृष राशि का जातक :
भोगी दाता शुचिर्दक्षो महासत्त्वो महाबलः।
धनी विलासी तेजस्वी सुमित्रश्च वृषे भवेत्॥
(मानसागरी १ । २६८)

अर्थात् वृष राशि स्थित चन्द्रमें जन्म लेने वाला जातक भोगी, दानी, पवित्र, कुशल, सत्त्व सम्पन्न, महान् बली, धनवान्, भोग-विलासरत, तेजस्वी और अच्छे मित्रों वाला होता है।

३- मिथुन राशि का जातक :
मिष्टवाक्यो लोलदृष्टिर्दयालुमैथुनप्रियः। गान्धर्ववित्कण्ठरोगी कीर्तिभागी धनी गुणी॥
गौरो दीर्घः पटुर्वक्ता मेधावी च दृढव्रतः।
समर्थो न्यायवादी च जायते मिथुने नरः॥
(मानसागरी १ । २६९-२७० )

अर्थात् मिथुन राशि में जन्म लेने वाला जातक मृदुभाषी, चंचलदृष्टि, दयालु, कामुक, संगीतप्रेमी, कण्ठरोगी, यशस्वी, धनी, गुणवान्, गौरवर्ण एवं लम्बे शरीर वाला, कार्यकुशल, वक्ता, बुद्धिमान्, दृढसंकल्प, सभी प्रकार से समर्थ और न्यायप्रिय होता है।

४- कर्कराशि का जातक :
कार्यकारी धनी शूरो धर्मिष्ठो गुरुवत्सलः।
शिरोरोगी महाबुद्धिः कृशाङ्गः कृत्यवित्तमः॥
प्रवासशीलः कोपान्धोऽबलो दुःखी सुमित्रकः।
अनासक्तो गृहे वक्र: कर्कराशौ भवेन्नरः॥
(मानसागरी १२७१-२७२)

अर्थात् चन्द्र के कर्क राशि में होने पर जातक जन्म लेता है, वह जातक कार्य करने वाला, धनवान्, शूर, धार्मिक, गुरु का प्रिय, सिर से रोगी, अतीव बुद्धिमान्, दुर्बल शरीर वाला, सभी कार्यों का ज्ञाता, प्रवासी, भयंकर क्रोधी, निर्बल, दुःखी, अच्छे मित्रों वाला, गृह में अरुचि रखने वाला तथा कुटिल होता है।

५- सिंह राशि का जातक :
क्षमायुक्तः क्रियाशक्तो मद्यमांसरतः सदा।
देशभ्रमणशीलश्च शीतभीतः सुमित्रकः॥
विनयी शीघ्रकोपी च जननीपितृवल्लभः।
व्यसनी प्रकटो लोके सिंहराशौ भवेन्नरः॥
(मानसागरी १।२७३-२७४)

अर्थात् सिंह राशि में चन्द्र के विद्यमान होने पर जातक क्षमाशील, कार्य में समर्थ, मद्य-मांस में सदैव आसक्त, देश में भ्रमण करने वाला, शीत से भयभीत, अच्छे मित्रों वाला, विनयशील, शीघ्र क्रुद्ध होने वाला, माता-पिता का प्रिय, व्यसनी (नशा आदि बुरे कार्यों में अभ्यस्त ) तथा संसार में प्रख्यात होता है।

६- कन्या राशि का जातक :
विलासी सुजनाह्लादी सुभगो धर्मपूरितः।
दाता दक्षः कविवृद्धो वेदमार्गपरायणः॥
सर्वलोकप्रियो नाट्यगान्धर्वव्यसने रतः।
प्रवासशीलः स्त्रीदुःखी कन्याजातो भवेन्नरः॥
(मानसागरी १ ।२७५-२७६)

कन्या राशि में उत्पन्न व्यक्ति विलासी, सज्जनों को आनन्दित करने वाला, सुन्दर, धर्म से परिपूर्ण, दानी, निपुण, कवि, वृद्ध, वैदिक मार्ग का अनुगामी, सभी लोगों का प्रिय, नाटक, नृत्य और गीत की धुन में आसक्त, प्रवासी एवं स्त्री से दुःखी होता है।

७- तुला राशि का जातक :
अस्थानरोषणो दुःखी मृदुभाषी कृपान्वितः।
चलाक्षश्चललक्ष्मीको गृहमध्येऽतिविक्रमः॥
वाणिज्यदक्षो देवानां पूजको मित्रवत्सलः।
प्रवासी सुहृदामिष्टस्तुलाजातो भवेन्नरः॥
(मानसागरी १। २७७-२७८)

तुला राशि में उत्पन्न व्यक्ति अकारण क्रोध करने वाला, दुःखी, मधुरभाषी, दयालु, चंचल नेत्रों एवं अस्थिर धन वाला, घर में ही पराक्रम दिखाने वाला, व्यापार में चतुर, देवताओं का पूजन करने वाला, मित्रों के प्रति दयालु, परदेशवासी तथा मित्रों का प्रियपात्र होता है।

८ – वृश्चिक राशि का जातक :
बालप्रवासी क्रूरात्मा शूरः पिङ्गललोचनः।
परदाररतो मानी निष्ठुरः स्वजने भवेत्॥
साहसप्राप्तलक्ष्मीको जनन्यामपि दुष्टधीः।
धूर्तश्चौरकलारम्भी वृश्चिके जायते नरः॥
(मानसागरी १। २७९-२८०
)
वृश्चिक राशि में उत्पन्न व्यक्ति बाल्यावस्था से ही परदेश में रहने वाला, क्रूर स्वभाव वाला, शूर, पीले नेत्रों वाला, पर-स्त्री में आसक्त, अभिमानी, अपने भाई-बन्धुओं के प्रति निर्दयी, अपने साहस से धन प्राप्त करने वाला, अपनी माता के प्रति भी दुष्टबुद्धि वाला, धूर्तता और चोरी की कला का अभ्यास करने वाला होता है।

९- धनु राशि का जातक :
शूरः सत्यधिया युक्तः सात्त्विको जननन्दनः।
शिल्पविज्ञानसम्पन्नो धनाढ्यो दिव्यभार्यकः॥
मानी चरित्रसम्पन्नो ललिताक्षरभाषकः।
तेजस्वी स्थूलदेहश्च धनुर्जातः कुलान्तकः॥
(मानसागरी १ । २८१-२८२)
यदि धनु राशिगत जन्म हो तो जातक शूर, सत्य बुद्धि से युक्त, सात्त्विक, मनुष्यों के हृदय को आनन्दित करने वाला, शिल्प (मूर्तिकला) – विज्ञान से सम्पन्न, धन से युक्त, सुन्दर स्त्री वाला, अभिमानी, चरित्रवान्, सुन्दर शब्दों को बोलने वाला, तेजस्वी, मोटे शरीर वाला तथा कुल का नाशक होता है।

१०- मकर राशि का जातक :
कुले नष्टो वशः स्त्रीणां पण्डितः परिवादकः।
गीतज्ञो ललिताग्राह्यो पुत्राढ्यो मातृवत्सलः॥
धनी त्यागी सुभृत्यश्च दयालुर्बहुबान्धवः।
परिचिन्तितसौख्यश्च मकरे जायते नरः॥
(मानसागरी १।२८५-२८६)

मकर राशि में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने कुल में नष्ट (सब से हीन अवस्था वाला), स्त्रियों के वशीभूत, विद्वान्, पर-निन्दक, संगीतज्ञ, सुन्दर स्त्रियों का प्रियपात्र, पुत्रों से युक्त, माता का प्रिय, धनी, त्यागी, अच्छे नौकर वाला, दयालु. बहुत भाइयों (परिवार) वाला तथा सुख के लिये अधिक चिन्तन करने वाला होता है।

११-कुम्भ राशि का जातक :
दातालसः कृतज्ञश्च गजवाजिधनेश्वरः।
शुभदृष्टिः सदा सौम्यो धनविद्याकृतोद्यमः॥
पुण्याढ्यः स्नेहकीर्तिश्च धनभोगी स्वशक्तितः।
शालूरकुक्षिर्निर्भीकः कुम्भे जातो भवेन्नरः॥
(मानसागरी १।२८३-२८४)

यदि कुम्भ राशि में जन्म हो तो मनुष्य दानी, आलसी, कृतज्ञ, हाथी, घोड़ा और धन का स्वामी, शुभ दृष्टि एवं सदैव कोमल स्वभाव वाला, धन और विद्या हेतु प्रयत्नशील, पुत्र से युक्त, स्नेहयुक्त, यशस्वी, अपनी शक्ति से धन का उपभोग करने वाला, मेढक की तरह उदर वाला तथा निर्भीक होता है।

१२- मीन राशि का जातक :
गम्भीरचेष्टितः शूरः पटुवाक्यो नरोत्तमः।
कोपनः कृपणो ज्ञानी गुणश्रेष्ठः कुलप्रियः॥
नित्यसेवी शीघ्रगामी गान्धर्वकुशलः शुभः।
मीनराशौ समुत्पन्नौ जायते बन्धुवत्सलः॥
(मानसागरी १ । २८७-२८८)

जिसका जन्म मीन राशि में होता है, वह गम्भीर चेष्टा करने वाला, शक्तिशाली, बोलने में चतुर, मनुष्यों में श्रेष्ठ, क्रोधी, कृपण, ज्ञान सम्पन्न, श्रेष्ठ गुणों से युक्त, कुल में प्रिय, नित्य सेवाभाव रखने वाला, शीघ्रगामी, नृत्य-गीतादि में कुशल, शुभ दर्शन वाला तथा भाई बन्धुओं का प्रेमी होता है।

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