मुनेश त्यागी
आजकल बाल विवाह की समस्या को लेकर आसाम काफी चर्चा में है। बाल विवाह की समस्या को लेकर आसाम में दो हजार से ज्यादा लोगों को जेल में बंद कर दिया गया है, इनमें अधिकांश मुसलमान हैं। असम सरकार ने बाल विवाह की समस्या को लेकर यह अभियान चलाया हुआ है जिसमें हजारों जीविका कमाने वाले लोगों को जेल में बंद कर दिया गया है, जिससे वहां पर हजारों लोगों की रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
असम सरकार का कहना है कि बाल विवाह करने वाले लोगों को जेल में भेजकर पूरे देश में एक संदेश जाएगा और इससे बाल विवाह कम हो जाएंगे। मगर जब बाल विवाह की समस्या पर पूरे देश के पैमाने पर नजर डालते हैं तो हम पाते हैं कि जनता को शिक्षा न देना और रोजगार उपलब्ध न कराना, यानी उनको अशिक्षित रखना और बेरोजगार रखना बाल विवाह की समस्या को जन्म देते हैं।
आमतौर से देखा जा गया है कि जो लोग अनपढ़ हैं, गरीब हैं, बेरोजगार हैं, वे शिक्षा की अहमियत नहीं समझते, बच्चों की असुरक्षा की भावना को लेकर वे अपने बच्चों का जल्दी से जल्दी विवाह कर देते हैं। कई बार देखा गया है की जहां पर स्कूल दूरी पर हैं वहां पर सुरक्षा की समस्याओं को लेकर मां-बाप परेशान रहते हैं और वे अल्पायु में ही अपने बच्चों की, अपनी बच्चियों की छोटी सी उम्र में ही शादी कर देते हैं।
आसाम में पिछले वर्षों में सरकार ने 1700 से ज्यादा सरकारी स्कूल बंद कर दिए हैं और उन्हें पड़ोस के दूसरे स्कूलों में संबद्ध कर दिया है जिस कारण बच्चों को काफी दूरी तय करनी पड़ती है इस दूरी की असुरक्षा की भावना ने भी बाल विवाह को पंख लगा दिए हैं। इसी के साथ साथ वहां पर लोगों के पास पर्याप्त काम के अवसर नहीं है जिस कारण आसाम में बच्चों की जल्दी शादियां कर दी जाती हैं ।आसाम में खाद्य समस्या भी एक भयंकर समस्या बनी हुई है जहां पर लोगों के पास पर्याप्त रूप से खाना उपलब्ध नहीं है, यह कारण भी बाल विवाह को प्रोत्साहन देता है। असम राज्य में 32% औरतें समय से पहले विवाहित हो जाती हैं जबकि देश के पैमाने पर यह संख्या 25% है। बाल विवाह के कारण गरीबी, अशिक्षा और पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं का न होना है।
भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार 1 करोड़ 2 लाख बच्चों में से जिनकी शादी 10 साल से पहले हो गई है उनमें से 84 फ़ीसदी हिंदू है और वे अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। जब हम देश के पैमाने पर देखते हैं तो बाल विवाह की समस्या केवल मुसलमानों से ही जुड़ी हुई नहीं है जम्मू और कश्मीर में 68 फ़ीसदी जनसंख्या मुस्लिम है लेकिन वहां पर 18 साल से पहले केवल 5% शादियां होती हैं। जबकि केरल में स्थिति दूसरी है। केरल में 27 प्रतिशत मुसलमान है वहां पर 75% ग्रामीण औरतों के पास 10 साल से ज्यादा पढ़ने का अनुभव है। वहां पर केवल 8% औरतें ही 18 साल से पहले विवाह करती हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि बाल विवाह केवल मुसलमानों में ही प्रचलित नहीं है बल्कि यह हिंदुओं में भी बड़ी मात्रा में प्रचलित है और इनका मुख्य कारण जनता का अशिक्षित होना, उसका बेरोजगार होना, गरीब होना और पिछड़ा होना है। अगर हमारे देश से में शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए तो बाल विवाह की समस्या से समय पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जेल भेजने से समस्या का हल नहीं होने वाला है।
बाल विवाह एक सामाजिक और आर्थिक समस्या है। यहां पर जनता को जागरूक करने की जरूरत है। उनके अंदर शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य का जन जागरण करने की जरूरत है, उन्हें रोजगार देने की जरूरत है, उन्हें शिक्षा देने की जरूरत है। उन्हें जागरूक, शिक्षित, बारोजगार और आत्मनिर्भर करने की जरूरत है। जब हमारे देश से अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ापन दूर हो जाएगा और लोग शिक्षा का महत्व समझ जाएंगे तो वे अपने आप ही बाल विवाह नहीं करेंगे।
हमें अपने बचपन की परिवार नियोजन की वह मुहिम याद है जिसमें परिवार नियंत्रण करने पर जोर दिया गया था। उस देशव्यापी मुहिम के बाद, बहुत सारे लोगों ने दो-दो बच्चे पैदा करने का मन बना लिया था और बाद में शिक्षित और जागरूक, नौजवान, शिक्षित युवक युवतियों ने अपने जीवन में एक एक बच्चा पैदा करने का मन बना लिया था। इस प्रकार जनता के अंदर जागरूकता फैलाकर ही बाल विवाह की समस्या पर जीत हासिल की जा सकती है, निर्दोष, अशिक्षित, कम जागरूक, जीविका कमाने वालों को जेल भेजकर नहीं।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण केरल है जहां पर अधिकांश जनसंख्या पढ़ी लिखी है, रोजगार युक्त है, वहां स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी हैं, इसीलिए वहां पूरे देश में बाल विवाह की संख्या सबसे कम है। बाल विवाह रोकने के लिए लोगों को पर्याप्त रूप से शिक्षित, रोजगार, पिछड़ेपन और स्वास्थ्य की चिंताओं से मुक्त करना होगा, तभी जाकर बाल विवाह की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है। लोगों की वाहवाही लूटने के लिए, लोगों को हिंदू मुसलमान बताकर, अनावश्यक रूप से जेल भेजकर, इस समस्या पर कभी भी जीत नहीं पाई जा सकती।