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पर धर्मेन्द्र राठौड़ तो पुष्कर विकास की सरकारी बैठकों में नसीम अख्तर को बुलाते ही नहीं है

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एस पी मित्तल,अजमेर

पुष्कर की विधायक रही नसीम अख्तर को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य मनोनीत किया गया है। इससे पहले श्रीमती अख्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष बनी हुई है। अख्तर ने राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा में कश्मीर तक दौड़ लगाई है। मुख्यमंत्री के आवास पर जब कभी लंच डिनर होता है तो अख्तर को भी खासतौर से बुलाया जाता है। यानी कांग्रेस नेता के तौर पर अख्तर की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ पुष्कर के विकास की सरकारी बैठकों में अख्तर को नहीं बुलाते हैं। राठौड़ विधानसभा का चुनाव पुष्कर से लड़ने के लिए लालायित है। इसलिए राठौड़ ने पुष्कर विकास का ठेका ले लिया है। राठौड़ पुष्कर को उज्जैन और बनारस से भी ज्यादा विकसित करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए अजमेर से लेकर जयपुर तक में उच्च स्तरीय बैठक हो रही हैं। पुष्कर की पूर्व विधायक होने के नाते सरकारी बैठकों में नसीम अख्तर की उपस्थिति भी होनी चाहिए। लेकिन धर्मेन्द्र राठौड़ के इशारे पर कोई भी अधिकारी नसीम को सरकारी बैठकों में आमंत्रित नहीं करता। जो बैठक पुष्कर और अजमेर में होती हैं उनमें भी नसीम को नहीं बुलाया जाता। धर्मेन्द्र राठौड़ इस बार पुष्कर में चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय होली महोत्सव भी 4 से 7 मार्च के बीच आयोजित कर रहे हैं। इसमें सुप्रसिद्ध भजन गायक हरिहरन, अनुराधा पोड़वाल जैसे कलाकार भाग ले रहे हैं। पुष्कर में भी होने वाले होली महोत्सव से भी नसीम को दूर रखा गया है। जबकि धार्मिक समारोहों में नसीम अख्तर बढ़चढ़ कर भाग लेती रही हैं। धर्मेन्द्र राठौड़ ने पुष्कर में जो रवैया अपना रखा है उसकी शिकायत नसीम की ओर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी की गई है। लेकिन राठौड़ को सीएम अशोक गहलोत का संरक्षण है, इसलिए नसीम की संगठन स्तर पर ही कोई सुनवाई नहीं हो रही। नसीम के पति हाजी इंसाफ अली भी सक्रिय राजनीति में है। लेकिन उन्होंने भी फिलहाल चुप्पी साध रखी है, इंसाफ अली कभी राठौड़ के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी है। मुस्लिम मतदाताओं पर इंसाफ दंपत्ति का खास प्रभाव है। यदि नसीम की जगह धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जाता है तो इंसाफ अली कुछ भी कर सकते हैं।  धर्मेन्द्र राठौड़ को चुनाव जीतने के लिए पहली जंग अपनों से ही लड़नी होगी। धर्मेन्द्र राठौड़ भी राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी है। सीएम गहलोत के समर्थन में गत 25 सितंबर को कांग्रेस के विधायकों की बगावत करवाने में राठौड़ की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। राठौड़ के समर्थकों का कहना है कि इंसाफ दंपत्ति को एआईसीसी के प्रतिनिधि का झुनझुना पकड़ा दिया है। राठौड़ के पास तो राज्यमंत्री का दर्जा है। विधानसभा चुनाव में भी वही होगा जो अशोक गहलोत चाहेंगे। पुष्कर में गहलोत की पहली प्राथमिकता धर्मेंद्र राठौड़ की ही होगी। 

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