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हिंडनबर्ग या अडानी : कौन दिखा फ्रॉड ?

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 डॉ. ज्योति

     _हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को आए एक महीने होने वाला है और अडानी के तीन स्टॉक हिंडनबर्ग के अनुमान ‘85% डाउनसाइड’ के आसपास पूहंच गए हैं। तो गलत कौन निकला हिंडनबर्ग या अडानी ?_

       भारत मे मोदी सरकार ने निजीकरण की आड़ में सारे बड़े ठेके और सरकारी सम्पत्ति अडानी के हवाले कर दिए ! यही असली वजह थी आठ सालों में अडानी 609 वे नम्बर से दुनिया के दूसरे नम्बर के पूंजीपति बनने की!

     बस इसे हिंडनबर्ग ने समझ लिया और पूरा कैलकुलेशन कर के उसने अपनी रिपोर्ट पब्लिश कर दी और नतीजा आपके सामने है महीने भर में ही उसकी आधी दौलत साफ़ हो गई है। 

      अडानी को सन 2000 में गुजरात की बीजेपी सरकार ने कौड़ियों के भाव में हजारों एकड़ जमीन बेच दी थी, उसी जमीन पर उसका मुंद्रा पोर्ट खड़ा हुआ है। अडानी  पर मोदी लगातर मेहरबान रहे।

    2013 में, गुजरात में अडानी को 44 परियोजनाएँ प्रदान की गईं।

    2014 में जब मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो अडानी की तरक्की में पंख लग गए। पश्चिमी तट हो या पूर्वी तट एक के बाद एक बंदरगाह अदानी के कब्जे में जाने लगे। 

मोदी जी ने बने बनाए एयरपोर्ट अडानी को सौप दिए गए 2014 के बाद भारत में अब तक कुल आठ एयरपोर्ट को परिचालन के लिए निजी हाथों में दिये इनमें से सात एयरपोर्ट के प्रबंधन और परिचालन का अधिकार अकेले गौतम अडानी की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड पास आ गया, नीति आयोग ने कहा कि इस तरह से सारे एयरपोर्ट एक कंपनी को नही देने चहिए लेकिन कौन सुनता है ?

       2018 मे मोदी सरकार ने ‘सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन’ परियोजना को शुरू किया था जैसे ही यह परियोजना शुरू की गई, अडानी ग्रुप की एक कंपनी अडानी गैस की मार्केट वैल्यू 4 दिन के भीतर ही 3 हजार करोड़ रुपए बढ़ गई  क्योकि अडानी गैस को मोदी सरकार की सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट में बड़ा ऑर्डर दिया गया।

       इस परियोजना के शुरू होते ही पेट्रोलियम एंड नैचुरल गैस रेग्युलेटरी बोर्ड (पीएनजीआरबी) से अडानी को 13 नए एरिया में सिटी गैस के विस्तार करने का ठेका दे दिया। 

2019 में अडानी सड़क निर्माण के क्षेत्र में उतरने का फैसला लिया और उसके बाद अडानी को देश के हाइवे निर्माण ठेके सौप दिए गए। 

       यूपी की बीजेपी सरकार ने गंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण भी अडानी को सौप दिया यह देश की किसी निजी कंपनी को दी गई अब तक की सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजना है।

      अडानी ग्रुप के मोदी ने हाइवे निर्माण के कुल 13 प्रोजेक्ट दिलवाए जिनके तहत पांच हजार किमी से ज्यादा की सड़कों का निर्माण किया जाना है। 

बिजली के क्षेत्र में भी अडानी की बादशाहत कायम करवाई गई अडानी की कम्पनी ATL मोदी राज में ही देश की सबसे बड़ी निजी ट्रांसमिशन कंपनी बन गयी है।

      एक समय अडानी पावर प्रोजेक्ट दिवालिएपन के कगार पर था – लेकिन गुजरात में बीजेपी सरकार ने इसे बचा लिया। यहां तक ​​कि केंद्र सरकार भी एक ऐसे निर्णय में सहभागी थी, जिसके परिणामस्वरूप गुजरात में उपभोक्ताओं को बिजली की अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।

    दिसंबर 2018 में, गुजरात सरकार ने, 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद, अडानी थर्मल पावर प्रोजेक्ट को बिजली के लिए अधिक कीमत वसूलने की अनुमति देने का आदेश पारित किया।

ग्रीन एनर्जी जो आने वाले दिनों में सबसे महत्वपूर्ण होने जा रही है उसके ठेके भी अडानी को दिए गए। 

     अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के जरिए बड़े बड़े साइलो बनाने के ठेका बांटे गए। 

       कॉपर बिजनेस में भी अडानी ग्रुप की एंट्री हो इसलिए SBI समेत दूसरे बैंकों से लिए 6071 करोड़ रुपये का लोन दिलवाया गया।

       डिफेंस सेक्टर में अडानी को प्रवेश दिलवाया गया यहां तक कि ड्रोन बनाने वाली कंपनी अडानी से खुलवाई गई ताकि एग्रीकल्चर के सर्वे में काम आने वाले ड्रोन उसी से खरीदे कर जाए 

और भी बहुत कुछ है कितना बताए !

           _साफ़ दिख रहा था कि प्रधान मंत्री मोदी किस तरह से शुरू से अडानी के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं बस इसी बात को ध्यान में रखकर अडानी ग्रुप की गलत प्रैक्टिस के बारे हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी और दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।_

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