एस पी मित्तल,अजमेर
राजस्थान में कांग्रेस शासन के सवा चार साल गुजर जाने के बाद भी अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) के अध्यक्ष पद को लेकर अभी भी कांग्रेस नेताओं को इंतजार है। अध्यक्ष की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए होती हैं, लेकिन अब जब सरकार के आठ माह शेष रह गए हैं, तब अध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं होने से कांग्रेस के नेता नाराज है। एडीए के अध्यक्ष का पद राज्य मंत्री स्तर का है। सरकार के गठन के बाद से ही कई दिग्गज नेता अध्यक्ष बनने के लिए भाग दौड़ कर रहे थे, अब अनेक नेता जयपुर तक दौड़ लगाते लगाते थक गए हैं। कार्यकर्ता और नेता इस बात को लेकर निराश है कि जो हक मिलना चाहिए वह भी नहीं मिला है। अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से प्राधिकरण में आम जनता के कामकाज भी नहीं हुए हैं। सरकार की मंशा थी कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में एडीए के माध्यम से जरुरत मंद व्यक्तियों को भूमि के पट्टे दिए जाए, लेकिन अध्यक्ष पद पर राजनीतिक नियुक्ति नहीं होने से जरूरतमंद व्यक्तियों को पट्टे भी नहीं मिल सके हैं। अफसरों ने अपने नजरिए से कुछ लोगों को पट्टे दिए हैं। लेकिन आज भी हजारों पात्र व्यक्ति पट्टों का इंतजार कर रहे हैं। अजमेर में कांग्रेस संगठन का भी बुरा हाल है। पिछले दो वर्ष से देहात और शहर कांग्रेस कमेटी भंग पड़ी है। शहर में तो निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन थोड़ा बहुत काम कर रहे हैं, लेकिन देहात कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह राठौड़ अपनी बीमारी के चलते सक्रिय नहीं है। अजमेर में कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी खींचतान की वजह से भी संगठन मजबूत नहीं हो पा रहा है। अजमेर में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का दबदबा रहा है। लेकिन राजनीतिक खींचतान के बाद पायलट के समर्थकों को पर्याप्त महत्व नहीं मिल रहा है। बदली हुई परिस्थितियों में पूर्व मंत्री और केकड़ी के विधायक रघु शर्मा भी चाहते हैं कि एडीए के अध्यक्ष पद पर किसी कांग्रेसी की नियुक्ति हो जाए। इसके लिए रघु ने सचिन पायलट से भी संवाद किया है। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अभी भी अपनी सहमति नहीं दे रहे हैं। हालांकि अंतिम निर्णय सीएम अशोक गहलोत को लेना है। लेकिन सीएम गहलोत इतने व्यस्त है कि संगठन के मामलों में कोई निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। रघु शर्मा का प्रयास है कि जल्द से जल्द एडीए के अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाए। जो लोग इंतजार में बैठे हैं, उनका भी कहना है कि सरकार किसी को भी अध्यक्ष बना दे, लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत के आठ माह के कार्यकाल में एडीए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाएगी। सूत्रों की मानें तो सीएम गहलोत को पद के दुरुपयोग होने की आशंका है। सीएम नहीं चाहते कि सरकार के अंतिम कार्यकाल में कोई हंगामा हो। यदि एडीए में नियमों के विपरीत कार्य होते हैं तो इसकी जवाबदेही सरकार की होगी। वैसे भी यदि किसी एक नेता को अध्यक्ष बना दिया तो अन्य नेता नाराज हो जाएंगे। संगठन के अध्यक्ष भी नहीं होने से अजमेर शहर और देहात में कार्यकर्ता एक जाजम पर नहीं आ रहे हैं। पिछले दिनों जो धरना प्रदर्शन हुए उसमें अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी की सक्रिय भूमिका देखने को मिली। सूत्रों के अनुसार अजमेर में कांग्रेस संगठन की स्थिति को देखते हुए ही प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने रामचंद्र चौधरी को निर्देश ताकि प्रदर्शन में थोड़ी बहुत भीड़ नजर आए। चौधरी भी देहात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदार है। यदि डोटासरा की राय को प्राथमिकता दी गई तो चौधरी ही देहात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनेगे।