*छत्तीसगढ़ में आपातकाल की स्थिति, पूरे प्रदेश में रासुका लगाना, पत्रकार को जेल भेजना, पुलिस से धमकाना भी मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी*
*भूपेश के राज में डेमोक्रेसी नहीं हिटलरशाही है*
*अधिवेशन में भूपेश के भ्रष्टाचार पर भी हो मंथन*
*विजया पाठक,
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा के साथ कुछ दिन पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर जो हुआ वो भारत के लोकतंत्र में झटका सा था। पहली बार विपक्षी दल के किसी मुख्य प्रवक्ता को आनन फानन में असम पुलिस द्वारा एयरपोर्ट पर कार्यवाही की गई। वैसे जैसा पवन खेड़ा के साथ जो आज सुलूक हुआ है, वैसा व्यवहार छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के लिए आम बात है। पवन खेडा़ के साथ हुए व्यवहार को लेकर कांग्रेस भले ही हल्ला मचा रही हो लेकिन उन्हें छत्तीसगढ़ में तो यह आम बात है। वहां तो आये दिन गैर कानूनी कार्यवाहियां हो रही हैं। कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की तरफ ध्यान देना चाहिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो प्रदेश में लोकतंत्र का मजाक बनाकर रख दिया है। इसका एक उदाहरण तो मैं ही हूं जब मेरे भोपाल आवास में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने पुलिस भेजकर मुझे डराना चाहा था। छत्तीसगढ़ सरकार की ज्यादतियां उन सभी के लिए बड़ी आम सी बात है, जो छत्तीसगढ़ के भय-भ्रष्टाचार-दमन के खिलाफ लिखते या आवाज उठाते हैं। चाहे रायपुर के पत्रकार सुनील नामदेव या बस्तर के पत्रकार सिर्फ एक उदाहरण भर हैं, जिसने ने भूपेश बघेल और इनके भ्रष्ट चांडाल चौकड़ी के खिलाफ आवाज उठाई, उस पर अवैधानिक पुलिसिया कार्यवाही की गई।
जब इससे भी बात नहीं बनी तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरे प्रदेश में ही *रासुका यानी घोषित आपातकाल* लगा दिया। मैं कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के की बात से पूरा इत्तेफाक रखती हूं कि आज के समय लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है, पर इसमें दायित्व कांग्रेस पार्टी का भी है, क्योंकि लोकतंत्र को सबसे ज्यादा असुरक्षित करने का काम आपके छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया है। छत्तीसगढ़ में सरकार नहीं सिंडीकेट का राज है। भले ही सिंडिकेट के कुछ लोग अभी जेल में हैं पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री दागियों और भ्रष्टाचार से ओत-प्रोत अधिकारियों को अपनी कोटरी में रखा है। जिस अडानी को कांग्रेस पानी पी-पीकर कोसते हैं उसके लिए हसदेव के जंगल साफ करवाने का काम भूपेश बघेल ने ही दिए थे। राहुल गांधी के अनुसार आदिवासी ही क्षेत्र का मूल नागरिक हैं। ऐसे में जिस प्रदेश की कुल आबादी में 35% आबादी आदिवासियों की हो वहां, अपनी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की स्थिति आपने खराब कर रखी है। आज छत्तीसगढ़ की साख दांव पर लग चुकी है। हर 08-10 दिनों में कोई बड़ी गिरफ्तारी के साथ मनी ट्रेल पकड़ा जाता है। कुल मिलाकर सारी बातों का लब्बोलुबाब यह है कि जिस इंसान ने घर में आग लगाई हो वो क्या दुनिया को रोशन करेगा।
*कहीं भूपेश बघेल पर भारी न पड़ जाये सौम्या चौरसिया?*
सौम्या चौरसिया के जेल जाते ही छत्तीसगढ़ की फिजा एकदम बदल गई। मुख्यमंत्री की खासमखास सौम्या और उसकी टीम के सूर्यकांत और पार्टी तो जेल में हैं ही उनके बाद अब आईपीएस अफसर, राजनेता अब ईडी के हत्थे चढ़ने वाले हैं। हालात यह है कि सौम्या के पति सौम्या को बाहर लाने की रोज भूपेश से गुहार लगाते हैं। कुछ नही हो पा रहा है। समीर विश्नोई ईडी की कार्यवाही से अभी जेल में है। समीर विश्नोई की पत्नि अपने पति को छुडवाने के लिए प्रतिदिन भूपेश बघेल से मिलने जाती है। लेकिन बताया जाता है कि बघेल ने अब उनसे मिलना ही बंद कर दिया है। भूपेश बघेल अब तो यह भी कहने लगे हैं कि मैंने थोड़ी कहा था कि भ्रष्टाचार करो। लेकिन सब जानते हैं कि समीर जैसे भ्रष्टाचारियों को शह किसने दी थी। सौम्या ने भी अंदर से धमकी दे दी है कि में बाहर नहीं आयी तो सबको अंदर पहुंचाउगी। ईडी के पास भूपेश बघेल के खास विनोद वर्मा की *युगबोध* वाली मनी ट्रेल की जानकारी पहुंच गई है। ऐसे में अभी काफी लोगों का अंदर जाना पक्का है। इसके साथ-साथ ऊपर के *दिग्गज के 52 करोड़ की ट्रेल की जैकपॉट भाजपा के पास ईडी के माध्यम* से लग गई है। मैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की सफल होने की आशा करती हूं ताकि इन तीन दिनों के चिंतन मनन के बाद कम से कम अपने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के भय-भ्रष्टाचार-दमन का राज नजर आए और कम से कम *छत्तीसगढ़ में मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी बंद हो*।
*क्या छत्तीसगढ़ में बनेगा आदिवासी मुख्यमंत्री?*
आज से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन चालू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के आदिवासी कार्ड के जवाब में कांग्रेस कुछ व्यापक फेरबदल कर सकती है, इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री का तिलकोत्सव से प्रारंभ किया जा सकता है। वैसे भी देश में भूपेश बघेल के नाम पर तानाशाह का टैग लग गया है, जो हालत निर्मित हो रहे है। कभी वो खुद ही ना अंदर चले जाए इस कारण छत्तीसगढ़ में कांग्रेस आलाकमान कैसी आदिवासी को मुख्यमंत्री बना सकती है, जिसमें मोहन मरकाम का नाम काफी आगे चल रहा है।