रांची: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रांची में हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) की बुनियाद रखी। साल 1963 में एचईसी को राष्ट्र को समर्पित करते हुए पं.नेहरू ने इसे ‘आधुनिक भारत का मंदिर’ बताया। ‘मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री’ के रूप में एचईसी की स्थापना के साथ विकास के कई सपने देखे गए। जिस कंपनी की शुरुआत से 22 हजार लोगों को रोजगार मिला था, वहां अब कुछ हजार कामगार ही बचे हैं। उन्हें भी 12-13 महीने से वेतन नहीं मिल पा रहा है। एचईसी की स्थापना के लिए रांची के आसपास के 91 गांवों के हजारों लोगों ने अपनी जमीन दी। जमीन देने परिवारों को मुआवजा और नौकरी भी मिला, लेकिन एचईसी का हाल देख कर सभी दुःखी है।
एचईसी की स्थापना के लिए अपनी जमीन देने वाले ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के वंशज लाल प्रवीर नाथ शाहदेव का मानना है कि प्रारंभ में ही कुछ बड़ी भूल हो गई। उनका कहना है कि किसी भी कंपनी को चलाने के लिए उसके जीवन-चक्र को विकसित करना जरूरी होता है। पंडित नेहरू ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए एचईसी की स्थापना की। उन्होंने अपनी कार्य योजना को धरातल पर उतारने के लिए नागराज राव को एचईसी का अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) बनाया। एचईसी के संस्थापक सीएमडी के रूप में नागराज राव ने ‘मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री’ के रूप में निर्धारित समय-सीमा के अंदर ना सिर्फ प्लांट की स्थापना करने में सफलता हासिल की। बल्कि आधुनिक टाउनशिप का भी निर्माण कराया। सारी तैयारियां पूरी हो जाने के बाद संस्थापक सीएमडी दिल्ली में पंडित नेहरू से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि 6 बड़ी परियोजनाएं उद्घाटन के लिए तैयार है, वे इसे राष्ट्र को समर्पित करें। एचईसी के सीएमडी के आग्रह पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 15 नवंबर को 1963 को रांची पहुंचे।
छठी परियोजना का ऑटोमेटिक उदघाटन की बात सुनकर पं. नेहरू सीएमडी पर भड़के
तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू एचईसी की छह परियोजनाओं के लिए उद्घाटन के लिए समारोह स्थल पर पहुंचे। उन्होंने तीन प्लांट एफएफपी, एचएमबीपी और एचएमटीपी के साथ टाउनशिप और डैम का उदघाटन किया। जानकार बताते है कि उदघाटन समारोह संपन्न हो गया, तो प. नेहरू ने संस्थापक सीएमडी से पूछा कि उन्होंने तो छह परियोजनाओं के उदघाटन की बात कही थी, पांच का ही उद्घाटन हुआ। इस पर सीएमडी ने बताया कि तकनीकी कारणों से छठी परियोजना का ऑटोमेटिक उदघाटन हो गया। उनकी बात सुनकर प. नेहरू नाराज हो गए। कहा जाता है कि इसी कारण दिल्ली लौटने के तुरंत बाद संस्थापक सीएमडी का तबादला कर दिया गया। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने नियमित तबादले का तर्क देकर नागराज राव को हटाने के फैसले को सही करार देने की कोशिश की।
सिवरेज-ड्रेनेज से खाद बनाने और कैप्टिव पावर प्लांट पूरा नहीं हो सका
संस्थापक सीएमडी नागराज राव ने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए समय-सीमा के अंदर एचईसी की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई। करीब 7000 एकड़ में फैले एचईसी प्लांट और 11 हजार परिवारों के लिए टाउनशिप के लिए सारी आधारभूत संरचना तैयार की। नागराज राव ने एचईसी आवासीय परिसर में रहने वाले 11 हजार मकानों से निकलने वाले कूड़े और नालियों के लिए समुचित प्रबंध किया। उन्होंने इन र्क्वाटरों के कचड़े से कृषि खाद का उत्पादन करने की योजना बनाई थी। यह एचईसी की महत्वकांक्षी योजना थी। एचईसी के जीवन चक्र के सफल संचालन में यह महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। लेकिन पूरी परियोजना उद्घाटन के पहले ही समाप्त हो गई। जानकार बताते है कि यदि कूड़े से खाद बनाने की योजना शुरू हो जाती, तो यह कंपनी के लिए काफी फायदेमंद हो सकता था। लेकिन एचईसी के उद्घाटन के तत्काल बाद संस्थापक सीएमडी को पद से मुक्त कर देना आत्मघाती निर्णय साबित हुआ। जिस सीएमडी ने तीन-चार सालों तक कड़ी मेहनत कर एचईसी की स्थापना में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसे कंपनी चलाने का मौका देने की बजाए हटा दिया गया। जिसके बाद आज भी एचईसी के किनारे अवस्थित टोंटो गांव में कूड़ा निष्पादन प्लांट खंडहर के रूप में खड़ा है। सिवरेज और ड्रेनेज के लिए तैयार आधारभूत संरचना अब भी मौजूद है, लेकिन छह दशक बीत जाने के बावजूद उसका समुचित उपयोग नहीं हो पाया। नागराज राव ने एचईसी के लिए कैप्टिव पावर स्थापित करने की भी योजना बनाई थी। जिससे कंपनी को बिजली के लिए दूसरे पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होती। लेकिन वो योजना भी पूरी नहीं हो सकी। इसके अलावा नागराज ने कंपनी से निकलने वाले स्क्रैप के उपयोग की भी योजना बनाई थी। लेकिन इसका फायदा भी एचईसी को नहीं मिल पाया। हालांकि एचईसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए जो डैम तैयार किया गया था, उससे आज भी शहर की बड़ी आबादी को पेयजल आपूर्ति की जा रही है।
संस्थापक सीएमडी के तबादले के बाद सामने आई कई चुनौतियां
पंडित नेहरू की कार्ययोजना को जमीं पर उतारने वाले संस्थापक सीएमडी नागराज राव के मन-मस्तिष्क में भविष्य की चुनौतियों से निपटने का भी प्लान था। उन्हें इस बात की भी जानकारी थी कि देशभर में जब बड़े-बड़े कल-कारखानों की स्थापना हो जाएगी, तब एचईसी को कैसे अपने पैर पर खड़ा रखने के लिए संसाधान जुटाने पड़ेंगे। इन सारी कार्य योजना को वे एचईसी के उद्घाटन के बाद अमलीजामा पहनाने वाले ही थे, लेकिन अचानक उनका तबादला कर दिया गया। उसके बाद टीआर गुप्ता दूसरे सीएमडी बने। इसके कुछ महीने बाद पंडित नेहरू का भी निधन हो गया। एचईसी ठीक तरीके से अपने पैरों पर खड़ा हो पाता, उससे पहले ही कई चुनौतियां सामने आ गई। लेकिन जिस मजबूत इरादे के साथ एचईसी की स्थापना की गई थी, उसके कारण प्रारंभ के पांच-छह दशक तक सबकुछ ठीक चलता रहा। लेकिन अब पिछले एक दशक से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।