जावेद अनीस
मध्य प्रदेश में वे अभ्यर्थी जो असिस्टेंट प्रोफेसर बनना चाहते हैं, उनके लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। आलम यह है कि विलंब शुल्क के नाम पर उनसे 25 हजार रुपए मांगे जा रहे हैं।गौरतलब है कि राज्य पात्रता परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकतर नौजवान बेरोजगार होते हैं और इस परीक्षा के माध्यम से उन्हें कोई नौकरी नहीं मिलती है, बल्कि वे केवल राज्य के कॉलेजों / विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर या व्याख्याता के पद के लिए पात्र हो जाते हैं।
दरअसल, इसी वर्ष जनवरी माह में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य पात्रता परीक्षा (स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट-सेट) के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 26 फरवरी, 2023 थी।
नोटिफिकेशन के अनुसार इसके बाद दो चरणों में विलंब शुल्क के साथ आवेदन किया जा सकता है। इसके मुताबिक पहले चरण में 1 से 10 मार्च के बीच 3 हजार रुपए विलंब शुल्क फीस के साथ सेट का फॉर्म भरा जा सकता था, जिसकी तारीख अब निकल चुकी है।
हालांकि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा इसके बाद एक और मौका दिया गया है, जिसके तहत 15 से 21 मार्च के बीच स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट के लिए आवेदन दिया जा सकता है। लेकिन इसके लिए आयोग द्वारा जो विलंब शुल्क तय किया गया है, उसे जानकर कोई भी हैरान हो जाएगा। आयोग द्वारा जारी सूचना के मुताबिक दूसरे चरण में आवेदन करने वालों को विलंब शुल्क के तौर पर 25 हजार रुपए जमा करने होंगे।
जाहिर सी बात है कि यह बहुत बड़ी राशि है और इस राशि को किस हिसाब से तय किया गया है, यह एक अलग से शोध का विषय है। साथ ही यह भी देखना चाहिए कि कहीं यह अभी तक किसी पात्रता परीक्षा में विलंब शुल्क के तौर पर वसूली जाने वाली सबसे बड़ी राशि तो नहीं है?
गौरतलब है कि राज्य पात्रता परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकतर नौजवान बेरोजगार होते हैं और इस परीक्षा के माध्यम से उन्हें कोई नौकरी नहीं मिलती है, बल्कि वे केवल राज्य के कॉलेजों / विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर या व्याख्याता के पद के लिए पात्र हो जाते हैं।
बताते चलें कि मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में 4 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। नतीजे के तौर पर राज्य में अतिथि प्रोफेसरों की एक लंबी फौज खड़ी हो चुकी है। आज प्रदेश के विश्वविद्यालय व कॉलेज एक प्रकार से इन्हीं अतिथि प्रोफेसरों के भरोसे चल रहे हैं।
लेकिन इन अतिथि प्रोफेसरों की खुद की हालत बहुत खराब है। इनमें से कई अतिथि प्रोफेसर पीएचडी और नेट/सेट की योग्यता रखते हैं और उन्हें दो दशकों का अनुभव है, लेकिन उनका भविष्य अनिश्चिंतताओं से घिरा रहता है। इसके अलावा प्रदेश में इनकेा मानदेय भी बहुत कम है। वर्तमान में अतिथि प्रोफेसरों को प्रत्येक कार्यदिवस के लिए 1500 रुपए निर्धारित है और एक महीने में कार्यदिवसों की औसत संख्या 22 से 24 होती है। इस प्रकार उन्हें प्रतिमाह औसतन 30 हजार रुपए ही प्राप्त हो पाते हैं। पिछले दिनों इस संबंध में मैहर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा गया एक पत्र भी काफी चर्चित हुआ था।
राज्य सरकार की नीतियों के कारण राज्य पात्रता परीक्षा उन नौजवानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो उच्च शिक्षा में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के 1696 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है, जिसके लिए आवेदन की प्रक्रिया जारी है। आगे भी इस तरह के और मौके आने ही वाले हैं। ऐसे में राज्य पात्रता परीक्षा का महत्व बढ़ जाता है और नौजवान इसके लिये पात्र होना चाहते हैं।
सवाल यह है कि यदि किन्हीं वजहों से अभ्यर्थी अभी तक मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रस्तावित राज्य पात्रता परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर सके हैं, वे 25 हजार रुपए का विलंब शुल्क कहां से लाएंगे? मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग नौसिखिया नहीं है। उसे इस तरह की परीक्षाएं आयोजित कराने का लंबा अनुभव है। ऐसे में इसे चूक तो नहीं ही कहा जा सकता है। फिर क्या इसे असंवेदनशीलता भरा तुगलकी फरमान नहीं कहा जाना चाहिए?