भोपाल। सालभर बजट का रोना रोने वाले वन विभाग के अफसरों की नींद वित्त वर्ष के अंतिम माह में खुली। अब आनन-फानन में एक अरब रुपए से अधिक की राशि खर्च करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए जिलों में आला अफसरों द्वारा मातहतों पर दबाव बनाया जा रहा है। अचानक इतनी बड़ी राशि खर्च करने के लिए नियम प्रक्रियाओं का पूरा करना अंसभव है। यही वजह है कि मैदानी स्तर के छोटे अफसर इस मामले में शामिल होने को तैयार नही है। इसकी वजह से ही मुख्यालय स्तर से दबाव बनाया जा रहा है। यह राशि कैपा फंड और विकास मद से खर्च की जानी है। मैदानी अमले का साफ कहना है कि कमीशन के फेर में गड़बड़ी करने का दबाव बनाया जा रहा है। कई सर्किल में इस तरह की शिकायतें मिल रही है। दरअसल हर साल मैदानी स्तर पर काम के लिए विभाग द्वारा विकास और कैंपा मद से करोड़ों रुपए आवंटित किए जाते हैं। यह राशि भी अफसरों के चेहरे देखकर आवंटित की जाती है। फिर चाहे संबधित वन मंडल को दी गई राशि की जरूरत हो या न हो। अधिक राशि मिलने पर मैदानी स्तर पर उसे खर्च करने की हड़बड़ी की स्थिति बन जाती है , जिसकी वजह से गड़बड़ी के हालात बन जाते हैं। जंगल में सेवा प्रदाता फर्म के संचालकों की माने तो विकास मद और कैंपा फंड के दोनों मद की राशि का 20 से 30 परसेंट कमीशन में बंट जाता है। हाल ही में अनूपपुर डीएफओ एक करोड़ से अधिक राशि खर्च करने के लिए नीचे के अमले को नित नए निर्देश दे रहे हैं। गौरतलब है कि विकास मद की राशि कार्य योजना के क्रियान्वयन अंतर्गत आवंटित की जाती है, जबकि कैंपा फंड की राशि का उपयोग वनीकरण क्षतिपूर्ति ( विभिन्न योजनाओं में मिली जमीन पर वृक्षारोपण) और विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। दिलचस्प यह है कि दोनों ही फंड से सबसे बड़ी राशि चैन लिंक, पॉल और अन्य सामग्रियों के खरीदने पर खर्च कर दी जाती है। इसकी वजह है इस तरह की खरीदी में अफसरों के अपने हित होते हैं। इसी हित की वजह से कई आईएफएस को गड़बड़ियों की शिकायत का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से कई अफसरों को कारण बताओ नोटिस और आरोप पत्र भी जारी हुए हैं। इसके बाद भी इस पर रोक नहीं लग रही है। जानकारी के मुताबिक विकास मद और कैंपा फंड से अभी तक तकरीबन 100 करोड़ से अधिक राशि खर्च नहीं हो पाई है । यह हालात तब है जबकि हर वीडियो कांफ्रेंसिंग में बजट खर्च नहीं कर पाने के लिए डीएफओ की खिचाई की जाती है , लेकिन वे वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने का इंतजार करते रहते हैं।
कहां कितना फंड नहीं हुआ खर्च
शिवपुरी को कैंपा फंड से चालू वित्तीय वर्ष में करीब 29 करोड़ रुपया दिया गया था , जिसमें से शिवपुरी वन मंडल में साढ़े 7 करोड़ से अधिक राशि खर्च नहीं हुई है। इसके अलावा होशंगाबाद वन मंडल भी लगभग 6 करोड़ कैपा मद का खर्च नहीं किया गया है, जबकि कटनी में केंपा फंड का चार करोड़ और विकास शाखा का 3 करोड़ रुपया खर्च नहीं हुआ। दो दर्जन से अधिक वन मंडलों को अपवाद स्वरूप छोड़ दे तो सभी वन मंडलों में दो करोड़ से लेकर 4 करोड़ रुपए तक खर्च नहीं हो पाए हैं। जिन वन मंडलों में विकास और कैंपा मद दोनों को मिलाकर 3 करोड़ से अधिक की राशि शेष रह गई है उनमें अनूपपुर, श्योपुर शिवपुरी, उत्तर बालाघाट, दक्षिण बालाघाट, उत्तर बैतूल, दक्षिण बैतूल, ओबैदुल्लागंज, दक्षिण पन्ना, उत्तर पत्रा, छिंदवाड़ा, दक्षिण छिंदवाड़ा, पश्चिम छिंदवाड़ा, ग्वालियर, होशंगाबाद, धार, इंदौर, झाबुआ, डिंडोरी, पूर्व मंडला, जबलपुर, कटनी खंडवा, अनुसंधान एवं विस्तार खंडवा, सेंधवा, रीवा, सतना, सिंगरौली, दमोह, सागर उत्तर, सागर दक्षिण, बड़वाह, गुना, हरदा, ग्वालियर और मुरैना वन मंडल शामिल हैं।