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चांद संबंधी विज्ञान और हमारा सरंजाम

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 प्रखर अरोड़ा 

    धरती के चाँद से अन्य ग्रहों के चांदो की तुलना की जाये तो अन्य ग्रहों के चाँद तो बहुत छोटे छोटे उपग्रह हैं और एक दो को अगर खत्म भी कर दिया जाये तो किसी ग्रह की सेहत पर कोई बहुत फर्क नहीं पड़ने वाला।

       लेकिन, धरती सूर्य से करीब 23.5 डिग्री झुकी हुई है, इस झुकने से मौसम बनते हैं। 

      चाँद की आकर्षण शक्ति की पकड़ से ही धरती का यह झुकाव अपने स्थान पर अटका हुआ है। अगर किसी दिन धरती का चाँद गायब हो जाये तो धरती का झुकाव या तो खत्म हो जायगा और या बहुत ज्यादा हो जायगा। धरती बे पेंदे का लोटा बन जायगी।

       धरती पर मौसम बनने बंद हो जायँगे और या मौसमों का चक्कर हर साल बदलता रहेगा। यह समुद्र की धारायें, यह तूफ़ान यह हवायें, यह बादल सभी कुछ चाँद की वज़ह से हैं। 

यह चाँद ही है जो हमारे तथा जीव जंतुओं के दिमागों पर भी प्रभाव डालता है। जब चाँद धरती के नज़दीक होता है तो पागलखानों में पागल बेकाबू हो जाते हैं। इंग्लिश में मनोरोगियों का दूसरा नाम है Lunatics – चाँद के मारे।

       चाँद पर धूप के वक़्त दिन का तापमान 200℃ तक पहुंच जाता है और रात को यही तापमान -200℃ पहुंच जाता है। इसीलिए चाँद पर सभी लोग रात को ही गए थे। दिन को तो जिन्दा बचने का ही सवाल ही है और उनके उपकरण भी झुलस जायँगे, उनके वापसी राकेट का ईंधन भी आग पकड़ लेता।

       जिन्दा बच जाते तो वो फिर वापिस भी नहीं आ पाते। चाँद पर एक दिन की लम्बाई धरती के 29.5 दिनों के बराबर होती है। यानि कि 14 दिनों का दिन और 14 दिनों के बराबर रात। चाँद पर सभी यान चाँद की रात को ही गए थे और रात ही में वहां से वापिस हो गए थे।

      इसीलिए चाँद पर लोगों की चित्र सभी रात्रि के हैं। जो रोशनी दिखाई देती है वह यान के द्वारा की गयी रौशनी है। चाँद पर जितने भी रोबोट भेजे गए हैं उनकी उम्र कुल कुछ ही महीने होती है क्योकिं भयानक गर्मीं उपकरणों को नष्ट कर देती है जबकि मंगल ग्रह पर भेजे गए रोबोट कई साल काम करने के बाद घिस घिस कर खत्म होते हैं।

चाँद पर आदमी को दूसरी समस्या यह है कि सूर्य की सतह पर जब परमाणु धमाके होते है तो वहां से उठने वाले तूफ़ान चाँद से टकराते है और वहां पर आंधी चला देते हैं। इसे इंग्लिश में Solar Wind या Corona कहते हैं। कोई भी स्पेस सूट इन भयानक गर्म बिजली के धमाकों की बौछार नहीं सहन नहीं कर सकता।

       NASA सूर्य पर होने वाले इन धमाकों और उनसे उठने वाली बिजली के चार्ज कणों की बौछार पर सदा नज़र रखती है। इस बिजली के तूफान से बचने के लिए हवाई जहाज़ों को भी आगाह किया जाता है। 

        पिछली बार चाँद से आदमियों को समय से जल्दी ही भागना पड़ा था क्योंकि वो सूर्य के धमाकों से होने वाली चार्ज कणों के भयानक तूफान की बौछार के रास्ते में थे।

        कई अंतरिक्ष यान इस solar wind के रास्तों में आकर नष्ट हो चुके हैं। यही Solar Wind जब हमारी धरती के ध्रुवों की ठंडी हवा से टकराती है तो आकाश में हरे रंगों के नज़ारे बनते हैं। उत्तरी ध्रुव के आसपास इन रोशनियों को Northern Lights कहा जाता है।

       धरती का वातावरण और ओजोन की ऊपरी परत हमारी धरती को इस बिजली के तूफान से बचाती है इसीलिए वैज्ञानिकों को इस ओजोन की परत के पतले होने की बहुत चिंता है। वैज्ञानिकों को इस Solar Wind का सदा अंदाज़ा था मगर इसका आभास रूस के पहले पहले उस राकेट ने किया था जो मानव के इतिहास में पहली बार हमारी धरती की आकर्षण शक्ति को तोड़कर धरती से दूर के रास्ते पर निकल गया था।

जब रूस अंतरिक्ष की होड़ में अमेरिका से आगे निकल गया था तो अमेरिका ने तय किया थे की हर हालत में जल्दी से जल्दी ही चाँद पर आदमी को भेजना है। इसके लिए वैज्ञानिकों का दल गठित किया था ताकि सभी मिलकर इस अभियान को सार्थक बनाने के लिए इस रास्ते में आने वाली सभी तकनीकी समस्यायें सुलझाई जा सकें।

      चूँकि आदमी पहले बार अंतरिक्ष में जा रहा था इसलिए स्पेस सूट भी चाहिए थे जिसमे हवा का दबाव बनाया जा सके और आदमी कुछ हिल डुल भी सके। ऐसा सूट जो विकिरणों से भी आदमी की रक्षा कर सके।

       चूँकि चाँद पर रात को ही उतरना था इसलिए वहां पर तापमान शून्य से भी 200 डिग्री नीचे होना था, कुछ ऐसा सूट जो आदमी को इतनी सर्दी से insulate भी कर सके। तभी वंही पर किसी वैज्ञानिक के दिमाग में यह आया था कि क्यों नहीं हम स्पेस सूट के अविष्कार करने की जिम्मेवारी अमरीका की सबसे मशहूर ब्रा बनाने वाली कंपनी को सौंप दें।

        फिर वो ही कंपनी स्पेस सूट बनाने में माहिर हो गयी थी। उस कंपनी के इंजीनियर भी अब इस चाँद पर जाने वाले मिशन का भाग बन गए थे और उन्होंने ने एक नायाब स्पेस सूट तैयार किया था।

  अंतरिक्ष में जाना ना सिर्फ एक चुनौती है मगर यह भयंकर खतरों से खाली नहीं है।

      चांद पर एक बड़ा गड्ढा है। यह हमारे अभी तक ज्ञात ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा गड्ढा है. यह चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर है। इसे Atkinson Basin कहते हैं. यह 2500 किलोमीटर बड़ा है और 13 किलोमीटर गहरा है। हमारी एवेरेस्ट चोटी तो तक़रीबन 9 किलोमीटर ऊँची है. यह इस गड्ढे में गहरी डूब जाएगी।

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