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मैं राहुल सावरकर नहीं हूं, राहुल गांधी हूं   

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 सुसंस्कृति परिहार

सूरत से जेल और बेल के बाद राहुल की संसदीय सदस्यता ख़त्म। अजी  इतनी जल्दी भी क्या थी उसने यदि गलत भी किया था तो तीस दिन इंतज़ार तो कर लेते। लगता यह है कि यह पूरा एक बड़ा गेम था। संसद में अडानी मामले में जेपीसी की मांग पर बवाल इस हद पहुंचा दिया जाएगा यह आश्चर्यजनक तो है ही किन्तु यह भी दर्शाता है कि एक सांसद को सदन में ना तो बोलने दिया गया और ना अठारह विपक्षी दलों की मांग मानी गई। राहुल से उन्हें कैसा डर था कि उससे माफी की मांग की गई जब माफी मांगने से इंकार किया गया तो चार साल से पेंडिंग मामले को यकायक उठाकर राहुल गांधी को दो साल की सजा और 15हजार के जुर्माने की सजा सुना दी गई। लेकिन दूसरे ही पल कोर्ट ने उन्हें 30 दिनों की जमानत दे दी।

23मार्च के फैसले के तत्काल बाद आज 24मार्च को उनकी 24घंटे में वायनाड से संसदीय सदस्यता ख़त्म कर दी गई।ये सोचने विवश करता है कि एक जिला कोर्ट की कार्यवाही पर यह तानाशाही पूर्ण रवैया क्यों अख़्तियार किया गया।तब जब आरोपी जमानत पर हैं और उसे अगली अदालत में मामला ले जाने की इज़ाजत दी गई है। बहरहाल इस कार्रवाई से साफ़ है कि राहुल के बढ़ते कद से जिसे आज भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतवंशी हाथों हाथ लेकर उनके प्रति विश्वास जाहिर कर रहे हैं भारत सरकार को नागवार गुजरा है और इसीलिए अपराध शास्त्र में माहिर अपनी कारगुज़ारी का फायदा उठाया है।यह बात इस आपाधापी ने भी सिद्ध कर दी है कि राहुल ने जो बात कही वह सीधे चोट की है।इसे ही कहते हैं चोर खुद अपने जाल में आ गया। उन्हें क्या ज़रूरत थी इतने उतावलेपन की।अब तो लगता है जो जो बातें लोगों ने कहीं हैं उस बहाने सबको जेल की तैयारी में सरकार है।उधर विपक्षी दल का भी जेल भरो अभियान की तैयारी शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस भी ज़िदादिली के साथ मैदान में है।राहुल गांधी मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण का बयान सामने आया है प्रशांत भूषण ने कहा कि जब कोर्ट ने सजा के लिए 1 महीने का समय दिया है। लेकिन लोकसभा ने एक दिन के भीतर फैसला लेकर संसद सदस्यता के लिए अयोग्य कर दिया राहुल गांधी को अडानी के खिलाफ बोलने की कीमत चुकानी पड़ी है।   राहुल गांधी ने नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चोकसी को चोर कहा।और यह पूछा कि ऐसा क्यों है कि सब चोरों के नाम मोदी हैं। ‌यह नहीं कहा कि सब मोदी चोर हैं।फिर भी किसी मोदी के मानहानि की कंप्लेंट पर उनको 2 साल की सजा! ताकि उनको संसद से बर्खास्त कर दिया जाए?यह भारत के लोकतंत्र का हाल है ।कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर कहा, “राहुल गांधी जी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म कर दी गई।वह आपके और इस देश के लिए लगातार सड़क से संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं. हर षड्यंत्र के बावजूद वह यह लड़ाई हर क़ीमत पर जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायसंगत कार्यवाही करेंगे लड़ाई जारी है” अखिलेश यादव अरविंद केजरीवाल,ममता बनर्जी आदि कई नेताओं ने सरकार के इस कृत्य की निंदा की है ।

भारतीय लोकतंत्र में इतना संकट कभी नहीं देखा गया जब सत्ता पक्ष के सांसदों ने सदन नहीं चलने दिया यह सिर्फ इसलिए ताकि विपक्ष की आवाज ही ना सुनी जाए। लगता है अब तानाशाही सिर चढ़कर बोलने लगी है।आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह दिल्ली राज्यपाल की सरे आम पोल खोल रहे हैं। उन्हें बेशर्म कहने से नहीं चूक रहे।उधर उन दोनों के लंगोटिया यार किरन पटेल ने कश्मीर में क्या क्या गुल खिलाए हैं उस पर और अपने मालिक गौतम अडानी पर ज़बान सिले हुए हैं।यह देशविरोधी नीति हमें कहां ले जा रही है अब तो यह शक भी पुख्ता होने लगा है कि गुजरात 2002के दंगे भी इनकी रीतिनीति का परिणाम थे। जस्टिस लोया,हरेन पंड्या, मिठ्ठू लाल प्रजापति की हत्याएं भी संदेहास्पद हो जाती हैं।

2014के आमचुनाव के दौरान कांग्रेस मुक्त भारत का आव्हान भी लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से उचित नहीं था किंतु जिस तल्लीनता से झूठमझठ का सहारा लेकर सत्ता हथियाई गई उसकी पोल पट्टी भी अब लगातार उजागर होने लगी है।देशी मीडिया को निगलने के बाद सोशल मीडिया सक्रिय है अब तो सच विदेशी मीडिया से आने लगा है।कहा भी जाता है झूठ की उम्र लंबी नहीं होती इसी डर और सदमे में भारत सरकार विपक्ष पर सख्त होती जा रही है।सब कुछ बेचकर,देश की संपदा अडानी के हवाले कर देश के आम नागरिक को आज जिस तरह कमज़ोर कर दिया है कि वह भूख से मुश्किलात से निपट रहा है। मंहगाई, बेरोजगारी की बदौलत अपराध बढ़ रहे हैं। किसान लुटा पिटा अवाक फिर संघर्ष की राह पर है।कथित अच्छे दिनों के सबसे दुर्दिन से चहुंओर त्राहिमाम त्राहिमाम है।

वे सोच रहे हैं राहुल गांधी को संसद से हटाकर और जेल भेजकर,आठ साल चुनाव से बाहर कर वे अपने मंतव्य को पूर्ण कर लेंगे यह असंभव है। राहुल गांधी ने इन 10वर्षों में देश हित में सरकार को जो सुझाव दिए हैं जनता को मोहब्बत का पैगाम 4000किमी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिया वह अमूल्य है। राहुल का यह कहना वे राहुल सावरकर नहीं है राहुल गांधी हैं। उन्हें मुल्क पर आए संकट में बहुत बड़ा बनाता है।पता नहीं क्यों सावरकर सरनेम वादियों ने उन्हें बख़्श दिया वे भी अदालत जा सकते थे। इससे भी यह बात जाहिर हो जाती है कि यह केस भी किरन पटेल और 2002दंगे की तरह की रहस्यमय है।याद रखें जो बचपन से लेकर आज तक बड़े बड़े तूफान झेलता रहा वह जेल से डरने वाला नहीं है ना माफीवीर बनेगा।वह देश को बचाएगा बशर्ते उस लाड़ले देशभक्त राहुल गांधी के साथ धोखा ना हो।

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