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गहलोत चाहते हैं कि शेखावत मंत्री पद से हट जाएं

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S P मित्तल अजमे

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब भी अपने गृह जिले जोधपुर आते हैं, तब जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर राजनीतिक हमला करते हैं। 28 मार्च को भी जोधपुर पहुंचने पर गहलोत ने शेखावत के इथोपिया में करोड़ों रुपए के निवेश का मामला उठाया। गहलोत का कहना रहा कि क्रेडिट सोसायटी के माध्यम से जो पैसा वसूला, उसे शेखावत ने इथोपिया में निवेश किया है। शेखावत को यह बताना चाहिए कि यह पैसा कहां से आया? गहलोत इस गंभीर आरोप पर शेखावत को हाथों हाथ सफाई भी देनी पड़ी। शेखावत ने कहा कि इथोपिया में उनका निवेश विक्रम सिंह (संजीवनी सोसायट का संचालक) को शेखर बेचे जाने से पहले का है। गहलोत इससे पहले जोधपुर में ही शेखावत के परिवार के सदस्यों पर संजीवनी की लूट में शामिल होने का आरोप लगा चुके हैं। मालूम हो कि संजीवनी में 2 लाख परिवारों का करीब 900 करोड़ रुपया जमा है और अब सोसायटी के संचालक भुगतान नहीं कर रहे हैं। गहलोत ने परिवार को लेकर जो आरोप लगाए हैं, उस पर शेखावत ने दिल्ली कोर्ट में मानहानि का मुकदमा  भी दायर किया है। अभी संजीवनी घोटाले की जांच सीएम गहलोत के अधीन आने वाली राजस्थान पुलिस कर रही है। लेकिन शेखावत चाहते हैं कि घोटाले की सीबीआई जांच करें। इसको लेकर शेखावत ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। असल में अब राजनीतिक लड़ाई व्यक्तिगत हो गई है, इसीलिए शेखावत और गहलोत दोनों एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। गहलोत का प्रयास है कि अब शेखावत को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाना है ताकि 2019 में लोकसभा चुनाव में पुत्र वैभव गहलोत की हार का बदला लिया जा सके। गहलोत को अभी भी मलाल है कि जोधपुर गृह जिला होने के बाद भी उनका पुत्र चार लाख मतों से चुनाव हार गया। चूंकि के पुत्र की हार शेखावत से हुई, इसलिए शेखावत के प्रति गहलोत की नाराजगी कुछ ज्यादा ही है। गहलोत को अब संजीवनी घोटाले का अच्छा हथियार मिल गया है, इसलिए वे जब भी जोधपुर आते हैं तो शेखावत पर बड़ा हमला करते हैं। शेखावत का भारत से बाहर इथोपिया में करोड़ों का निवेश है, इसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं होगी, लेकिन अब गहलोत के बयान के बाद इस विदेशी निवेश की जानकारी पीएम मोदी को भी हो जाएगी। आरोप के बाद शेखावत ने भी स्वीकार कर लिया है कि उनका निवेश विदेश में है। शेखावत को आशंका है कि राजस्थान पुलिस उनकी छवि खराब करने के लिए संजीवनी घोटाले में फंसा सकती है। इसलिए जांच सीबीआई से करवाने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली गई है। 

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