भोपाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने भाषणों में सरकारी तंत्र और योजनाओं के क्रियान्वयन तक में गुड गवर्नेंस का दावा करते रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। इसके लिए ऑनलाइन नेटवर्क तो बना पर, मध्य प्रदेश के अफसर बेपरवाह बने हुए हैं।मध्य प्रदेश से पीएमओ भेजी गईं 47 हजार से ज्यादा शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति तब है, जब पीएमओ ने शिकायतों पर कार्रवाई के लिए रिमाइंडर भेजे हैं। सीएम हेल्पलाइन की स्थिति तो इससे भी ज्यादा खराब है। यहां आने वाली शिकायतों का निपटारा करना तो दूर, अफसर ऑनलाइन मिलने वाली शिकायतें देखने के लिए लॉग इन तक नहीं कर रहे हैं। कुछ जगह ऑपरेटर लेवल के स्टाफ को ID पासवर्ड दे रखे हैं। योजना के संचालन ने 9 फरवरी को ऐसे 82 अफसरों को चिन्हित कर लिस्ट भी जारी की है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया, प्रधानमंत्री कार्यालय के सीपी ग्राम (CP GRAM) पोर्टल पर पूरे देश से शिकायतें दर्ज की जाती हैं। इसमें वर्तमान में मध्य प्रदेश की 47, 944 शिकायतें पेंडिंग हैं। इसे लेकर पीएमओ ने संबंधित विभागों के अफसरों को 6 नवंबर 2020 को रिमांइडर भी भेजा लेकिन, इसका असर नहीं हुआ।
CM हेल्पलाइन में 500 मीटर सड़क के लिए 35 बार शिकायत
भोपाल के कोलार के वार्ड-83 में फाइन एवेन्यू फेस-2 में अलीशा विहार जाने वाली 500 मीटर लंबी सड़क लंबे समय से बदहाल है। स्थानीय रहवासी इसकी 35 बार सीएम हेल्पलाइन में सड़क बनवाने की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली है। इस सड़क से रोजाना 30 हजार आबादी गुजरती है। बदहाल सड़क होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
गुड गवर्नेंस स्कूल पर हर साल 8 करोड़ रुपए खर्च
प्रदेश में सरकार के कामकाज में सुधार और सुशासन के लिए अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान (गुड गवर्नेंस स्कूल) काम कर रहा है। हैरत की बात तो यह है कि बीते 13 साल में संस्थान ने सरकार को सुशासन की दिशा में सुधार के लिए खास सुझाव ही नहीं दिए, जबकि इस संस्थान पर हर साल करीब 8 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इस राशि में 60 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन भत्ते और सुख-सुविधाओं पर होने वाला खर्च भी शामिल है। संस्थान योजनाओं के विश्लेषण और विभाग के मैन्युअल बनाने तक सीमित है।
CM हेल्पलाइन में सबसे ज्यादा इंदौर की शिकायतें पेंडिंग
यहां भी हजारों शिकायतें पेंडिंग हैं। इनमें सबसे ज्यादा इंदौर जिले की शिकायतें पेंडिंग हैं। इसके अलावा सबसे ज्यादा शिकायतें सागर जिले के स्वास्थ्य विभाग की हैं। मध्यप्रदेश के प्रमुख सात शहरों में जिनमें इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, सागर, रीवा, सतना और उज्जैन में ही करीब 20, 755 शिकायतें लंबित हैं।