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जनसंघर्षों और विपक्षी एकजुटता के बिहार मॉडल को आगे बढ़ाने के जरिए ही मोदी की तानाशाही पर लगाम लग सकती है!

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केंद्रीय कमिटी ने पोलित ब्यूरो का चुनाव किया, बिहार से दो नए चेहरे* 

*केंद्रीय कमिटी के सदस्यों के बीच जिम्मेवारियों का बंटवारा, कई विभागों और जोन का गठन* 

कोलकाता में जारी भाकपा-माले की दो दिवसीय केंद्रीय कमेटी की बैठक के आज दूसरे दिन यह बात मजबूती से रेखांकित हुई कि जनसंघर्षों और विपक्षी एकजुटता के बिहार मॉडल को आगे बढ़ाने के जरिए ही मोदी की तानाशाही पर लगाम लग सकती है. 

माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बैठक में आए विचारों व सुझावों के आलोक में अपने वक्तव्य में कहा कि बिहार मॉडल को महज सत्ता से भाजपा की बेदखली के रूप मे नहीं बल्कि जनांदोलनों के मॉडल के रूप मे देखना चाहिए. भाजपा आज पूरे देश में बर्बर गुजरात मॉडल थोप रही है. जबकि बिहार की जनता ने बर्बर दमन झेलकर साम्प्रदायिक – सामंती हिंसा को पीछे धकेला है. यही बिहार मॉडल की खासियत है. 

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष की व्यापक एकता की भाकपा- माले की अपील पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. लोकसभा से राहुल गांधी की बर्खास्तगी ने एकता के पहलु को मजबूत किया है. हमें इस लड़ाई को मजबूती से लड़ना है. 

आज देश की जनता भयानक बेरोजगारी-महंगाई की मार झेल रही है. मोदी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और विरोध की हर आवाज को डरा-धमका कर खामोश करने की कोशिश है. देश की जनता इसे अच्छे से समझ रही है. भाकपा-माले जनता के बीच जाएगी. देश और लोकतंत्र बचाने का मतलब है- लोगों के रोजी-रोज़गार और बोलने की आजादी की रक्षा.

बैठक में आज पोलितब्यूरो का भी चुनाव किया गया. पोलित ब्यूरो 17 सदस्यों को लेकर गठित की गई है. बिहार से इस बार दो नए चेहरे को शामिल किया गया है. दोनों महिला सदस्य हैं. 

Aipwa की महासचिव *मीना तिवारी और बिहार में आशा आंदोलन की चर्चित नेत्री शशि यादव* को पोलितब्यूरो में जगह मिली है. 

राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा, पटना ग्रामीण के सचिव अमर और किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह पहले से ही पोलित ब्यूरो में हैं. इनमें फिर से पोलित ब्यूरो में जगह मिली है. 

दिल्ली के राज्य सचिव रवि राय, बंगाल के राज्य सचिव अभिजीत मजूमदार और दिल्ली से संजय शर्मा को भी इस बार पोलित ब्यूरो में जगह मिली है. 

इसके अलावा केंद्रीय कमिटी के सभी सदस्यों की जिम्मेदारियों पर गहन विचार – विमर्श के उपरांत उसका बंटवारा किया गया. साथ ही, पार्टी आंदोलन के विस्तार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई जोन का भी गठन किया गया. पार्टी ने इस बार Gender cell का भी गठन किया है.

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