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आज ही जुल्फिकार अली भुट्टो को लटकाया था फांसी पर !

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मुंबई । आज ही दिन यानि 04 अप्रैल, 1979 को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर चढ़ाया गया था। वही जुल्फिकार जिनके नाती बिलावत भुट्टो इस समय पाकिस्तान की सरकार में विदेश मंत्री हैं और उनकी मां बेनजीर इस देश की प्रधानमंत्री बनीं. बाद में उनकी हत्या कर दी गई! जुल्फिकार अली  (Zulfikar Ali Bhutto) पाकिस्तान के लोकप्रिय शासकों में थे। पहले सैन्य विद्रोह में उनका तख्ता पलट गया. फिर जेल ले जाया गया। उन पर मुकदमा चला. हत्या की साजिश में अदालत ने उन्हें गुनहगार पाया. फांसी की सजा दी।

जानकारी के लिए बता दें कि 4 अप्रैल 1979। रात के लगभग 1.30 बज रहे थे। पाकिस्तान का रावलपिंडी शहर जब नींद के आगोश में था, उसी वक्त सेंट्रल जेल में गतिविधियां तेज थीं। कुछ ही देर में पाक के पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दे दी गई। फांसी का लीवर खींचने वाले जल्लाद तारा मसीह का भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी से एक कनेक्शन था. ये वही शख्स था जिसके पिता काला मसीह ने लाहौर जेल में भगत सिंह को 48 साल पहले फांसी दी थी।

वैसे अब तक ये माना जाता है कि भुट्टो को दी गई फांसी सियासी साजिश थी, जो सैन्य तानाशाह जिया उल हक ने रची थी. भुट्टो ने ही जिया उल हक को कुछ महीने पहले पाकिस्तान का सैन्य प्रमुख बनाया था। फांसी पर चढ़ने से पहले भुट्टो के आखिरी शब्द थे, ‘या खुदा, मुझे माफ करना मैं बेकसूर हूं। कहा ये भी जाता है कि गिरफ्तारी के समय पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की पिटाई की गई, जब उन्हें फांसी लगनी थी, उस रात वो रोते रहे। उन्हें फांसीघर तक स्टेचर पर लाद कर जबरन ले जाया गया।

जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी की सजा माफ करने के लिए दुनियाभर से पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया उल हक से अपील की गई लेकिन उन्होंने सारी अपीलें ठुकरा दीं. इंदिरा गांधी उस समय भारत में शासन में नहीं थीं लेकिन उन्होंने भी उन्हें सजा नहीं देने की अपील की थी. तब भारत के प्रधानमंत्री मोरारजीभाई देसाई थे, जिन्होंने इसे पाकिस्तान का आंतरिक मामला कहकर माफी की अपील नहीं की थी।

जुल्फिकार अली भुट्टो के पिता जूनागढ़ में दीवान थे। उन्हीं की शह पर जूनागढ़ का नवाब अपने राज्य को पाकिस्तान में मिलाना चाहता था. इसके लिए उसने जिन्ना से बातचीत करके सारी योजना भी बना ली थी लेकिन बाद में भारत ने इस मामले में जिस तरह से कदम उठाए, उससे जूनागढ़ का भारत में विलय हुआ और जूनागढ़ के नवाब को पाकिस्तान भागना पड़ा. जुल्फिकार अली भुट्टो के पिता के पास पाकिस्तान में बड़ी जमीन थी. वह वहां की सियासत में सक्रिय हो गए. फिर जुल्फिकार ने पिता के दम पर वहां राजनीति में पहचान बनाई. पार्टी बनाई और प्रधानमंत्री बने।

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