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864 विधानसभा सीटों पर चुनाव….राजस्थान में मुस्लिम कैंडिडेट नहीं, MP में टंट्या भील; कर्नाटक में टीपू के भरोसे BJP

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भोपाल/जयपुर/रायपुर/बेंगलुरु/हैदराबाद

मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना में इस साल चुनाव हैं। मध्यप्रदेश और कर्नाटक में BJP सत्ता में है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, जबकि तेलंगाना में BRS सत्ता में है।

कुल 864 विधानसभा सीटों पर चुनाव हैं। इन्हें 2024 के आम चुनावों के नजरिए से देखें, तो यहां 110 लोकसभा सीटें भी हैं। पढ़िए, इन पांचों राज्यों में राजनीतिक पार्टियों की रणनीति पर एनालिटिकल रिपोर्ट:

मध्यप्रदेश

कॉलेज में प्रोफेसर के पास फोन, ‘आपसे PM मोदी बात करेंगे’
ये मार्च 2020 की बात है। ठीक 3 साल पहले बड़वानी के सरकारी डिग्री कॉलेज में हिस्ट्री की क्लास चल रही थी। पढ़ा रहे प्रोफेसर के फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर दिल्ली का लैंडलाइन नंबर डिस्प्ले हो रहा था। प्रोफेसर ने फोन उठाया, तो सामने से आवाज आई- ‘मैं PMO से बोल रही हूं, क्या मेरी बात सुमेर सिंह सोलंकी से हो रही है? हां सुनते ही कॉलर ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपसे बात करेंगे।’

प्रोफेसर सोचते रह गए, और दूसरी तरफ से आवाज आई। कैसे हो सुमेर… तुम्हें राज्यसभा जाना है। प्रोफेसर कुछ समझ ही नहीं पाए, PM की बात का ठीक से जवाब दे पाते, तब तक फोन कट गया। उन्होंने क्लास पूरी की और सीधे घर पहुंचे। तब तक टीवी चैनलों पर खबर फ्लैश हो चुकी थी कि मध्यप्रदेश से BJP के राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट आ गई है। लिस्ट में पहला नाम सुमेर सिंह सोलंकी का था। सुमेर सिंह आदिवासी समुदाय से आते हैं और कई साल से RSS से जुड़े हुए हैं। उनके पिता भी जनसंघ से जुड़े थे।

BJP की रणनीति पर मैंने पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर से बात की, तो बोले- गरीब कल्याण की योजनाएं हम घर-घर तक पहुचाएंगे। आयुष्मान, प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला जैसी स्कीम से लोगों का जीवन बदला है। मैंने कहा- हिन्दुत्व…तो जवाब मिला कि ये मुद्दा नहीं है, ये तो हमारी रगों में है।

राजस्थान

गुजरात की तर्ज पर बूथ मजबूत करने पर फोकस…
राजस्थान में BJP की रणनीति के हिसाब से 2018 और 2023 के चुनाव में बड़ा फर्क यह है कि पिछला चुनाव BJP ने सत्ता में रहते हुए लड़ा था। उस समय वसुंधरा राजे सरकार के कामकाज के आधार पर BJP ने पूरा कैम्पेन चलाया था। इस बार BJP विपक्ष में है और सूबे में कांग्रेस की सरकार है। BJP कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ माहौल बनाकर और गहलोत सरकार के अधूरे वादों को मुद्दा बनाकर सत्ता विरोधी लहर बनाने की कोशिश में है।

BJP का फोकस इस बार गुजरात की तर्ज पर बूथ मजबूत करने पर है। राजस्थान के 52,000 बूथों पर बूथ यूनिट बनाई जा चुकी हैं। सभी बूथों पर वोटर लिस्ट के हिसाब से पन्ना प्रमुख बनाया गया है, ताकि चुनाव में वोटर्स को घर से निकालकर बूथ तक लाया जा सके। हर विधानसभा क्षेत्र में एक सीनियर नेता को तैनात किया जा रहा है। उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह बूथ कमेटियों के वैरिफिकेशन के साथ संबंधित विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे, जातीय समीकरण और पार्टी के कार्यक्रमों से अपडेट रहे और प्रदेश संगठन को भी अपडेट करे।

BJP रणनीति के तहत गहलोत सरकार की एंटी इनकम्बेंसी को भुनाने पर जोर दे रही है। प्रदेश में सभी 200 सीटों पर जनाक्रोश यात्राओं के जरिए BJP ने सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का एक दौर पूरा कर लिया है।

राजस्थान में BJP की पॉलिसी और रिसर्च विंग के चीफ सुनील भार्गव कहते हैं- ‘हम माइक्रो लेवल पर सोशल इंजीनियरिंग पर ध्यान दे रहे हैं। PM मोदी के मानगढ़, आसींद और दौसा के दौरे भी इसी रणनीति का हिस्सा है।’

किन मुद्दों पर गहलोत सरकार को घेर रहे: सरकारी भर्तियों में पेपर लीक, भ्रष्टाचार, महिला अपराध, किसानों की कर्जमाफी जैसे मुद्दों पर वादाखिलाफी।

मुस्लिम को टिकट नहीं: राजस्थान BJP के एक सीनियर लीडर्स के मुताबिक, इस बार पार्टी किसी मुस्लिम को टिकट नहीं देगी। 2018 चुनाव में सिर्फ एक मुस्लिम नेता युनूस खान को टोंक से टिकट दिया गया था, 2013 में तीन मुस्लिम कैंडिडेट थे।

पूर्व राजघरानों को जोड़ने की कवायद: जयपुर, बीकानेर, कोटा, डूंगरपुर समेत कई राजघराने BJP के साथ हैं। मेवाड़, सिरोही और जैसलमेर राजघराने समेत बचे हुए पूर्व राजपरिवारों से BJP संपर्क में है।

ब्राह्मण को अध्यक्ष बनाकर सोशल इंजीनियरिंग की कोशिश: BJP ने 23 मार्च, 2023 को चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। अब तक कोई ब्राह्मण चेहरा BJP में बड़े पद पर नहीं था। जोशी को अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़े रखने की कोशिश की है

पिछले तीन चुनाव के एनालिसिस के आधार पर टिकट: विधानसभा की 200 सीटों को पिछले तीन चुनाव में हार-जीत के आधार पर बांटा। एक-एक सीट का एनालिसिस किया जा रहा है। पहले जिन लोगों को टिकट दिया गया, उनकी ताकत और कमजोरी देखकर चुनाव लड़ाने की रणनीति पर काम हो रहा है

नए चेहरों को मौका: बताया जाता है कि इस बार BJP ज्यादातर नए चेहरों को मौका देगी, ताकि पुराने नेताओं की क्षेत्र में नाराजगी को दूर किया जा सके और नई लीडरशिप खड़ी की जा सके।

गहलोत-पायलट की लड़ाई का फायदा उठाने की रणनीति
BJP सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की नजर गहलोत-पायलट की लड़ाई के कारण कांग्रेस में साइडलाइन हो रहे उन प्रभावशाली नेताओं पर भी है। ये नेता अपने-अपने क्षेत्र में जातीय आधार के कारण चुनाव में जीत-हार में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। BJP कुछ सीटों पर ऐसे नेताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश में हैं।

छत्तीसगढ़

PM ने पैसे भेजे, लेकिन सरकार ने अपना हिस्सा नहीं दिया…
छत्तीसगढ़ में BJP विपक्ष में है। पार्टी यहां प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के भरोसे ही मैदान में है। उसके पास स्टेट लेवल में अभी कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जो CM भूपेश बघेल के लिए चुनौती बन जाए। यहां दो मुद्दों पर कांग्रेस को घेरा जा रहा है। पहला है, प्रधानमंत्री आवास योजना।

BJP इन दिनों गांव-गांव जाकर बता रही है कि छत्तीसगढ़ के लिए प्रधानमंत्री ने 16 लाख आवास बनाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए दिए हैं, लेकिन कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने अपना हिस्सा नहीं दिया। इसलिए छत्तीसगढ़ में 16 लाख परिवारों को घर नहीं मिल पाया। BJP नेता इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठा रहे हैं।

BJP 2018 में क्यों हारी?
2018 में BJP की हार के पीछे 15 साल की एंटी इनकम्बेंसी को कारण माना गया।

  • BJP ने किसानों को धान खरीदी पर 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का वादा किया था, लेकिन इसे टाला जाता रहा। इससे किसानों में गुस्सा था।
  • बस्तर में नक्सलियों पर कंट्रोल रखने में सरकार नाकाम रही थी। इससे आदिवासियों में नाराजगी थी। नतीजा बस्तर की 12 में से 11 सीट पर कांग्रेस जीत गई।
  • अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को 7% वोट मिले थे। माना जा रहा था कि जोगी की पार्टी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी, लेकिन पार्टी ने 5 सीटों पर जीत हासिल की। इसमें से 2 सीट लोरमी और खैरागढ़ BJP से छीनी। प्रदेश की दूसरी सीटों पर भी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने BJP के ही वोट काटे।

कांग्रेस क्यों जीती…

2018 में कांग्रेस का सबसे बड़ा दांव था- कर्जा माफ, बिजली बिल हॉफ।

  • 16 लाख से ज्यादा किसानों पर तब कर्ज था, लिहाजा यह हर घर से जुड़ा मुद्दा हो गया। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने एकजुट होकर यह चुनाव लड़ा।
  • अजीत जोगी पार्टी में नहीं थे, लिहाजा पार्टी के ज्यादातर नेता एकमत थे।
  • कांग्रेस ने छत्तीसगढ़िया क्षेत्रवाद का एक दांव और चला। पार्टी ने रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल जैसे BJP के सभी बड़े नेताओं को परदेसिया बताया और भूपेश बघेल समेत अपने नेताओं को मूल छत्तीसगढ़िया और आदिवासी। इस मैसेज ने भी काम किया।

कर्नाटक

‘कांग्रेस और टीपू दोनों ही हिंदू विरोधी हैं…’
बात साल 2015 की है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार थी। मुख्यमंत्री थे सिद्धारमैया। सरकार ने ऐलान किया कि 18वीं सदी में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान की जयंती हर साल मनाई जाएगी। इसके विरोध में कर्नाटक के कोडागू जिले में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। BJP ने जवाब में कहा ‘कांग्रेस और टीपू सुल्तान दोनों हिंदू विरोधी हैं। दोनों हिंदुओं की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।’

इस बार भी BJP टीपू सुल्तान पर हमलावर है। राज्य में ‘टीपू सुल्तान वर्सेस वीर सावरकर’ का नैरेटिव सेट किया गया है। कुछ दिन पहले कर्नाटक के हायर एजुकेशन मिनिस्टर सीएन अश्वथ नारायण ने कहा था कि, ‘आप टीपू सुल्तान चाहते हैं या सावरकर…हम इस टीपू सुल्तान को कहां भेजें…निंजे गौड़ा ने क्या किया…आपको उन्हें (सिद्धारमैया) उसी तरह खत्म करना चाहिए।’ BJP के ही एक नेता कहते हैं, ‘जिस तरह देश में मुगल हमारे दुश्मन हैं, उसी तरह कर्नाटक में टीपू सुल्तान हैं।’

सीनियर जर्नलिस्ट बेलागारू समीउल्ला कहते हैं ‘यह हिंदू वोटों का एकजुट करने और वोक्कालिगा कम्युनिटी के वोट हासिल करने का तरीका है। BJP साबित करना चाह रही है कि टीपू सुल्तान को अंग्रेजों ने नहीं मारा, बल्कि उरी गौड़ा और निंजे गौड़ा ने मारा था। हालांकि, इसके हिस्टोरिकल एविडेंस नहीं हैं। जिन दो कैरेक्टर्स के नाम बताए जा रहे हैं, वो भी काल्पनिक हैं। कुछ वक्त पहले एक ड्रामा में ऐसा दिखाया गया था।’

मैंने BJP प्रवक्ता गणेश कर्णिक से पूछा कि चुनाव में एक बार फिर टीपू सुल्तान बनाम सावरकर का नैरेटिव सेट हो गया है तो बोले, ‘अरे किसे कम्पेयर कर रहे हैं आप। टीपू सुल्तान ने तो कितने बेगुनाह हिंदुओं को मारा। हिंदुओं के साथ क्रिश्चियन का भी धर्म परिवर्तन करवाया। अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे, अपनी सत्ता बचाने के लिए।’

तेलंगाना

लोकसभा, बाइ-इलेक्शन में जीत से बंधी उम्मीद…
2018 में महज एक सीट जीतने वाली BJP को इस बार भरोसा है कि साउथ इंडिया में उसका दूसरा गेटवे तेलंगाना ही होगा। 2019 में लोकसभा की चार सीटें जीतने के बाद तेलंगाना में दो उपचुनाव भी BJP ने जीते। हैदराबाद नगर निगम के इलेक्शन में जबर्दस्त परफॉर्म किया। इसलिए पार्टी को लग रहा है कि वो आने वाले चुनाव में सरकार चला रही भारत राष्ट्र समिति (BRS) को चुनौती दे सकती है।

तेलंगाना में PM मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्‌डा सहित BJP के तमाम नेता कैम्पेन कर रहे हैं। इसके जवाब में सीएम के. चंद्रशेखर राव (KCR) विपक्षी दलों को BJP के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। पॉलिटिकल ऑब्जर्वर्स के मुताबिक, BJP नॉर्थ तेलंगाना में ज्यादा फोकस कर रही है, क्योंकि यहीं से उसके खाते में लोकसभा की तीन सीटें गई थीं। इसके अलावा ग्रेटर हैदराबाद और आसपास के जिलों में पार्टी का फोकस है।

बीजेपी को जीतने की उम्मीद इसलिए है कि BRS के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर है। तेलंगाना के सीनियर जर्नलिस्ट दिनेश आकुला के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर तेलंगाना में भी BJP डबल इंजन स्ट्रैटजी अपनाने जा रही है। वो लोगों से कहेगी कि जिन राज्यों में BJP की सरकार है, वहां किस तरह के फायदे हैं। BJP के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पार्टी कैडर को मजबूत करने के लिए BJP के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल को तेलंगाना BJP पार्टी मामलों का प्रभारी नियुक्त किया है।

BJP का पूरा कैंपेन एंटी केसीआर होगा। पार्टी भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर उनकी बेटी और दूसरे करीबियों पर लगे आरोपों को उठाएगी। BJP प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार की प्रजा संग्राम यात्रा को फिर से शुरू करने की योजना है। पदयात्रा के बजाय, संजय और BJP नेता ज्यादा सीटें कवर करने के लिए बस यात्राएं कर सकते हैं।

BRS को घेरने के लिए अलग-अलग टीमें बनीं
BRS पर अटैक के लिए तेलंगाना में 17 संसदीय क्षेत्रों को चार ग्रुप में बांटा गया है। हर क्लस्टर में तीन या चार संसदीय क्षेत्र होते हैं। इनमें से हर एक की जिम्मेदारी प्रभारी केंद्रीय मंत्री के पास रहेगी। दूसरे केंद्रीय मंत्री अलग से विधानसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे। केंद्रीय मंत्री हर संसदीय क्षेत्र में दो दिन बिताएंगे और लोगों को केंद्र की योजनाओं के बारे में बताएंगे।

किन मुद्दों पर घेरेंगे: पेंशन, नौकरी, 2BHK घरों की योजना के साथ-साथ भ्रष्टाचार और चुनावी वादे लागू करने में राज्य सरकार की नाकामी।

आकुला के मुताबिक, ‘राज्य में अपनी जमीन का विस्तार करने के लिए, BJP प्रमुख हस्तियों को पार्टी में शामिल करने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात को लेकर परेशान है कि पार्टी की कोशिशों के बावजूद स्टेट यूनिट में कोई बड़ी हस्ती शामिल नहीं हुई है।

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