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संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा की कोर्ट का रीडर 95 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार

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एस पी मित्तल, अजमेर 

5 अप्रैल को एसीबी की स्पेशल टीम ने अजमेर के संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा (आईएएस) के कोर्ट रीडर याकूब बख्श को 95 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। एसीबी अब यह पता लगा रही है कि रिश्वत की रकम ऊपर तक किस किस को बंटती है। लेकिन रीडर याकूब बक्श की हिम्मत पर एसीबी के अधिकारियों को भी आश्चर्य है। याकूब रिश्वत की राशि तब ली जब संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा भी अपने कक्ष में बैठे थे। यानी रीडर निडर था। गंभीर बात यह है कि रीडर याकूब ने संभागीय आयुक्त के नाम पर ही रिश्वत ली। टोंक की उनियारा तहसील के भू अभिलेख निरीक्षक हरिपाल वर्मा ने एक अपील की। यह अपील एसडीएम द्वारा वेतन वृद्धि रोके जाने के विरुद्ध थी। रीडर याकूब ने वादा किया कि अपील का फैसला संभागीय आयुक्त मेहरा से उसके पक्ष में करवा देगा। एसीबी के पास अपीलकर्ता और रीडर के बीच हुई वार्ता का रिकॉर्ड भी है। पुष्टि के लिए पहले पांच हजार रुपए दिए गए। बाद में 95 हजार रुपए नकद देते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। रीडर को रिश्वत लेते पकड़े जाने पर संभाग के चारों जिलों के अधिकारियों, कर्मचारियों और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के स्टाफ को भी आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि बीएल मेहरा हर बैठक में भ्रष्टाचार के विरुद्ध भाषण देते थे। मेहरा का कहना होता था कि मुझे भ्रष्टाचार कतई पसंद नहीं है। चूंकि मेहरा के पास शिक्षा बोर्ड के प्रशासक का पदभार भी है, इसलिए बोर्ड की बैठक में भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध उपदेश देते थे। सवाल उठता है कि जब मेहरा इतने ही ईमानदार हैं तो फिर कोई रीडर याकूब बक्श खुला भ्रष्टाचार कैसे कर रहा था? क्या मेहरा के भ्रष्टाचार विरोधी भाषणों का असर नाक के नीचे काम करने वाले रीडर पर भी नहीं? जानकारों की मानें तो 5 अप्रैल को एसीबी की कार्यवाही के दौरान ही एसीबी के दो बड़े अधिकारियों ने संभागीय आयुक्त मेहरा के कक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। यानी जब स्पेशल टीम के सदस्य रीडर को गिरफ्तार कर रहे थे, तब मेहरा के कक्ष में एसीबी के अधिकारी मौजूद थे। एसीबी के अधिकारी संभागीय आयुक्त और रीडर के बीच संबंधों की जानकारी भी कर सकते हैं। एसीबी ने रीडर के घर से 16 लाख रुपए नकद बरामद किए हैं। करोड़ों रुपए की जमीनों के कागजात भी मिले हैं। चूंकि यह मामला संभागीय आयुक्त से जुड़ा था, इसलिए एसीबी ने ट्रैप की कार्यवाही को बेहद गोपनीय रखा। 

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