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अग्रवाल कोल सहित विदेश से कोयला मंगाने के नाम पर देश के ही मात्र 3-4 बड़े कोयला व्यापारी कर रहे है अरबो –खरबों का खेल !

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प्रदीप मिश्रा 

अडानी इंटरप्राइजेज, अग्रवाल कोल कारपोरेशन लिमिटेड ,आदि ट्रेडलिंक ,चेत्तीनाड लाजिस्टिक,और मोहित मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड, ये वो भारतीय कंपनिया है जो सरकार को विदेश से कोयला मंगवा चार से पांच गुना महंगे दामो में बेचती है !

देश की दो प्रमुख कंपनिया NTPC और कोल इंडिया लिमिटेड विदेशो से कोयला मगाने या आयात करने के नाम पर टेंडर जारी करती है और 100 फीसदी टेंडर इन्ही 5 कंपनियों को मिलते है !ये कैसे संभव है !?

अग्रवाल कोल कारपोरेशन लिमिटेड, अगरमिन कोल वाशरी प्राइवेट लिमिटेड ये कंपनिया इंदौर के जाने माने उद्योगपति और समाजसेवी विनोद अग्रवाल की है ! इन्ही की विदेश में अग्रवाल कोल कारपोरेशन(S)लिमिटेड सिंगापुर में भी है !पिछले कुछ सालो से अडानी के साथ मिलकर विदेशो से अपनी ही कंपनी से कोयला मंगवाकर देश में और सरकारों को बेचकर मात्र कुछ सालो में देश के सबसे बड़े अमीरों में हाल ही में शामिल हुए है !?

विदेशो में अपनी ही कंपनियों के ऑफिस खोलकर और उन्हें वहा पर रजिस्टर्ड कराकर सस्ता कोयला खरीदकर अत्यधिक महंगे दामो पर भारत सरकार और राज्य सरकारों को बेचकर न सिर्फ आम उपभोक्ता को बेतहाशा महंगी बिजली खरीदने को मजबूर कर दिया है !वरन देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा को भी देश से बाहर अपनी ही कंपनियों में भेज रहे है !?

प्रदेश सरकार भी कर चुकी 1200 करोड़ का विदेश से कोयला खरीदने की तैयारी!

कोयले की कमी बताकर विदेश से कोयला खरीदी की तैयारी हो रही है, वह भी चार गुना महंगी कीमत पर। मप्र ऊर्जा विभाग ने कोयला खरीदी के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। इस कोयले पर करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। राज्य सरकार ने जो टेंडर जारी किया है उसमें एनटीपीसी कोयला खरीदेगी और फिर सप्लाई करेगी. सरकार ने सप्लायर को छूट दी है कि वो किस देश से कोयला मंगवाए.विदेशी कोयले से बिजली का उत्पादन भी महंगा होगा। इसका सीधा असर बिजली के दाम पर पड़ेगा।

देश की कोल माइंस से बिजली की आपूर्ति होना चाहिए. लेकिन विदेशों से कोयला खरीद कर देश के ही चंद उद्योगपतियों की देशी और विदेश स्थित कंपनियों को उपकृत करने की कोशिश हो रही है. विदेश से कोयला खरीदने पर सरकार बड़ी रकम विदेशी मुद्रा में खर्च कर रही है!

मप्र पावर जनरेशन कंपनी द्वारा रबी सीजन के लिए छह माह पहले ही कोयले की खरीदी की जा रही है। कंपनी प्रबंधन ने जरूरत के चार प्रतिशत करीब 7.50 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदी का टेंडर निकाला है। इसकी अनुमानित लागत 15 से 18 हजार रुपये प्रति टन होगी। जबकि भारतीय कोयला 3500-4000 हजार रुपये प्रति टन मिलता है। बिजली ताप गृह में 90 प्रतिशत देसी, 10 प्रतिशत विदेशी कोयला उपयोग किया जाएगा। सामान्यतौर पर इंडोनेशिया, अस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों से कोयला आयात होता है। इसकी गुणवत्ता का आकलन उससे पैदा होने वाली ऊर्जा से होता है। जितना बेहतर कोयला उतनी अधिक ऊर्जा पैदा करता है। गुणवत्ता वाले कोयले में राख कम बनती है।

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