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तेजी से बढ़ रहा है भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम

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डॉ. विकास मानव

      प्रोस्टेट ब्लेडर के नीचे और मलाशय (रेक्टम) के सामने अखरोट के आकार की ग्रंथि होती है। इसकी मदद से पुरुषों के शरीर का यूरिन चुना जाता है। कम उम्र के लोगों में इसका आकार छोटा होता है. उम्रदराज़ लोगों में प्रोस्टेट का आकार बड़ा हो जाता है।

       भारत में पुरुषों में यह तेजी से बढ़ती समस्या बन गई है। कभी नौवें नंबर का माना जाने वाला प्रोस्टेट कैंसर (प्रोस्टेट कैंसर) अब चौथे नंबर का काबिज हो गया है। 

         अटलांटा जनरल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 साल से अधिक पुरुषों में हर छठवें व्यक्ति को प्रोस्टेट कैंसर की समस्या है। जिसमें 59 साल से कम और 70 साल की उम्र से ज्यादा भाई-बहनों के बचने की उम्मीद 55 से 77 प्रतिशत है। दो दशक 65 या उससे अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या पाई गई है।

        उम्र बढ़ने के साथ इस समस्या के होने के प्रतिशत भी बढ़ने लगते हैं। 80 से ज्यादा उम्र के लोगों के पास 50 से 60 प्रतिशत से बचने का मौका होता है वहीं 90 से ज्यादा उम्र के लोगों में 90 प्रतिशत ठीक होने का मौका है।   

          प्रोस्टेट कैंसर के लिए उत्तरदायी फास्ट फूड, शराब का अधिक सेवन, धूम्रपान, प्रदूषण, तनाव आदि वजहें शरीर में अन्य बीमारी भी पैदा करती हैं।

      एक कैंसर है जो प्रोस्टेट ग्रंथि में होता है. जब ग्रंथि में ग्रंथि नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं तो यह प्रोस्टेट कैंसर जैसी परेशानी बन जाती है। यह केवल पुरुषों में होती है। प्रोस्टेट एक तरह का तरल पदार्थ का उत्पादन करता है, इससे वीर्य बनने में मदद मिलती है।

सौरभ के अनुसार प्रोस्टेट ब्लेडर के नीचे और मलाशय (रेक्टम) के सामने वाले हिस्से के आकार की ग्रंथि है। किसकी मदद से पुरुषों के शरीर का यूरिन चुना जाता है। कम उम्र के लोगों में इसका आकार छोटा होता है, लेकिन उम्रदराज़ लोगों में प्रोस्टेट का आकार बड़ा हो जाता है।

       रात में खांसी के बाद पेशाब जाना, पेशान में मुश्किल या जलन होना, पेशाब या वीर्य से रक्त आना, पेशाब करते वक्त दर्द महसूस होना, बैठने या उठने में दर्द, खिंचावेनी, इरेक्शन के दौरान इससे जुड़ी हुई स्थिति का सामना करना। स्खलन में दर्द महसूस होना।

      इसमें से कोई भी समस्या आपकी स्थिति को है, तो जितनी जल्दी हो सके प्रोस्टेट कैंसर की जांच कर लें। आपके पार्टनर के परिवार में यदि किसी को प्रोस्टेट से जुड़ी कोई समस्या है तो बीआरसीए जीन म्यूटेशन से भी एक्टर हो सकता है। यदि परिवार में स्तन या डिम्बग्रंथि के कैंसर का इतिहास है, तो भी प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अतिरक्त मोटापा, ज्यादा मांस खाने से भी प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है.

       इस समस्या को रोकने के लिए कोई विशेष रणनीति नहीं है। बस कुछ सावधानियों से इस समस्या से बचाव किया जा सकता है। हरी सब्जियों का अधिक सेवन, फल ​​या जूस, स्प्राउट्स, ब्रॉड का सेवन कम, करने से कुछ हद तक बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त पीएसी ब्लड टेस्ट से प्रोस्टेट का पता लगाया जा सकता है।

   यदि परिवार के पुरुष सदस्यों की आयु 50 वर्ष से अधिक है, तो चार से पांच माह में पूरा बॉडी चेक अप जारी किया जा सकता है।

         प्रोस्टेट की निगरानी करने के लिए सक्रिय सर्वेलेंस का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा हर छह महीने में विशिष्ट एंटीजन रक्त परीक्षण किया जाता है। साथ ही एक साल में एक बार डिजिटल रेक्टल परीक्षण भी एक से तीन के बीच प्रोस्टेटोटाइप और प्राधिकार परीक्षण के लिए किया जाना चाहिए।

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