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गर्मी की शुरुआत होते ही एक हजार जल परियोजनाओं ने तोड़ा दम

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भोपाल। आमजन को घर पर ही पानी मुहैया कराने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर शुरू की गई जल परियोजनाओं ने गर्मी की शुरुआत होते ही दम तोड़ना शुरू कर दिया है। हालत यह है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब एक हजार जल परियोजनाओं ने दम तोड़ दिया है। अगले कुछ दिनों में इनकी संख्या में तेजी से वृद्वि होने की संभावना है। इसकी वजह से अब लोगों को दूर दराज के इलाकों से पानी परिवहन कर लाना पड़ रहा है। इस मामले में सबसे खराब हालात छतरपुर जिले में हैं। इस जिले में ही सर्वाधिक परियोजनाओं ने दम तोड़ा है। इसकी वजह से हालात यह बन चुके हैं कि लोगों को अपनी और मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए ग्रामीण इलाकों में साइकिल, बैलगाड़ी, ट्रैक्टर आदि से कई -कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। फिलहाल करीब डेढ़ दर्जन  जिलों के गांवों में इस तरह की स्थिति बताई जा रही है। अब तक कई जिलों में ग्राम पंचायतों को पानी का परिवहन भी शुरू करना पड़ गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा की जाने वाली मॉनिटरिंग से पता चला है कि प्रदेश में वर्तमान में 996 जल परियोजनाएं बंद हो चुकी हैं। इनमें से 513 तो जल स्रोत सूखने के कारण बंद करना पड़ी हैं। यह सभी परियोजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों की हैं। 17 जिलों में पानी की ज्यादा समस्या है, क्योंकि सर्वाधिक परियोजनाएं इन्हीं क्षेत्रों की हैं। जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश में अब तक 57 लाख 79 हजार 568 घरों में नल कनेक्शन और इनमें से ज्यादातर घरों में पानी पहुंचाने का दावा किया जा रहा है, पर जमीनी स्थिति इससे अलग है। इन परियोजनाओं के शुरू होने के बाद ग्रामीणों को लग रहा था कि अब उन्हें जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा , लेकिन जब गर्मी के मौसम में लोगों को सर्वाधिक पानी संकट का सामना करना पड़ता है, तभी इन परियोजनाओं ने दम तोड़ दिया है। जबकि बारिश व सर्दी के मौसम में पानी भी कम उपयोग में आता है और स्वयं के जलास्रोतों से भी असानी से मिल जाता है। अभी अप्रैल में ही प्रदेश के कई जिलों में पानी की किल्लत पैदा हो चुकी है, जिसकी वजह से लोगों को दूर-दूर से निजी जल स्रोतों से पानी लाना पड़ रहा है। दरअसल, प्रदेश में 17 हजार 730 परियोजनाएं हैं, जिनसे 55 लाख 88 हजार 348 परिवारों तक पानी पहुंचता है। इनमें  से 996 जल परियोजनाएं बंद हैं। जिन परियोजनाओं के स्रोत सूख गए हैं, उन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।  जल संकट के हालात इससे ही समझे जा सकते हैं कि उज्जैन में जिला प्रशासन ने सिंचाई एवं उद्योग में पेयजल का इस्तेमाल किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
किस जिले में कितनी बंद
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के जिन 17 जिलों में परियोजनाएं बंद पड़ी हैं , उनमें सर्वाधिक 84 छतरपुर जिले की हैं। इसके अलावा सिवनी में 79, टीकमगढ़ में 48, पन्ना में 51, मंडला में 37,डिंडोरी में 15, परासिया में 12, सतना व शाजापुर में 11-11, बैतूल में 10, दमोह , विदिशा और राजगढ़ में 9-9 , देवास में 8 और सागर- सीहोर व उज्जैन में 7-7 परियोजनाएँ बंद हो चुकी हैं।

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