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बहरापन : जरूरी है अर्ली साइन को पहचान कर खुद पर ध्यान देना

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डॉ. प्रिया

अगर आप सुनने में परेशानी महसूस कर रहे हैं और अन्य लोगों की बातों पर फोक्स नहीं कर पा रहे हैं, तो यह बहरेपन की अर्ली स्टेज हो सकती है. आपको किसी भी उम्र में सुनने की क्षमता कम होने का सामना करना पड़ सकता है।
दिन भर किसी न किसी कारण से रिश्तों से जुड़ी रहने से हम न केवल मानसिक तौर पर थकान महसूस करते हैं, बल्कि सुनने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। कई बार कोई व्यक्ति कुछ कहता हुआ नज़र आता है, मगर हम उसके शब्दों को समझ नहीं पाते हैं या बात अधूरी समझ में आती है।
दरअसल, एक बार में बात न सुन पाना, किसी भी ऑडियो को तेज आवाज में प्राप्त करना और एक वक्त में तीन से चार लोगों से बात करने में परेशानी आना सुनने के कुछ सामान्य लक्षण हैं। अगर इन पर समय रहते ध्यान न दें, तो बहरेपन की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।

सुनने की क्षमता कम होने के कारण और लक्षण
आप किसी भी उम्र में सुनने की क्षमता के कम होने का सामना कर सकते हैं। यह किसी भी संक्रमण, जेनेटिक सिंड्रोम, उम्र बढ़ने और अत्यधिक शोर के कारण हो सकता है। हेयरिंग लॉस का होना एक सामान्य चिकित्सीय स्थिति है जो उम्र के साथ बढ़ती जाती है।
आंकड़ों की धारणा, तो 20 से 69 साल की उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली समस्या पाई जाती है। वहीं द ब्लू माउंटेस हियरिंग पढ़ने के अनुसार माइल्ड हियरिंग लॉस की समस्या 69 से अधिक उम्र के लोगों में पाई जाती है। वहीं 85 साल से अधिक उम्र के लोगों में आम तौर पर ये समस्याएं होती हैं।
कुछ और भी कारण हैं, जैसे जैसे उम्र बढ़ने लगती है, तो उसी के साथ सुनने की क्षमता कम होने लगती है।
जन्म के समय होने वाली कोई समस्या या आनुवंशिक उत्परिवर्तन इसका एक कारण साबित हो सकता है। दवाओं का प्रभाव होने से हीयरिंग चक्कर आने की संभावना बढ़ जाती है।
सीक्शंस में बहुत ज्यादा दर्द होना भी हो सकता है एंडोमिट्रियोसिस का संकेत. वे लक्षण, जो बहरेपन या हियरिंग लॉस के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.
बैठे हुए लेंस में अचानक आवाजें सुनाई देती हैं और घंटी बजने जैसी आवाज आती है। इस ओर इशारा करता है कि आपकी अटैचमेंट में कुछ परेशानी आ रही है। सकल में बिना सुनाई दिए ध्वनि को टिनिटस कहा जाता है। ये अवस्था हियरिंग लॉस का पहला चरण माना जाता है। ये इस बात की ओर इशारा है कि आप अब कम सुनें।
कई बार हम दूसरों से बात करते हैं, तो ऐसा लगता है कि वो अपने मन ही मन में लिप्त बात कर रहे हैं। इसके कारण हम उनकी बात को समझ नहीं पाते हैं। हांलाकि लोग इसी तरह से सामान्य बात करते हैं। मगर कई बार ही में उनकी बात या उनकी सोच को समझने में भी परेशानी आने लगती है।
दिनभर नॉइज़ पॉल्यूशन या लाउड साउंड सुनने के कारण हमारी श्रवण क्षमता कम होने लगती है। किसी भी ऑडियो को सुनने के लिए हमें आवाज़ की मात्रा बढ़ाते हुए पढ़ें। वैसे, हमें बारीक भी अब धीमी लग रही है। इसके अलावा भीड़भाड़ वाली जगहों पर कुछ भी सुनने में असमर्थता का अनुभव करते हैं। ऐसे में लोग कई बार कॉशियस फील करते हैं।
जब हम लोग आम लोगों के सामने बातें करते हैं, तो उस वक्त हम दोनों को देखते हैं। वहीं फोन पर बात करने के दौरान हम केवल एक ही कान से सुन पाते हैं। नींद में बात करने और बात समझने में दोनों में ही परेशानी होने लगती है।
अगर आप भी इसी तरह की समस्या से जुड़ रहे हैं, तो जान लें कि आप भी शिकार की समस्या से शिकार हो रहे हैं।
सुनने में आने वाली परेशानी के कारण लोग बार-बार बातें समझने से समझ नहीं पाते हैं। इससे वो खुद को अन्य लोगों से काटकर महसूस करने लगता है। इसके चलते वो ज्यादा बात करने से परहेज करते हैं। ऐसे में डॉक्टरी जांच बेहद जरूरी है।

बहरेपन से बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
अब तक आप यह जान चुके हैं कि वे कौन से कारक हैं जो बहरापन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके उपचार के लिए हियरिंग लॉस के प्रकार का पता लगाना आवश्यक है। सुनने की क्षमता कम होने के दो प्रकार हैं। पहला कंडक्टिव हियरिंग लॉस। वहीं दूसरा सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस है।
कंडक्टिव हियर लॉस के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा दवा और थेरेपी से भी इसे ठीक किया जा सकता है। उसी समय सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस के लिए हमें सुनने वाली मशीन यानी हियरिंग ऐड की आवश्यकता रहती है।
इसकी मदद से हम आसानी से सुन सकते हैं। इसके उपचार के लिए हियरिंग लॉस के प्रकार का पता लगाना आवश्यक है। इसके अलावा अगर आप लेटने में कम सुनने की समस्या महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत उपचार करवाएं। साथ ही तेज ध्वनि में कुछ भी सुनने से परहेज करें।

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