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दुनिया में  भारत के दवा कारोबार की छवि खराब करतीं कुछ दवा कंपनियां

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अशोक  मधुप

भारत की कुछ दवा कंपनियों द्वारा  विदेशों को नकली या अधोमानक दवाओं की आपूर्ति करने से देश के पूरे दवाकारोबार की छवि खराब हो रही है।भारतीय दवा उद्योग ने पिछले सालों में जो  दुनिया में शास बनाई  है,  उसे ये फर्म तहस− नहस करने पर तुलीं हैं। दवा कंपनियों पर कंट्रोल करने वाला विभाग नकली दवा बनाने वाली कंपनियों के आगे  पूरी तरह समर्पण  किए  हुए  है।वह आंख  बंद करके बैठा  बस तमाशा देख रहा है।शोर मचने पर वह कुछ कंपनियों पर कार्रवाई करता है।कुछ को नोटिस देता  है। कुछ के लाइसैंस निरस्त कर  दिया जाता है।धीरे− धीरे सब शांत हो जाता  है।निरस्त लाइसैंस कंपनियों के लाइसैंस या तो बहाल हो जाते हैं या वह दूसरे नाम से काम करने लगती हैं। सिलसिला  नही रूकता।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया में बेचे जाने वाले भारत-निर्मित गुइफेनेसिन कफ सिरप के लिए हाल में  एक और अलर्ट जारी किया है। भारत में उत्पादित दूषित खांसी की दवाई के लिए सात महीने के भीतर यह तीसरा अलर्ट है। पिछले मामलों की पहचान गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में की गई थी। वहां कफ  सीरप पीने से 66 बच्चों की मौत हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि एक भारतीय कंपनी का कफ सिरप मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया में दूषित पाया गया है। इन रसायनों की पहचान ऑस्ट्रेलिया के नियामक ने की थी। बीते छह अप्रैल को इसकी सूचना डब्ल्यूएचओ को दी गई। अलर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया के थेराप्यूटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन की गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा सीने में बलगम और खांसी को दूर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले में सिरप गुइफेनेसिन डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा पाई गई।  

कुछ दिन पहले   यूएस फूड एंड ड्रग एडमिस्ट्रेशन  ने कहा है कि भारत की दवा कंपनी के आई ड्राप से उनके यहां तीन मौत हों गईं।आठ लोगों की आखों की रोशनी चली गई।नेपाल ने पहले ही भारत की 16 भारतीय दवा कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। यह प्रतिबंध अफ्रीकी देशों में खांसी के सिरप से बच्चों की हुई मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी चेतावनी के बाद लगाया गया है। नेपाल दवा प्राधिकरण ने इस संबंध में एक सूची जारी की है। ।

पिछले दिनों आई  शिकायतों के  बाद भारत सरकार के ड्रग कंटोलर की कुंभकरणी नींद टूटी थी।उसने 18 कंपनियों का लाइसैंस रद्द किया है। इन कंपनियों पर आरोप  है कि इनकी दवा क्वालिटी तय मानकों  के अनुरूप  नही हैं। विदेशों से  लगातार आ रही शिकायतों के बाद 18 दवा कपंनियों के लाईसैंस  निरस्त हुए हैं।  करीब 26 फार्मा कंपनियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह ऐसा पहला मौका नहीं है जब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने फार्मा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की है। कुछ महीनों पहले भी हिमाचल और उत्तराखंड की कुछ फार्मा कंपनी का लाइसेंस रद्द किया गया था। इन दवाओं की लोगों तक ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली दो कंपनियों को भी नोटिस जारी किया गया है। इन दोनों कंपनियों पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के उल्लंघन के तरह एक्शन लिया गया है। इन कंपनियों से कहा गया है कि जब कोर्ट ने ऑनलाइन दवाओं की डिलीवरी पर रोक लगाई है तो फिर ये दवाओं को ऑनलाइन सेल क्यों कर रही हैं।

अफ्रीकी राष्ट्र  गाम्बिया में भारतीय  कफ  सीरप  से हुई 66 बच्चों की मौत की घटना के कुछ समय  बाद  दिल्ली एनसीआर के ट्रॉनिका सिटी में कैंसर की नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी गई।  इस फैक्ट्री की बनी  नकली दवाएं चीन को भेजी जाती हैं।  औषधि विभाग की टीम ने उसी दौरान में उत्तर प्रदेश के संभल में संयुक्त छापामारी कर बड़ी मात्रा में नकली दवाएं बरामद की थी। इससे करीब डेढ़ महीने पहले बागपत में भी   नकली दवाएं पकड़ी गई थीं।

दिल्ली की क्राइम ब्रांच की टीम ने  इसी दौरान   एमबीबीएस डॉक्टर पवित्र नारायण, बीटेक इंजीनियर शुभम् मुन्ना के अलावा दो अन्य लोगों को हिरासत में लिया है।पुलिस और औषधि विभाग  की टीम ने गिरफ्तार लोगों को साथ   लेकर  ट्रॉनिका सिटी के इन प्लॉट पर बने कमरों को खुलवाया गया तो वहां बड़ी मात्रा में अधबनी दवा की गोलियां, कैप्सूल, ब्लिस्टर पैक स्ट्रिंप, प्लास्टिक बोतलें, पैकिंग का सामान, कार्टन, और कई अन्य तरह की दवाइयां मिलीं। इनमें महंगे दामों पर बिकने वाली कैंसररोधी दवाइयां मिलीं। इन दवाओं पर विदेशी कंपनी का नाम पाया गया। ड्रग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन चारों लोगों के पास न तो दवाओं को बनाने का और न ही भंडारण का लाइसेंस है। इसके पास दवाओं के खरीद-फरोख्त के दस्तावेज भी नहीं मिले। औषधि विभाग के अधिकारियों ने यहां मिली दवाओं में से 14 नमूने लेकर सील किए हैं। यहां  भारी मात्रा में  मिली दवाओं और अन्य सामान को जब्त कर लिया गया है।औषधि विभाग के अधिकारियों का ने बताया कि  कि आरोपियों का कहना है  कि एंटी कैंसर दवाओं की बाजार में भारी डिमांड रहती है और इसमें मोटा मुनाफा होता है। इसी मुनाफे के लिए यह नकली दवाओं के कारोबार को कर रहे थे।बरामद दवा की कीमत 14 करोड़ रुपये   बताई  गई है। मध्य प्रदेश की रीवा पुलिस ने  कार्रवाई करते 129 पेटी नकली कफ सिरप बरामद किया है। जब्त सिरप की कीमत 18 लाख के करीब बताई जा रही है। पुलिस ने तीन आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है।आरोपी घर से नकली कफ सिरप के कारोबार को संचालित कर रहे थे।

जम्मू −कश्मीर के उधमपुर   जनपद में नकली कफ सीरप से दस बच्चों की मौत के मामले में 11 नवंबर  को सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मृतकों के परिजनों को तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया था। उधमपुर जिले की इस घटना को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी )के फैसले के खिलाफ जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सर्वोच्च न्यायालय में  याचिका दायर की थी।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एम एम सुंदरेश ने कहा कि इस मामले में अधिकारी लापरवाह पाए गए । हमें खाद्य व उद्योग विभाग के बारे में कहने के लिए मजबूर नहीं करें। उन्होंने यहां तक कि आपने अपनी ड्यूटी तक नहीं निभाई। हम नागरिकों के जीवन से नहीं खेल सकते हैं। यह उनका कर्तव्य है कि वे इसकी जांच करें और चीजों की पुष्टि करें।’

सर्वोच्च न्यायालय  जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से तीन मार्च, 2021 को हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। ज्ञातव्य  है कि उधमपुर की रामनगर तहसील में दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 में नकली कफ सिरप के सेवन से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। एनएचआरसी को इस मामले में औषधि विभाग की ओर से खामियां मिली थीं। आयोग ने विभाग की ओर से हुई चूक के लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन को परोक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया था। एनएचआरसी ने  इस लापरवाही को लेकर प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई थी। साथ ही आयोग ने मृतक के परिजनों को तीन-तीन लाख रुपये के मुआवजे की सिफारिश की थी। 

 उत्तर  प्रदेश  और उत्तरांचल  तो  नकली दवा बनाने  का गढ़ बन चुका है।उत्तरांचल हाईकार्ट की सख्ती पर उत्तराखंड सरकार को निर्णय  लेना  पड़ा  कि  नकली दवाएं बेचने वालों के खिलाफ आजीवन कारावास की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

ये सब घटनांए बताती हैं कि देश  नकली   दवा का बड़ा  उत्पादक बन गया है। कोरोना  काल में तो  इस कारोबार में और बढ़ोतरी हुई।ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने से इस धंधे को बढ़ोतरी मिली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन खरीदी जाने वाली दवाओं में 30 प्रतिशत नकली हैं । दरअसल ये फर्जी कंपनियां इतनी सफाई से अपने प्रॉडक्ट्स की ऑनलाइन मार्केटिंग करती हैं कि कोई भी आसानी से धोखा खा सकता है।  साल 2020 की तुलना में 2021 में घटिया क्वालिटी वाले और नकली मेडिकल उत्पादों के मामले 47 फीसदी बढ़ गए।

डब्ल्यूएचओ का  अनुमान  है कि दुनिया भर में बिकने वाली करीब 35 फीसदी नकली दवाएं भारत से आती हैं। वहीं वर्ष 2019 में अमेरिका ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीय बाजार में बेचे जाने वाले सभी फार्मास्युटिकल सामानों में से लगभग 20 प्रतिशत नकली हैं।

भारत दवाइयों का  बहुत बड़ा निर्यातक देश  है।  विदेशों को  नकली दवाई भेजे  जाने  से  भारत की दवाईयों की शुद्धता पर बड़ी  आंच  आ सकती है।इससे देश की शाख  गिर रही है।    विदेशी आए घट सकती है । जरूरत  है कि विदेशों को भेजी जाने  वाली दवाईयां देश की लेब  के प्रमाणिकता के प्रमाणपत्र के साथ ही भेजीं जाएं।नकली दवा का कारोबार करने  वाले  के  विरूद्ध  कठोर  कार्र्वाई  हो।  पहले नकली दवा की  सजा पांच  साल थी। 2005 में  में  इसे बढ़ाकर दस  साल किया गया। किंतु ये भी पर्याप्त नही  है।ऐसा  करने वालों को आजीवन कारावास भी कम है।साथ ही इनकी संपत्ति भी   जब्त होनी  चाहिए।लाइसैंस निरस्त होने वाली कंपनियों की मशीनों को ध्वस्त करा देना बेहतर होगा।

आज  दवाओं के सेम्पुल लेने की मात्र खानापूरी होती है।औषधि  नियंत्रण  विभाग  के पास नही स्टाफ  है,  न ही दवाओं की  जांच करने के  लिए लैब। स्टाफ  बढ़ाने  के साथ  सैंपुल की जांच करने  वाली लैब भी बढनी चाहिएं।दरअस्ल हमारा इन्फ्राटक्चर बढ़ रहा  है। दवा का कारोबार जिस तेजी से बढ़ा है,उसके हिसाब से इन पर नियंत्रण करने  वाला  अमला  नहीं।  जबकि  ये काम तेजी से होना  जरूरी है,तभी ये सब रूकेगी।

अशोक मधुप

(लेखक  वरिष्ठ  पत्रकार हैं)  

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