प्रदेश प्रभारी ने मनाने के किए प्रयास मगर भाजपा सूत्रों का ही कहना – निर्णय पर रहेंगे अडिग़
इंदौर। भाजपा में असंतोष के स्वर चारों तरफ गूंजने लगे हैं। इंदौर से सत्तन गुरु, भंवरसिंह शेखावत जहां मीडिया की सुर्खियों में हैं, तो पिछले चुनाव से ही नाराज चल रहे और टिकट से वंचित किए दीपक जोशी ने भी कांग्रेस में जाने का मन पूरी तरह से बना लिया है। कल देर रात भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने भी उन्हें चर्चा के लिए बुलाया और दीपक जोशी जावरा कम्पाउंड स्थित भाजपा कार्यालय पहुंचे भी, जहां लगभग एक घंटे तक उनकी कमरा बंद बैठक श्री राव के साथ हुई, मगर सूत्रों का कहना है कि इस बैठक के बाद भी दीपक संभवत: कल कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।
भाजपा के वरिष्ठ और सम्माननीय नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी कुछ समय पहले स्पष्ट घोषणा कर चुके हैं कि वे कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि कल सुबह साढ़े 8 बजे जोशी खेड़ापति मंदिर में दर्शन के बाद भोपाल के लिए निकलेंगे और अपने घर जाकर पिता की तस्वीर लेकर पैदल मार्च करते हुए कमलनाथ के निवास जाकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे, जिसकी पटकथा कुछ समय पूर्व ही लिखी जा चुकी है। सूत्रों का यह भी कहना है कि दीपक जोशी को कांग्रेस में लाने की रणनीति भोपाल से ज्यादा दिल्ली में बनी, जिसमें हरियाणा के एक उद्यमी की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ दीपक जोशी से नजदीकी रूप से जुड़े रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंद मालू ने भी अभी दो दिन पहले ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा कि दीपक की लौ विवशता और विद्रुपता के भंवर में बुझ न जाए पहरेदारों, रखवालों जरा तेल डालो, लौ संभालो। वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि दीपक कांग्रेस में जाने का मन बना चुके हैं और कल रात की बैठक भी बेनतीजा रही और आज सुबह से उनका मोबाइल भी लगातार बंद आ रहा है।
फैसला पूछा तो उन्होंने कहा नगर अध्यक्ष से बात करो
कल आधी रात को भाजपा कार्यालय पर हुई पूर्व मंत्री दीपक जोशी और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की चर्चा के बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या चर्चा हुई है? क्या उन्होंने कांग्रेस में जाने का अपना फैसला टाल दिया है? तो वे कुछ नहीं बोले और मंद-मंद मुस्कराते रहे। उन्होंने यही कहा कि वे नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे से बात करें। हालांकि रणदिवे ने भी जानकारी नहीं होने का कहकर पल्ला झाड़ लिया। जब वे कार्यालय में आए थे तब उनके चेहरे पर नाराजगी साफ झलक रही थी, लेकिन जाते समय उनके चेहरे का रंग बदला हुआ था।