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बिल्डर-डवलपर रेशो डिल में घटाई स्टाम्प ड्यूटी का अब मिल सकेगा लाभ

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पंजीयन विभाग ने अब किया सम्पदा पोर्टल में संशोधन

इंदौर। प्रदेश शासन ने अपने सालाना बजट में कई घोषणाएं की थी, उनमें स्टाम्प अधिनियम में संशोधन करते हुए बिल्डर-डवलपर रेशो डिल में लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी में कमी के साथ एलआईजी, ईडब्ल्यूएस में दी गई छूट सहित मॉडगेज यानी बंधक भूखंडों पर भी ड्यूटी घटाई गई थी। वैसे तो 1 अप्रैल से ही ये प्रावधान लागू हो जाना थे और वाणिज्य कर विभाग ने भी 29 मार्च को ही गजट नोटिफिकेशन कर दिया था, लेकिन पंजीयन विभाग के सम्पदा पोर्टल पर उक्त किए गए संशोधन अपलोड ही नहीं हो पाए थे, जो अभी दो दिन पहले किए गए। हालांकि टेस्टिंग के दौरान कुछ तकनीकी परेशानी अभी भी आ रही है। अब बिल्डर, डवलपर के बीच होने वाली रेशो डिल अगर 50-50 प्रतिशत भागीदारी वाली है तो स्टाम्प ड्यूटी डेढ़ प्रतिशत ही लगेगी। वहीं इसमें अंतर आने पर स्टाम्प ड्यूटी में भी परिवर्तन हो जाएगा।

रियल इस्टेट कारोबार को प्रोत्साहित करने के लिए हालांकि पिछले कुछ वर्षों से गाइडलाइन में इजाफा नहीं किया गया था, लेकिन इस साल इंदौर में ही 5 से लेकर 15 और 20 प्रतिशत तक गाइडलाइन उन क्षेत्रों में बढ़ा दी जहां सबसे अधिक रजिस्ट्रियां हुई हैं। वहीं शिवराज सरकार ने अपने बजट में निम्न, गरीब और मध्यमवर्गी परिवारों को ईडब्ल्यूएस-एलआईजी मकान में लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 5 प्रतिशत की छूट दी, तो उसके साथ ही बिल्डर-कालोनाइजर व डवलपर के बीच किसी भी प्रोजेक्ट में जो एग्रीमेंट यानी जैवी होती है उसमें रेशो डिल के आधार पर स्टाम्प ड्यूटी ली जाती है। पहले यह स्टाम्प ड्यूटी ढाई से लेकर 5 फीसदी तक लगती थी, लेकिन अब इसे घटाकर डेढ़ फीसदी किया गया है। हालांकि यह स्टाम्प ड्यूटी की जाने वाली रेशो डिल में तय प्रतिशत के मुताबिक भी ली जाएगी। 50-50 फीसदी की रेशो डिल में तो डेढ़ फीसदी ही स्टाम्प ड्यूटी लगेगी, जो कि पहले ढाई प्रतिशत थी, लेकिन अगर रेशो डिल 70-30 अथवा 60-40 या अन्य अनुपात में है, तो उसके मुताबिक ही स्टाम्प ड्यूटी की गणना की जाएगी। हालांकि रियल इस्टेट कारोबारियों का कहना है कि इसके साथ जो एक राहत मांगी गई थी, जिसमें रेशो डिल के आधार पर भूखंड या फ्लेट अथवा ऑफिस बेचते वक्त जमीन मालिक के हस्ताक्षर भी लगते हैं। अगर उस प्रावधान को खत्म किया जाता तो बड़ी राहत मिलती। उदाहरण के लिए अगर 50-50 फीसदी की रेशो डिल है तो जमीन मालिक अपने हिस्से के भूखंड-फ्लेट बेच सकता है। मगर डवलपर को अपने हिस्से के भूखंड-फ्लेट बेचते वक्त जमीन मालिक के हस्ताक्षर भी करवाना पड़ते हैं, जिसके चलते कई बार विवाद होने की स्थिति में रजिस्ट्रियां ही अटक जाती है। जिस तरह पहले पॉवर ऑफ अटार्नी का प्रावधान था, उसी तरह की सुविधा रेशो डिल में दी जाना चाहिए थी। बहरहाल सम्पदा पोर्टल पर शासन द्वारा रेशो डिल में जो स्टाम्प ड्यूटी की छूट दी गई थी उसे अपलोड दो दिन पहले कर दिया है। हालांकि आज और कल तो छुट्टी है, जिसके चलते इसका लाभ नहीं मिल सकेगा। सोमवार से ही वस्तु स्थिति स्पष्ट होगी कि पोर्टल किए गए संशोधन को ले रहा है या नहीं। इस बारे में जब वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. दीपक शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि कुछ तकनीकी त्रुटि आने की शिकायत मिली है। अगर वह ठीक नहीं होती तो फिर भोपाल मुख्यालय को अवगत कराया जाएगा।

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