प्रवासी भारतीय सम्मेलन, 2. जी-20, 3. ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट, 4 खेलो इंडिया
इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार बड़े आयोजनों को करने में जितना उत्साह दिखाती है, उतनी ही उदासीनता इन आयोजनों में सहयोग करने वाले स्थानीयों लोगों के साथ रखती है। जनवरी और फरवरी में इंदौर में हुए चार बड़े आयोजनों के लिए शासन ने शहर के जिन होटलों को बुक किया था, उन्हें चार माह बीत जाने के बाद भी अब तक भुगतान नहीं किया गया है। देश-दुनिया से आए मेहमानों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने वाले इंदौर के होटल संचालक आज अपने ही पैसों के लिए सरकारी विभागों के चक्कर लगा रहे हैं। यह राशि सात करोड़ से ज्यादा है।
इंदौर में जनवरी व फरवरी में प्रवासी भारतीय सम्मेलन, ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट, जी-20 और खेलो इंडिया जैसे राष्ट्रीय स्तर के आयोजन हुए हैं। इन आयोजनों के लिए शहर के 40 से ज्यादा होटलों के 4 हजार से ज्यादा कमरों को शासन ने बुक किया गया था। सबसे ज्यादा कमरे प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में लिए गए थे। हर आयोजन के लिए अलग शासकीय विभाग को जिम्मेदारी दी गई थी। जैसे 8 से 10 जनवरी के बीच आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन में विदेशों से आने वाले मेहमानों के लिए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा अपनी वेबसाइट के जरिए होटलों की बुकिंग की गई थी, वहीं 11 और 12 जनवरी को आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम (एमपीआईडीसी) की वेबसाइट के माध्यम से बुकिंग की गई। दोनों ही विभागों ने सभी होटलों की बुकिंग के लिए ओवरसीज ट्रेवल्स कंपनी को अधिकृत किया था। इसी तरह 30 जनवरी से 11 फरवरी के बीच हुए खेलो इंडिया के लिए थॉमस कुक कंपनी को अधिकृत किया गया था और व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा देखी जा रही थी, वहीं 13 से 15 फरवरी के बीच हुए जी-20 सम्मेलन की कमान भी जिला प्रशासन ने संभाली थी, लेकिन इन सभी आयोजनों में आए मेहमानों और मेजबानों के लिए बुक किए गए होटलों को चार माह बाद भी भुगतान नहीं किया गया है।
अपने पैसों के लिए भी भटक रहे होटल संचालक, मिल रहा रोज नया आश्वासन
देश-दुनिया के हजारों मेहमानों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने के बाद भी होटल संचालक अपना ही पैसा पाने के लिए सरकारी विभागों और ट्रेवल कंपनियों के चक्कर लगा रहे हैं। होटल संचालकों का कहना है कि पहले दो आयोजनों के लिए उनके पास सिर्फ बुकिंग आई, लेकिन पैसा नहीं आया, वहीं खेलो इंडिया के लिए थॉमस कुक कंपनी ने 60 प्रतिशत पैसा दिया है और 40 प्रतिशत बाकी है, वहीं जी-20 के लिए भी प्रशासन द्वारा होटल को भुगतान नहीं किया गया है। अब होटल संचालक इन सभी सरकारी विभागों और ट्रेवल कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन पैसों के बजाए रोज नया आश्वासन मिल रहा है।
पैसे देने के बजाए हिसाब में कमियां निकाल रहे विभाग
होटल संचालकों का कहना है कि आयोजनों के लिए शासन-प्रशासन ने छह माह पहले ही होटलों में बुकिंग रोक दी थी। इस कारण उन्हें नुकसान भी हुआ। अब आयोजन के बाद जब होटल संचालक शासन से पैसा मांग रहे हैं तो अधिकारी हिसाब में कई तरह की कमियां निकाल रहे हैं। कुछ होटल संचालकों को कहा जा रहा है कि जितने कमरे बुक किए गए थे, उतने का ही पैसा दिया जाएगा, जबकि यह पहले से तय था कि सभी कमरों के लिए भुगतान करना होगा। अगर ऐसा नहीं था तो होटल संचालकों को खाली कमरे अपने अन्य मेहमानों को देने के लिए छूट दी जानी चाहिए थी, जो नहीं दी गई।
मेहमानों से लिए एडवांस पैसे, होटल संचालकों को चार माह बाद भी नहीं दिए
इस पूरे बिगड़े सरकारी सिस्टम की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन चार में से दो बड़े आयोजन प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए मेहमानों से सरकारी विभाग ने अपनी वेबसाइट के जरिए होटल बुकिंग के लिए एडवांस पैसे लिए थे। इसलिए ऐसा भी नहीं है कि सरकार को सारा पैसा अपनी जेब से देना है, क्योंकि पैसा तो सरकार के जेब में आयोजन से पहले ही आ चुका है, लेकिन आयोजनों के चार माह बाद भी होटल संचालकों को राशि नहीं दी जा रही है।
रोज सरकारी विभागों से कर रहे बात
इंदौर के सभी होटल संचालकों ने सभी आयोजनों के लिए अपना नुकसान उठाकर भी शहर की छवि के लिए अपनी तरफ से हर इंतजाम किया। अब आयोजनों के चार माह बाद भी पैसा ना मिलने से होटल संचालक परेशान हैं। दूसरी ओर विभाग हिसाब में कमियां निकालकर परेशान कर रहे हैं। हाल ही में पर्यटन विभाग से बात हुई है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि इस सप्ताह भुगतान हो जाएगा।
– सुमित सूरी, अध्यक्ष,
इंदौर होटलियर्स एसोसिएशन
शासन को भेजी है फाइल, जल्द होगा भुगतान
यह सही है कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान होटलों की बुकिंग का भुगतान अभी नहीं हुआ है। इसकी सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और फाइल शासन को भेजी जा चुकी है। जल्द ही शासन से भुगतान मिलते ही होटल संचालकों को भुगतान किया जाएगा।
– संदेश यशलाहा,
कंपनी सेक्रेटरी, मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग