अग्नि आलोक
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महिला पहलवान रोयें, हंसता है बलात्कारी शैतान रे

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मुनेश त्यागी

जननी रोये ,पत्नी रोये,रोये सारा गांव रे,
सिर कटे, गोली लगी है कोई नही रोकथाम रे
छप्पन इंची सीना पिचका, रोये हिंदुस्तान रे।

ममता रोये, समता रोये,रोये मजूर किसान रे,
कैसे खिलायें, कैसे रखें, गाय बनी जंजाल रे,
छप्पन इंची सीना पिचका, रोये हिंदुस्तान रे।

हिंदू लडते,मुसलमां लडते, लडता सारा गांव रे,
नोटबंदी से रिश्ते टूटे,चला गया सम्मान रे,
छप्पन इंची सीना पिचका,रोये हिंदुस्तान रे।

किसान मजूर के बेटे मरते,दीखे ना उपचार रे,
कहां गये वो कस्मे वादे, बोल रे जुमलेबाज रे
बता रे छप्पन इंची सीने, रोये हिन्दुस्तान रे।

नारे खोजे, वादे खोजे, ढू्ंडे सरे बजार रे,
मारे भी है रोने ना दे , आफत में है जाने रे,
छप्पन इंची सीना पिचका, रोये हिंदुस्तान रे।

जननी रोये, पत्नी रोये, रोये सारा गांव रे,
पहलवान रोयें, हंसता है बलात्कारी शैतान रे
छप्पन इंची सीना पिचका, रोये हिंदुस्तान रे।

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