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फीमेल ऑर्गेज्म संबंधी फैक्ट्स : क्या कहता है नवीन शोध

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      डॉ. नीलम ज्योति 

   अमूमन महिलाओं को खुद अपने ऑर्गेज्म से जुड़े जरूरी तथ्यों की जानकारी नहीं होती जिसकी वजह से भी वे कहीं न कहीं उचित ऑर्गेज्म प्राप्त नहीं कर पाती हैं।

    वर्षों से पुरुषों के ऑर्गेज्म को प्राथमिकता मिलती चली आ रही है। आज भी कई महिलाएं ऐसी हैं जो अपने पार्टनर से ऑर्गेज्म और सेटिस्फेक्शन के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती। 

*1. नर्व एंडिंग से भरी हुई है क्लीटोरिस :*

    क्लीटोरिस सबसे सेंसिटिव बॉडी पार्ट्स में से एक है। यहां कई नर्व एंडिंग्स होती हैं, जो इसे प्लेजर का पावर हाउस बना देती हैं। इसलिए काबिल मर्द पाने वाली महिलाएं क्लीटोरिस के माध्यम से ऑर्गेज्म तक पहुंचती हैं।

     जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार 36% महिलायें क्लीटोरिस स्टिमुलेशन से ही ऑर्गेज्म प्राप्त करती हैं।

    रिसर्च के प्रयोग में 18% महिलाओं ने पेनिट्रेशन से ऑर्गेज्म प्राप्त किया था। बात यदि मेजॉरिटी की करें तो ज्यादातर महिलाओं के लिए बिना क्लीटोरस के ऑर्गेज्म तक पहुंचना मुश्किल होता है।

*2. मल्टीपल ऑर्गेज्म पॉसिबल :*

   पुरुष एक बार ऑर्गेज्म तक पहुंच जाते हैं तो उन्हें कुछ देर इंतजार करना पड़ता है. महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है। पर्याप्त स्तम्भन शक्ति वाला मर्द हो तो वे एक राउंड में मल्टीपल ऑर्गेज्म (यानी बार-बार तृप्ति) प्राप्त कर सकती हैं।

   जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी द्वारा एक स्टडी की गई. इसमें 18 से 70 साल की उम्र की 2,049 महिलाओं ने पार्टिसिपेट किया. इनमें से 2% महिलाएं मल्टीपल ऑर्गेज्म प्राप्त कर सकती थीं।

   एक अन्य स्टडी में 800 कॉलेज ग्रेजुएट फीमेल स्टूडेंट्स को भाग लेने को कहा गया. परिणाम स्वरूप 3% महिलाएं मल्टीपल ऑर्गेज्म रिसीव की।

      यदि आप एक बार में सेटिस्फाइड नहीं होती और आप मल्टीप्ल ऑर्गेज्म इंजॉय करना चाहती हैं तो यह बिल्कुल सामान्य है, बशर्ते पार्टनर शीघ्रपतन वाला नहीं हो। यदि आप एक ऑर्गेज्म प्राप्त कर पाती हैं तो इसमें स्ट्रेस लेने वाली कोई बात नहीं है। यह भी पूरी तरह से सामान्य है।

     हर व्यक्ति की अपनी शारीरिक क्षमता होती है, यदि एक बिग ऑर्गेज्म के बाद आप डन हो जाती हैं तो यह आपका सेटिस्फेक्शन लेवल है। हर किसी का सेटिस्फेक्शन लेवल अलग-अलग होता है।

*3. अलग-अलग वासनोत्तेजक क्षेत्र सहायक :*

    आपके शरीर में कई सारे वासनोत्तेजक क्षेत्र होते हैं जो सेक्सुअल प्लेजर प्राप्त करने में आपकी मदद करते हैं। साथ ही यह उत्तेजना को बढ़ावा देते हैं।

     निप्पल, क्लीटोरिस, थाई, बटॉक्स, पेट का निचला हिस्सा, पीठ इत्यादि सभी आपको अधिक उत्तेजित करते हैं। इनको टच करने, सहलाने, इनकी मसाज करने की कला पार्टनर में होनी चाहिए.

   ऑर्गेजम प्राप्त करने के लिए आमतौर पर क्लीटोरस, ए स्पॉट, जी स्पॉट और निप्पल की आवश्यकता होती है।

    महिलाएं अपने शरीर की क्षमता अनुसार ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए अलग-अलग वासनोत्तेजक क्षेत्र को स्टिम्युलेट करती हैं। ऐसे में यदि आपको क्लीटोरस या पेनिट्रेशन से ऑर्गेज्म तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है तो आप निप्पल सिमुलेशन ट्राई कर सकती हैं।

*4. सोते हुए भी ऑर्गेज्म संभव :*

    जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी के अनुसार कई बार बिना क्लीटोरिस और अन्य वासनोत्तेजक क्षेत्र को स्टिम्युलेट किए बिना भी ऑर्गेज्म प्राप्त हो सकता है।

   खासकर ऐसा तब होता है जब आप गहरी नींद में होती हैं। कई बार हम ऐसे सपने देखते हैं, जिसमें हम काफी ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं जिसके कारण हमारे इंटिमेट पार्ट में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है और हमें स्लीप ऑर्गेज्म प्राप्त होता है।

 एक स्टडी के अनुसार पेट के बल सोने वाले लोग सेक्सुअल सेंसेशन और स्लीप ऑर्गेज्म का अधिक अनुभव करते हैं।

*5. ऑर्गेज्म प्राप्त करने की क्षमता जेनेटिक भी :*

     जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी के अनुसार आपके ऑर्गेज्म प्राप्त करने की 60% प्रतिशत तक क्षमता के लिए जेनेटिक्स यानी कि डीएनए जिम्मेदार हो सकते हैं।

     इंटरकोर्स के दौरान आपकी क्लीटोरिस और यूरेथ्रा के बीच की दूरी ऑर्गेजम की सीमा को तय करती हैं।

   यदि आपकी क्लीटोरिस और यूरेथ्रा के बीच 2.5 सेंटीमीटर से कम की दूरी है, तो इंटरकोर्स के दौरान आपको ऑर्गेज्म प्राप्त करने में आसानी होगी।

*6. पार्टनर से सेक्स में समय :*

   रिसर्च के अनुसार महिलाओं को पसंद के पार्टनर के साथ सेक्स करते हुए ऑर्गेज्म प्राप्त करने में आम तौर पर 30 से 45 मिनट का समय लगता है।

    कुपोषित, एनीमिया या ल्यूकोरिया ग्रस्त फीमेल वेजाइनल सेक्स में आर्गेज्म के लिए 10 से 15 मिनट का समय लेती है.

   पुरुषों को आर्गेज्म पाने में 3 से 5 मिनट का ही समय लगता है। 

    अकुशल पार्टनर से सेक्स में महिलाओं को ऑर्गेज्म तक पहुंचने में देरी होती है, क्योंकि पुरुष उनके वासनोत्तेजक क्षेत्र का पता नहीं लगा पाते या जल्दी स्खलित हो जाते हैं. इससे वह पर्याप्त उत्तेजित नहीं हो पाती हैं।

 *ऑर्गेज्म के मूलाधार क्लिटोरिस (Clitoris) से जुड़े जरूरी फैक्ट्स :*

          क्लिटोरिस वेजाइना का एक हिस्सा है और यह सेक्स के दौरान प्लेजर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप इसके बाहरी हिस्से को पहचान सकते हैं, जो लेबिया के शीर्ष के पास मटर के दाने के आकार में नव जैसा दिखता है। यह ऊँगली, वैगन, खीरा, सेक्सटॉय, पशुपेनिस, कई औरतखोरों का पेनिस यूज करने से डेमेज होता है. इसके डेमेज होने पर योनि सेंसिटिविटी खो देती है. वह वज्र बन जाती है. तब स्त्री को किसी भी उपक्रम से सेक्ससुख नहीं मिलता. अगर आपको लगता है की आपकी योनि में कोई भी प्रॉब्लम है तो व्हाट्सप्प 99977 41245 पर ऑपाइंटमेंट लेकर हमसे संपर्क करके निःशुल्क चेक-अप और समाधान प्राप्त कर सकती हैं..

*कहां होता है क्लिटोरिस?*

      क्लिटोरिस वल्वा के टॉप पर लोकेटेड होता है। वल्वा आपके इंटिमेट पार्ट्स के बाहरी हिस्सों को संदर्भित करता है, जिसमें योनि, क्लिटोरिस, लैबिया (योनि के चारों ओर त्वचा की परतें), और यूरिनरी ट्रैक (जहां से पेशाब निकलता है) शामिल है।

  *एक्सटर्नल एनाटॉमी :*

   भगशेफ यानी कि क्लिटोरिस के बाहर, क्लिटोरल हुड जो कि त्वचा है, जो ग्लान्स को कवर और संरक्षित करती है। ग्लान्स एक छोटी संरचना है जो डोर्सल नर्व (जो शरीर के अंदर फैली हुई है) के माध्यम से आपको सेक्सुअली उत्तेजित करती है।

     *इंटर्नल एनाटॉमी :*

भगशेफ आपके सोच से कहीं अधिक बड़ा हो सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार यह लंबाई में 9 से 11 सेंटीमीटर मापता है और इसका अधिकांश भाग शरीर के अंदर होता है। बॉडी, रुट, क्रुरा और वेस्टिबुलर बल्ब्स यह सभी क्लिटोरिस आंतरिक भाग हैं।

ये हैं क्लिटोरिस से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स :

     *1. क्लिटोरिस में होते हैं विभिन्न नर्व :*

     वल्वा के सभी अन्य पार्ट्स में से क्लिटोरिस में सबसे अधिक नर्व होते हैं जो इसे अधिक सेंसिटिव बनाते हैं।

      रिसर्च में सामने आया कि क्लिटोरिस ग्लान्स पर लगभग 8000 नर्व एंडिंग होते हैं, इसीलिए इसे प्लेजर का पावरहाउस कहा जाता है।

     *2. हर किसी की क्लिटोरिस अलग-अलग होती है :*

    प्रत्येक महिला को सेटिस्फेक्शन महसूस करने के लिए अलग-अलग तरह की उत्तेजना की आवश्यकता होती है, जो उनके अद्वितीय जीव विज्ञान पर निर्भर करता है।

    क्लिटोरिस संवेदनशील है इसका मतलब यह नहीं कि हर कोई इसे सीधे उत्तेजित करना चाहता है, कुछ महिलाएं सीधा क्लिटोरिस को छूने की जगह इसके आसपास के एरिया को छू कर खुद को उत्तेजित करती है।

*3. क्लिटोरिस उम्र के साथ बढ़ सकता है :*

    हालांकि, आपके क्लिटोरिस का आकार आपके यौन जीवन को प्रभावित नहीं करता है। आपके जीवनकाल में क्लिटोरिस के आकार में बदलाव आ सकता है। मेनोपॉज के बाद हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण कई लोगों की क्लिट बढ़ सकती है।

    यदि समय के साथ आपके क्लिटोरिस के आकार में कुछ अंतर दिखाई देता हैं, तो चिंतित न हों।

*4. क्लिटोरिस भी हो सकती है इरेक्ट :*

      यदि आप इरेक्शन की बात कर रही हैं, तो केवल पेनिस ही नहीं बल्कि क्लिटोरिस भी इरेक्ट हो सकती है। हो सकता है आपने इसे कभी नोटिस न किया हो परंतु यदि आप इसे ऑब्जर्व करेंगी तो इसे महसूस कर सकती हैं।

     यह तब होता है जब वेस्टिबुलर बल्ब कामोत्तेजना के दौरान रक्त से भर जाता है। ब्लड तब तक भरा रहता है जब तक कि इसे ऑर्गेज्म के माध्यम से रिलीज न किया जाए।

*5. क्लिटोरिस है असल जी स्पॉट :*

    हम सभी ने कभी न कभी जी स्पॉट के बारे में जरूर सुना होगा। यह क्लीटोरिस का ही एक हिस्सा है। यह स्पॉट वैजाइना के अंदर होता है, जिससे महिलाओं को ऑर्गेज्म प्राप्त करने में मदद मिलती है।

    जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी द्वारा प्रकाशित रिसर्च की माने तो इंटरकोर्स के दौरान बहुत कम ही महिलाएं ऑर्गेजम तक पहुंच पाती हैं।

      स्टडी में देखा गया कि वेजाइनल इंटरकोर्स से केवल 6% महिलाओं ने ही ऑर्गेजम प्राप्त किया। वहीं दूसरी स्टडी में 8% महिलाओं ने वेजाइनल इंटरकोर्स के दौरान ऑर्गेज्म का अनुभव किया। जिन महिलाओं ने वेजाइनल इंटरकोर्स के दौरान क्लिटोरिस स्टिमुलेशन को भी अपने सेक्स का हिस्सा बनाया उनमें अधिकांश ने ऑर्गेज्म प्राप्त किया।

   (चेतना विकास मिशन).

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