~रीता चौधरी
सूखी यौन-जीवन (सेक्सलाइफ) ही आधार है स्वस्थ गृहस्थी का, विकसित होती सम्पत्ति का और जीनियस संतति का भी. सेक्स लाइफ में चिंता-अवसाद ज़हर का काम करता है. यह सेक्सलाइफ को ही खा जाता है. ज़ब सेक्स लाइफ ही डेड, तब आप अच्छी गृहस्थी, पर्याप्त सम्पत्ति, बेहतर संतति की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. चिंता और अवसाद का तभी समापन हो सकता है ज़ब पति-पत्नि परस्पर अनुकूल हों, पूरक हों, एक-दूसरे के योग्य हों. अगर दोनों में से एक भी प्रतिकूल यानी नशेड़ी, दुराचारी, चरित्रहीन या रोगी है तो सारी संभावना समाप्त हो जाती है. ऐसे पार्टनर को भाड़ में डालें, अपनी लाइफ से बाहर फेक दें यानी अलग हो जाएं. पेरेंट्स या बच्चों के कारण ऐसा नहीं कर सकते तो उसके साथ फॉर्मल रहें, यथासंभव दुनियावी कर्तव्य का रोल निभाएं, लेकिन जियें सिर्फ उसे जो आपको समझे, जो आपको भाये, जो आपको आनंदित बनाये. जीवन बहुत अनमोल है, इसका नाश आत्महिंसा है. ये जीवन दोबारा नहीं मिलना. संबंध= समानता आधारित बंध यानी 'रिस्ता'. रिस्ता = जो जीवन को रसपूर्ण बनाये.
रात में कमरा का दरवाजा बंद है, कमरे में आप पार्टनर के साथ लाइट बंद कर के इंटीमेंट हो रहे हैं। इसी बीच एक नकारात्मक विचारों का झोंका आता है और आपके रोमांटिक माहौल को बिगाड़ कर चला जाता है।
यह अक्सर तभी होता है जब आपके मन में पहले से किसी बात की चिंता हो। चिंता आपके भावनात्मक, मानिसक और शारीरिक हेल्थ को प्रभावित करने में कसर नहीं छोड़ती है। चिंता और तब बढ़ जाती है जब आप बेड पर अपने पार्टनर के रोमांस कर रहे हों और अवसाद उसे प्रभावित कर दे।
चिंता घबराहट, डर, तनाव और बेचैनी जैसी समस्याओं को बढ़ाती है। यह जीवन के हर पहलू में हर व्यक्ति पर हावी है।
चिंता के साथ जीने का मतलब है कि आप जीवन में कुछ भी कर रहे हैं, लेकिन कोई बात ऐसी है जो आपके साथ हर वक्त है। पता होना चाहिए सेक्स और चिंता दोनों एक दूसरे के विपरीत हैं।
आपके मूड का आपके संवाद पर सीधा असर पड़ता है। रिसर्च में चिंता सेक्स को कैसे प्रभावित करती है, इसके बीच भी सीधा संबंध पाया गया है। यह भय, बेचैनी और तनाव को बढ़ाने में कारगर है। जो सेक्स से पहले और बाद में व्यवहार से आपके सोचने की क्षमता को प्रभावित करता है।
जर्नल ऑफ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी में प्रकाशित एक अध्यन में पाया गया कि जो महिलाएं चिंता से की समस्या का शिकार हैं उनमें और सामान्य महिलओं की सेक्स लाइफ में फर्क है। सामान्य महिलाओं की सेक्स लाइफ अच्छी है, चिंता से प्रभावित महिलाओं से।
चिंता- अवसाद का असर :
– इरेक्शन न होना
– शीघ्रपतन
~ विलंबित कामोन्माद
– वैजिनिस्मस
– यौन इच्छा में कमी
– इंटीमेसी से बचना
आइए जानते हैं चिंता आपकी सेक्स लाइफ को कैसे प्रभावित कर सकती है; जिससे आप जागरूक होकर समस्या को बढ़ने से रोक सकें और उसका समाधान कर सकें.
सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी :
जिन लोगों को किसी बात की चिंता होती है, उनमें सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी हो जाती है। खुद कैसे दिखते हैं इसी चिंता में वह सेक्स लाइफ को प्रभावित कर लेते हैं।
आत्मविश्वास की कमी से सेक्स लाइफ बुरी तरह प्रभावित होती है। इससे बचाव करने का प्रयास करें।
इंटीमैसी से बचाव :
जब आप अपने पार्टरन के करीब जाते हैं किस बात की चिंता करते हैं, इस बात का एहसास किया है कभी। सेक्शुअल मेडिसिन सोसायटी ऑफ नार्थ अमेरिका में प्रकाशित एक रिसर्च सेक्स के दौरान व्यक्ति चिंतित होता है, जब वह पहले किसी गहरे आघात का शिकार हुआ हो।
अगर आपका सेक्स एक्सपीरियंस सही नहीं रहा तो किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात करना चाहिए जो आपकी इस समस्या में मदद करेगा।
पार्टनर के साथ संवादशून्यता :
संवाद किसी भी व्यक्ति के बीच की जरूरी कुंजी है। सेक्स के दौरान बात हो या किसी भी समय बातचीत बंद नहीं होना चाहिए।
अपने पार्टनर से हमेशा किसी बात को लेकर चर्चा जरूर करते रहें। ऐसे आप चिंतित महसूस कर रहे हैं तो अपनों बात जरूर करें।
ऑर्गेज्म का अनुभव न हो पाना :
चिंता का अधिक प्रभाव है ऑर्गेज्म को प्राप्त न कर पाना। शोध के अनुसार चिंता का अनुभव करने से ऑर्गेज्म को प्राप्त करने में परेशानी का होती है।
चिंता अधिक नकारात्मक विचार पैदा करती है, जिससे ऑर्गेज्म का अनुभव नहीं हो पाता। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें।
कामेच्छा कम होना और दवाईयों का सेवन :
किसी बात की चिंता अगर आपको है तो सेक्स लाइफ डिस्टर्ब होगी। चिंता अधिक होगी तो सेक्स करने के लिए मन नहीं होगा। ऐसे कामेच्छा की कमी का शिकार हो चुके हैं आप।
आपका कोई ट्रीटमेंट चल रहा है जिससे दवाइयां खा रहे हो आप। अध्यन के अनुसार कई दवाईयों के सेवन से आपके सेक्स लाइफ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सेक्स पॉवर वाली दवाईयां तो सत्यानाश ही कर देती हैं.
हार्वर्ड हेल्थ में प्रकाशित एक अध्यन के अनुसार एंटीडिप्रेसेंट जैसी दवाएं भी सेक्स की इच्छा को कम करती है।
सुधार का तरीका :
– किसी प्रोफेशनल से बात करें
– अपने पार्टनर के साथ अपनी समस्या साझा करें, जिससे पार्टनर आपकी हेल्प कर सके
– डॉक्टर से परामर्श लें और समझें इसे कैसे रोका जा सकता है
– चिंता के शिकार है तो कन्फर्म करें की आप सीबीटी जैसी दवाओं का सेवन कर रहे हैं या नहीं
– ऐसे उपचार चुनें जो चिंता को कम करने में मदद करें.
~ वास्तविक प्रेम और अपनत्व देने वाले इंसान से जुड़ें.
~ कुछ भी संभव नहीं हो, तो चेतना मिशन की निःशुल्क सेवाएं लें.