अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

भर्ती परीक्षा पर सवाल…..फर्जी प्रमाण पत्र से बन गए शिक्षक

Share
  • भोपाल प्रदेश में शायद ही ऐसी कोई भर्ती परीक्षा होती है, जिस पर सवाल खड़े न हों, फिर चाहे मामला राज्य सेवा के अफसरों की  भर्ती का हो या फिर अन्य कोई। अब ताजा मामला शिक्षकों की भर्ती का सामने आया है, जिसमें कई दर्जन युवकों ने फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र बनवा कर दिव्यांगों के हक पर डाका डाल दिया है। इस मामले में अब तक 80 शिक्षक ऐसे सामने आ चुके हैं, जो फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बन गए थे। अब ऐसे शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश लोक शिक्षण संचानालय को देने पड़ रहे हैं। अहम बात यह है कि इस तरह का सर्वाधिक फर्जीवाड़ा मुरैना-ग्वालियर जिले में हुआ है। यह वो जिले हैं, जो व्यापमं भर्ती घोटाले में सर्वाधिक बदनाम रह चुके हैं। इस मामले की शिकायत की जांच में खुलासा हुआ है कि नौकरी के लिए यह फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र पंद्रह से बीस हजार रुपए में बनवाए गए हैं। दरअसल प्रदेश में लंबे समय बाद वर्ष 2018 से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके बाद भी यह भर्ती प्रक्रिया लगातार विवादों में बनी हुई हैं। चुनावी साल होने की वजह से सरकार का पूरा फोकस शिक्षक भर्ती पर बना हुआ है। इस बीच हाल ही में दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने का सामने आ गया है। इसमें कुल अस्सी शिक्षकों में से 60 स्कूल शिक्षा विभाग और 17 ट्राइबल विभाग में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पा चुके हैं। इसी तरह से 3 उम्मीदवारों के दस्तावेजों में ओवरराइटिंग पाई गई है, जिसकी फिलहाल जांच जारी है।
  • इस तरह से हुआ खुलासा
  • दरअसल शिक्षक भर्ती परीक्षा में दिव्यांग कोटे में आरक्षित 755 पदों में से 450 पदों पर अकेले मुरैना जिले के उम्मीदवारों का चयन हुआ है। लगभग इन सभी के विकलांग प्रमाण पत्र ग्वालियर और मुरैना से बने हुए पाए गए हैं। मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा इन सर्टिफिकेटों को फर्जी माना जा रहा है। दरअसल यह प्रमाण पत्र हैं तो असली, लेकिन उन्हें चिकित्सकोंं से सांगठगांठ कर बनवाया गया है। इनमें पैसा लेकर युवकों को वह दिव्यांगता बता दी गई है जो उन्हें है ही नही।
  • मंत्री पर भी भारी है अपर संचालक
  • स्कूल शिक्षा विभाग में भर्ती प्रक्रिया के हाल बेहाल हैं। खास बात यह है कि यह काम अपर संचालक डॉ. कामना आचार्य देख रही है। यह वे महिला अफसर हैं, जिनका तबादला खुद स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने लोक शिक्षण से बाहर कर दिया था , लेकिन उनका रसूख ऐसा है कि वे नई पदस्थापना स्थल पर गईं ही नहीं हैं। इसके बाद भी उनका कुछ नहीं बिगड़ा है। इसके उलट वे फिर से वही पुराने काम देखने लगी। इस भर्ती काम में रमसा के माध्यम से बुजुर्गों तक को लगा रखा है। इसकी वजह से हालात यह हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग में एक भी भर्ती प्रक्रिया बिना अभ्यर्थियों के आंदोलन के पूरी नही होती है। अभी भी आए दिन अभ्यर्थी आंदोलन- प्रदर्शन करते रहते हैं।
  • इस तरह से किया जाता है खेल
  • प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जहां के सरकारी अस्पतालों में ऑडियोलॉजिस्ट ही नहीं हैं। इनमें भी खासतौर पर ग्वालियर-चंबल संभाग सहित टीकमगढ़, छतरपुर जिले शामिल हैं। यह विशेषज्ञ बहरे या कम सुनने का दावा करने वाले लोगों की जांच करने का काम करते हैं। इसके चलते बैरा और ऑडियोमेट्री की जांच के लिए जिला विकलांग पुर्नवास केंद्रों से ग्वालियर के जेएएच (जयारोग्य चिकित्सालय) भेजना पड़ता है। वहां से ऑडियोमेट्री या बैरा रिपोर्ट आवेदक द्वारा ही बोर्ड के सामने पेश की जाती है। बोर्ड भी इस जांच रिपोर्ट का प्रमाणीकरण करवाए बिना विकलांग प्रमाण पत्र जारी कर देती है। सूत्रों का कहना है कि इसी का लाभ उठाकर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने में उपयोग किया गया।
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें