नई दिल्ली । पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। हिमाचल प्रदेश समेत कई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ओपीएस को चुनावी मुद्दा भी बना चुकी है, जहां उसे फायदा भी हुआ है। हिमाचल, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब जैसे राज्यों में सरकारें ओपीएस को लागू भी कर चुकी है। अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ओपीएस की भी काट निकालने जा रही है। दरअसल, सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार कर्मचारी को उसकी आखिरी सैलरी का 40-45 फीसदी पैसा बतौर पेंशन के रूप में हर महीने दे सकती है।
मालूम हो कि अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने पेंशन सिस्टम को रिव्यू करने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया था। नई पेंशन स्कीम को साल 2004 में लागू किया गया था। उससे पहले तक रिटायरमेंट के समय कर्मचारी की सैलरी के हिसाब से पेंशन बनती थी, लेकिन फिर इसे बंद करके नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई थी, जिससे करोड़ों पेंशनधारकों को तगड़ा झटका लगा। 2014 के बाद लगातार कई विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव के हारने के बाद विपक्षी दलों ने ओल्ड पेंशन स्कीम पर फोकस किया है, जिसका उन्हें फायदा भी मिला है
वर्तमान नेशनल पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 10% और सरकार को 14% योगदान करने की आवश्यकता होती है। अंतिम भुगतान उस कोष पर बाजार के रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर फेडरल डेट में निवेश किया जाता है। इसके विपरीत, ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी के अंतिम वेतन के 50% की निश्चित पेंशन की गारंटी मिलती है। दो अधिकारियों ने बताया कि सरकार वर्तमान स्कीम में संशोधन करने की योजना बना रही है ताकि कर्मचारी और सरकार दोनों अब भी योगदान दें और कर्मचारियों को पेंशन के रूप में उनके अंतिम वेतन का 40% -45% सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वह पुरानी पेंशन स्कीम में वापस नहीं जा रहे हैं। दोनों सूत्रों का कहना है कि सरकार का मानना है कि यह उन राज्यों की चिंताओं को भी दूर करेगा जो पुरानी पेंशन सिस्टम में वापस चले गए हैं और पूरे देश को एक वित्तीय रूप से स्थायी पेंशन योजना के साथ कवर किया जाएगा।
2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ओपीएस का खेलेगा दांव?
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीनों का समय बचा हुआ है। बीजेपी के अलावा, कांग्रेस भी चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत विपक्षी दल लोकसभा चुनाव में ओपीएस जैसा कोई दांव खेल सकते हैं। इसके पीछे हिमाचल जैसे राज्यों में मिली जीत है। कांग्रेस ओपीएस को राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश में लागू कर चुकी है, जबकि भगवंत मान की पंजाब सरकार ने इसे पंजाब में भी लागू किया है। दरअसल, हर राज्य में लाखों रिटायर्ड कर्मचारी हैं और विपक्षी दल उन्हें अपनी ओर खींचने के लिए ओपीएस को लागू करने जैसे वादे कर रहे हैं। अब लोकसभा चुनाव में भी ओपीएस के मुद्दे पर बीजेपी को ज्यादा नुकसान न हो जाए, माना जा रहा है कि इसी वजह से केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में बड़े बदलाव करके रिटायर्ड कर्मचारियों को ज्यादा पेंशन का तोहफा दे सकती है।