हरनाम सिंह
#राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हिंदू राष्ट्र के स्वप्न को धरातल पर लाने के लिए संसदीय मार्ग के राजनीतिक मोर्चे पर एक संगठन जनसंघ का गठन किया था, जिसे वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2014 में केंद्र में सत्ता पाने में सफल संघ और भाजपा के विचारों के अनुरूप देश अघोषित रूप से हिंदू राष्ट्र में तब्दील होने के मार्ग पर निरंतर अग्रसर है। और अब साफ्ट (नरम) हिंदुत्व के नाम पर उसे कांग्रेस का साथ मिल रहा है। धर्मनिरपेक्षता की नीति से भाजपा सदैव असहमत रही है। अब इस शब्द के उपयोग से कांग्रेसी भी कतराते हैं। अब तक बहुसंख्यक हिंदू वोटो का दावेदार भाजपा थी अब उसमें हिस्सा बटाने के लिए कांग्रेस स्वयं का भाजपाई करण कर रही है।
#हिंदू समर्थक पार्टी कांग्रेस
भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस मुस्लिम परस्त होने के प्रचार से बचते हुए स्वयं को हिंदू समर्थक दल के रूप में प्रदर्शित कर रही है। इस मुहिम में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सबसे आगे हैं। भाजपा द्वारा प्रचारित करने पर कि सोनिया गांधी और उनका पूरा परिवार हिंदू नहीं है इसके जवाब में राहुल गांधी और प्रियंका स्वयं को हिंदू प्रमाणित करने की होड़ में शामिल हैं। हाल ही में जबलपुर में प्रियंका गांधी ने 101 ब्राह्मणों के साथ नर्मदा पूजन एवं तांत्रिक क्रिया में भाग लिया था। उस स्थान पर 30-30 फिट की गदाएं प्रदर्शित की गई। ये सारे प्रयास हिंदुत्ववादी छवि के लिए किए जा रहे हैं।
कमलनाथ और उनके पुत्र ने सागर में हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमान प्रतिमा पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा करवाई थी। यही नहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कमलनाथ ने एक परिपत्र जारी कर कांग्रेस कार्यालयों में हनुमान चालीसा का पाठ करवाने के निर्देश दिए थे।कांग्रेस ने “धर्म एवं उत्सव प्रकोष्ठ” का गठन किया है, जिसके प्रदेश अध्यक्ष ऋचा गोस्वामी के अनुसार कांग्रेस सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में सुंदरकांड का पाठ करवाएगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में ऐसे 108 पाठ किए जाएंगे। कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में धर्म संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मंदिर, मठ के पुजारी शामिल हुए थे। कांग्रेस संगठन में “मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ” का भी गठन किया गया है।
#अन्य नेता भी पीछे नहीं हैं
संघ द्वारा पोषित कथावाचक, प्रवचन कार जो खुलकर हिंदू राष्ट्र निर्माण का प्रचार करते हैं। वोटों के लिए उनको साथ लेना भी कांग्रेस को मंजूर है।पंडित प्रदीप मिश्रा कहते हैं कि “मोदी है तो हिंदू हैं” इन्हीं पंडित मिश्र की छिंदवाड़ा में कथा करवाने के लिए कमलनाथ बेचैन है। ऐसी ही कथा वे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की भी करवाना चाहते हैं जो सदैव हिंदू राष्ट्र की पैरवी करते रहे हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन कांग्रेस के पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल बेटमा में तथा प्रदेश महामंत्री शरद सिंह सिसोदिया धार में करवा चुके हैं। इसके पूर्व नवंबर 2022 में इंदौर में कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला ने भी इनकी कथा का आयोजन किया था। भोपाल में कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला ने लॉटरी के माध्यम से चुनिंदा 350 महिलाओं को गिरिराज परिक्रमा के लिए भेजा। जो महिलाएं न जा सके उनको साड़ी मिठाई और राधा कृष्ण की तस्वीर भेंट की गई। इंदौर विधानसभा क्षेत्र एक से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला 20 जून 2023 से अपने विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 11 के निवासियों को मथुरा वृंदावन की यात्रा के लिए भेज रहे हैं। इसके पूर्व भी विधायक सभी वार्डो से 600- 600 निवासियों को अयोध्या की यात्रा करवा चुके हैं।
#धर्मनिरपेक्ष कांग्रेसी
नरम हिंदुत्व के इन सारे आडंबरों के बीच सांप्रदायिकता से वर्षों से लोहा लेते रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खुलकर ऐसे प्रयासों की निंदा करते रहे हैं। हाल ही में एक ट्वीट में उन्होंने सनातन धर्म का प्रचार करने वाले बाबाओं को पाखंडी बताया है। यही नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह पंडित धीरेंद्र शास्त्री को भाजपा का प्रचारक बता चुके हैं।
#हिंदुत्व असफल मुद्दा
चुनावी राजनीति में हिंदुत्व का मुद्दा अब असरकारक नहीं रहा है। कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने इसके माध्यम से सफलता प्राप्त करने के प्रयास किया था जिसमें वह असफल रही। कर्नाटक चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर के संपादक का मानना है कि अब केवल हिंदुत्व के नारे से चुनाव नहीं जीता जा सकता। आगामी चुनाव में भाजपा तो हिंदुत्व को शायद ही दांव पर लगाए, लेकिन कांग्रेस इसे अपने प्रचार में यह कह कर मुद्दा बना रही है की असली हिंदुत्ववादी तो कांग्रेस ही है।
#धर्म निरपेक्ष मूल्यों की हार
कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व की कवायद से धर्मनिरपेक्ष मूल्य हाशिए पर चले गए हैं।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यही चाहता है। भाजपा के बाद अब संघ की मंशा कांग्रेस पूरा कर रही है। महात्मा गांधी की सर्व धर्म प्रार्थना और “वैष्णव जन तो तेने कहिए, जो पीर पराई जाणे रे…. का स्थान अब हनुमान चालीसा और सुंदरकांड ने ले लिया है। संघ और भाजपा इस मायने में भी सफल रहे हैं कि उन्होंने अन्य पार्टियों को धर्मनिरपेक्षता के एजेंडे से दूर कर दिया है। कांग्रेस के नरम हिंदुत्व से उसे चुनाव में सफलता मिल भी जाए निश्चित ही वह हर हाल में भाजपा सरकार से तो बेहतर ही होगी, लेकिन कांग्रेस की यह जीत हिंदुत्व की ही जीत होगी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की हार होगी। आज का सॉफ्ट हिंदुत्व, कट्टर हिंदुत्व में नहीं बदलेगा ऐसा नहीं कहा जा सकता। भाजपा के हिंदुत्व और कांग्रेस के हिंदुत्व के बीच एक झीनी सी दीवार है, अल्पसंख्यक समुदाय से नफरत की। कब वह दीवार गिर जाएगी यह तो समय ही बताएगा।