अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

मणिपुर के सच के बीच राहुल गांधी की पहुंच

Share

                     -सुसंस्कृति परिहार

चोरी चोरी चुपके चुपके और अब सीनाजोरी करके मणिपुर को डबल इंजन सरकार जिस तरह नफ़रत की भूमि बनाने पर आमादा है उसका सच तब उजागर हुआ जब कांग्रेस के ऊर्जावान नेता राहुल गांधी इम्फाल राजधानी पहुंचे और मणिपुर वासियों की महिलाओं ने ‘वी वांट पीस’ के पोस्टरों के साथ कतारबद्ध होकर उनका दिली स्वागत किया।विदित हो इस राज्र्य में भी मातृ सत्तात्मक समाज है।उनकी ऐतिहासिक उपस्थिति बहुत कुछ कहती है। राज्य और केन्द्र सरकार के मिले-जुले रवैये से प्रताड़ित लोगों ने राहुल गांधी में अभूतपूर्व विश्वास दिखाया है। यहां उनके प्रति दीवानगी  का आलम देखते ही बनता था।

यहां के भावुक दृश्यों और समाचार को मोदी मीडिया ने नहीं दिखाया क्योंकि इन दृश्यों ने उनकी हालत पतली कर दी। एयरपोर्ट से 20 कि मी दूर  उनको यह कहकर रोक दिया गया कि आगे हालात बहुत खराब हैं उनकी जान को ख़तरा हो सकता है।जबकि वस्तुस्थिति यह थी कि जनता राहुल को देखने बेताब थी वे उनसे अपने दुख बांटकर हल्का होना चाह रहे थे वे डबल इंजन सरकार में विश्वास खो चुके हैं तब दिलासा देने जोखिम लेते हुए यह तमन्ना पूरी कर दी राहुल गांधी ने उधर मोदी मीडिया में भाजपा के भांड़ पात्रा यह कह रहे थे बड़ी संख्या में लोग राहुल ‘गो बैक’ के नारे लगाते हुए उनका इंतज़ार कर रहे हैं और कोई अनहोनी टालने के मकसद से राहुल गांधी को रोका गया है। राहुल की चिंता करने वाली ये सरकार अपने वोटरों के प्रति चिंतित नहीं हुई ये मज़ाक़ ही लगता है।

उधर जुझारू और संवेदनशील राहुल गांधी हर हाल में पीड़ित लोगों से मिलने उनके शिविरों और हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में जाने बेताब थे। कांग्रेस के साथियो और वहां मौजूद जुटे मणिपुर वासियों ने इसका जबरदस्त तौर पर प्रतिरोध किया तब सरकार ने उन्हें हेलीकाप्टर उपलब्ध कराया वे सभी जगह तो नहीं पर चन्द्रचूरापुर शिविर में ही पहुंच पाए पीड़ित लोगों से मिले और आसपास कुछ क्षेत्रों का जायज़ा लिए और तब ज्ञात हुआ कि ये लोग किस बुरी तरह भाजपाई सरकार के शिकार बने हैं।झूठ बोलकर कूकी और अन्य पहाड़ी संगठनों का वोट हथियाए और बाद में उनको और मैंतेई लोगों को परस्पर ख़ून खराबा कर उजाड़ने मज़बूर कर दिया।वहां जो सद्भाव का माहौल था उसको समाप्त किया।जो संघ का जाना माना एजेंडा है। इसीलिए लोग इसे गुजरात नरसंहार के बाद दूसरे मणिपुर नरसंहार की संज्ञा दे रहे हैं।आज मणिपुर सिसक रहा है मोगली खुश हैं।

एक ऐसा राज्य जहां के लोगों ने वहां भाजपा सरकार  बनाई हो और जब भाजपा की केन्द्र में सरकार हो उसमें दो माह से आग जल रही हो, लोग बेघर परेशान दर दर ठोकरें खा रहे हों मां बच्चों की दर्द भरी चींखें गूंज रही हो उस बारे में मोगली जी संवेदना के दो शब्द ना बोल रहे हों वहां की अवाम क्या करेगी जो सहानुभूति जताने आएगा दुख दर्द में भागीदार बनने आएगा उसे लोगों का प्यार मिलेगा तब पात्रा उसे गो बैक राहल बताए तो भला कौन विश्वास करेगा?

साजिशों से येन केन प्रकारेण सरकार बनाने में माहिर  संघीय भारत सरकार ने राहुल की लोकप्रियता और मणिपुर घटना पर उनकी ज़िंदादिल पहल देखते हुए एक और छिछोरी हरकत की । मुख्यमंत्री का इस्तीफा बाकायदा टाईप किया गया उसे राज्यपाल को देने से पहले प्रायोजित चंद महिलाओं में से उनकी समर्थक एक महिला की हिम्मत  देखिए वह मुख्यमंत्री से इस्तीफा छीन लेती है उसे फाड़ देती है जिसे जनता की इच्छा बताया जा रहा है। पुलिस और मौजूद भारी बल के बीच यह सब हो जाता है।वह फटा इस्तीफा मोदी मीडिया शान से दिखाता है और मुख्यमंत्री फिर इस्तीफा देने की बात नहीं कहते। ये उनकी लोकप्रियता के लिए किया गया एक अनूठा प्रयोग है।सत्ता बचाने का अद्भुत प्रयोग।जबकि मणिपुर वासियों की दर्दनाक दास्तान राहुल गांधी की यात्रा के बाद आए वीडियो साफ़ बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री कितने  लोकप्रिय हैं। हालांकि अमित शाह ने दो दिन मणिपुर की राजधानी इम्फाल में बिताए,शांति कमेटी बनाई गई और बाद में यह कहा गया वहां अब शांति है किंतु राहुल के जाने पर अशांति की बात कहकर वे बुरी तरह लपेटे में आ गए हैं।वह अभी भी अशांत है और शांति की बाट जोह रहा है।

राहुल गांधी की इस महत्वपूर्ण यात्रा को मोदी मीडिया कितना भी छिपाए सोशल मीडिया यह राज धड़ल्ले से बाहर ला रहा है जिससे संपूर्ण पूर्वांचल में राहुल के प्रति विश्वास की एक लहर उठ गई है यहां तक विदेश की धरती पर भारत सरकार के प्रति प्रतिरोध बुलंद हो रहा है। मणिपुर में सरकार बनाकर वहां की अवाम के  साथ जो चल रहा है उसके पीछे का रहस्य यह है कि वहां के दोनों प्रमुख जातियों कूकी और मैंतेई के बीच आग लगाकर मणिपुर के कीमती खनिज पदार्थों का दोहन करना है जिस पर चीन और म्यांमार की नज़र है। दिक्कत ये है कि कूकी और नागा जनजाति अपनी पहाड़ी ज़मीन से बेपनाह मोहब्बत करते हैं ठीक बस्तर के आदिवासी लोगों की तरह जिन्हें नक्सली बना दिया गया। 

बहरहाल यह सवाल गंभीर है इस पर खुलकर तमाम राजनैतिक दलों को विचार विमर्श करना होगा वरना मणिपुर को चीन कब हथिया ले कहा नहीं जा सकता। म्यांमार के चरमपंथियों से भी ख़तरा विद्यमान है इसलिए राहुल गांधी की पहल और मणिपुर वासियों के अनुराग को नज़र अंदाज़ करना भारी भूल साबित हो सकती है। राहुल गांधी का मणिपुर पहुंचना देश की अखंडता के लिए बहुत महत्वपूर्ण कहा जायेगा।

ReplyReply to allForward
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें