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सरकारी अस्पताल में पहली बार:एलडीएल-एफरेसिस के इस्तेमाल से कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल एमवायएच

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इंदौर

शरीर में बैड कोलेस्ट्राॅल का स्तर 130 से ज्यादा होना खतरनाक माना जाता है। शहर की एक युवा डॉक्टर के शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 600 तक पहुंच गया, जो दवा से भी कम नही हो रहा था। इस पर डॉक्टरों ने नई पद्धति (एलडीएल-एफरेसिस) का इस्तेमाल कर इलाज किया। मप्र में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में यह प्रक्रिया की गई।

जानकारी के अनुसार 26 वर्षीय डॉक्टर जन्मजात इस समस्या से जूझ रही थी। इसे “हायपर कोलेस्टेमिया’ कहते हैं। उनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 500 से 600 तक पहुंच गया और कम नहीं हो रहा था। मेडिसिन विभाग में प्राेफेसर और ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ए.डी. भटनागर ने पहले दवाइयों से इसे कम करना चाहा लेकिन दवा असर नहीं कर रही थी।

जिसके बाद उन्होंने एलडीएल-एफरेसिस करने का निर्णय लिया। डॉ. भटनागर ने इसके लिए ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. अशोक यादव से बात की। डॉ. यादव व डॉ. अमृता त्रिपाठी टेक्नीशियन की टीम और मशीन लेकर कार्डियक आईसीयू पहुंचे। वहां बुधवार को यह प्रक्रिया की गई। आमतौर पर इतनी कम उम्र में कोई भी व्यक्ति बढ़ते कॉलेस्ट्रॉल का शिकार नहीं होता है।

क्या है एलडीएल-एफरेसिस

एक ऑटोमेटिक मशीन होती है जिसमें ब्लड डाला जाता है। इसमें विशेष प्रकार का फिल्टर लगाया जाता है। जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल उसी में रह जाता है। बाकी कोलेस्ट्रॉल साफ होकर शरीर में जाता है। इसके लिए एक ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि यह कोलेस्ट्रॉल साफ करने की विधि है।

वंशानुगत कारण से होने वाली इस समस्या को फेमेलियर हाइपर कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। हालांकि इसके लिए अब दवाइयां आ गई हैं। यह दवाइयां महंगी होती हैं। अभी यहां एलडीएल-एफरेसिस नहीं किया जा रहा है।

– डाॅ. राेशन राव, कार्डियोलॉजिस्ट

एलडीएल बढ़ने से मोटापा, बीपी और हार्ट सहित अन्य समस्याएं हो सकती हैं

शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं। पहला एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल ) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी बैड कोलेस्ट्रॉल )। बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से मोटापा, बीपी और हार्ट सहित अन्य समस्याएं हो सकती हैं। किसी भी स्वस्थ व्यक्ति में एलडीएल की मात्रा 130 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। डॉ. भटनागर ने बताया कि एलडीएल-एफरेसिस के बाद 4 हफ्ते तक मरीज सामान्य होता है। उसके बाद फिर यह करना होता है। निजी अस्पताल में इसका प्रति साइकिल एक लाख खर्च आता है।

ऐसे बहुत कम मामले होते हैं

आमतौर पर इतनी कम उम्र में यह समस्या नहीं होती है। हायपर कोलेस्टेमिया के मरीज का कोलेस्ट्रॉल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ होता है। दवा से कम नहीं हो रहा था। इसलिए नई पद्धति से इसे निकाला। ऐसे बहुत कम मामले होते हैं।

– डॉ. ए.डी. भटनागर, ह्रदय रोग विशेषज्ञ, एमवायएच

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