रीता चौधरी
पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं काफी अधिक संख्या और अनुपात में मोटी-थुलथुली पायी जाती हैं. ये कस्मेटिक की लीपापोती से भ्रम पैदा करती हैं, वर्ना ब्यूटी भी इनकी डल ही रहती है. मूड तो शायद ही कभी सहज रहता हो, सहजता और मुश्कान का पाखंड भर करती हैं ये. इन सबका कारण यह है की महिलाएं खुद के प्रति ज्यादा केयरलेश होती हैं.
महिलाओं के अभिषप्त जीवन का दूसरा सबसे बड़ा कारण है सेक्स. सेक्स से बचना, अपूर्ण सेक्स नशीब होना, एकाधिक से सेक्स करवाना : तीनों स्थितियां उनके लिए ज़हर सावित होती हैं. सेक्स से बेहतर व्यायाम कोई नहीं है. ढंग से सेक्स-सेलिब्रेशन हो तो एक साथ सभी बॉडी पार्ट्स का व्यायाम होता है और मन-मस्तिष्क का भी.
पेनिस्ट्रेशन से स्त्री के डिस्चार्ज होने पर उसकी सर्वाधिक कैलोरी वर्न होती है. लेकिन यह मक्खी-मच्छर या छींक जैसे सेक्स से नहीं होता. स्त्री टांगे फैलाकर मुर्दे- सी लेट जाए और पुरुष चंद मिनट में फ़ारिग हो ले तो कौन- सा व्यायाम घटित होगा? सेहत, सुंदरता, स्मार्टनेस, हॉटनेश के लिए नियमित कम्प्लीट सेक्स तो स्त्री को लेना ही चाहिए : चाहे एक सप्ताह में न सही, दो सप्ताह में ही एक रात ले.
एकाधिक का सेक्स लेना हार्मोनल और मेंटल असंतुलन तक को जन्म देता है. समस्या और बढ़ती है. ऐसा सेक्स लाभकारी होता तो बदचलन या वेश्या औरतें सबसे अधिक सूखी रहती.
बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का जोखिम बढ़ने लगता है। मगर दिनभर के बाकी कामों को पूरा करने के चलते अपनी बॉडी को अवॉइड करने लगते हैं। शरीर में जल्दी थकान और कमज़ोरी महसूस होने लगती है। इसके चलते हम कई कार्यों को पूण रूप से नहीं कर पाते हैं।
अगर आप 30 की उम्र में भी 20 के समान एक्टिव और फ्लैक्सिबल बनी रहना चाहती हैं, तो वर्कआउट को रूटीन में शामिल करना बहुत ज़रूरी है। बहुत सी महिलाएं चाय की चुस्की से ही दिन की शुरूआत करती है। मगर उससे पहले किया गया कुछ देर का वर्कआउट आपके लिए वरदान साबित हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) और सीडीसी (Centres for disease control and prevention) के अनुसार 64 वर्ष की आयु तक के लोगों को दिनभर में कम से कम 50 से 100 मिनट तक मॉडरेट एक्सरसाइज़ करनी चाहिए।
30 से 60 मिनट का समय एरोबिक एक्सरसाइज़ के लिए निकालना चाहिए। इसके अलावा हर सप्ताह पाँच से लेकर सात दिन तक करीब 30 मिनट एक्सरसाइज़ के लिए ज़रूर निकालें।
इसके अलावा सप्ताह में दो दिन मांसपेशियों की मजबूती बनाए रखने के लिए विशेष व्यायाम करने चाहिए। वर्कआउट रूटीन में स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ को शामिल करें। इससे शरीर में लचीलापन बना रहता है।
बॉडी को वर्कआउट से मिलते हैं ये फायदे :
*1. हृदय रोग का खतरा टल जाता है :*
अगर आप वर्कआउट करती हैं, तो हृदय रोग का जोखिम कम हो जाता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक अगर आप नियमित तौर पर एरोबिक एक्सरसाइज़ को फॉलो करती हैं, तो इससे हार्ट के मसल्स को तेजी से पंप करने में सहायता मिल जाती है।
*2. हड्डियों को मज़बूती मिलती है :*
40 से लेकर 45 के करीब महिलाओं में मेनोपॉज की कंडीशन में बॉडरी के अंदर एस्ट्रोजन होर्मोन का लेवल कम होना शुरू हो जाता है। इससे बॉडी में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ने लगता हैं।
ऐसे में रोज़ाना वर्कआउट करने से शरीर में गठीलापन आने लगता है। साथ ही हड्डियों की कमज़ोरी के अलावा जोड़ों में उठने वाले दर्द की संभावना भी काफी कम हो जाती है।
*3. मूड स्विगंस से राहत :*
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक साल 2019 में हुए एक रिसर्च में पाया गया है कि 50 की उम्र में लोग अक्सर अकेलेपन का शिकार होने लगते हैं।
इसका प्रभाव मेंटल हेल्थ पर दिखने लगता है। इसके चलते हम अंदर ही अंदर उदास और मायूस महसूस करते हैं। ऐसे में दिनचर्या में अगर कुछ वक्त वर्कआउट के लिए निकाल लेती हैं, तो इससे न सिर्फ बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर होने लगता है।
साथ ही शरीर में एंडोर्फिन होर्मोन में वृद्धि होती है। जो एक हैप्पी होर्मोन है। इससे आप चिंतामुक्त रह पाते हैं।
*4. कोलेजन बढ़ने लगता है :*
उम्र का प्रभाव स्किन पर भी नज़र आने लगता है। दरअसल, 40 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते स्किन में नेचुरल कोलेजन प्रोडक्शन घटने लगता है। इसके चलते चेहरे पर झुर्रियां, आंखों के नीचे काला पन और त्वचा की कसावट गायब होने लगती है।
कोजेलन एक प्रकार का प्रोटीन है। इसकी मदद से हमारी बॉडी में मसल्स, स्किन और हड्डियों तक हर चीज़ को फायदा मिलने लगता है।
झुर्रियां, जोड़ों की जकड़न और त्वचा की इलास्टिसिटी में कमी आना संकेत है कि काेलेजन का प्राेडक्शन धीमा होने लगा है।
*5. यह भी ध्यान रखें :*
दिनभर में 15 से 20 मिनट मेडिटेशन के लिए अवश्य निकालें। इससे आत्म नियंत्रण बढ़ने लगता है और तनाव व रोष से मुक्ति मिल जाती है।
अगर आप स्किपिंग या हाई इंटेसिटी एक्सरसाइज़ करना चाहती हैं, तो उसके लिए शरीर को फिट होना ज़रूरी है। इसके अलावा आप इसमें मॉडरेशन भी कर सकती है।
शुरूआत में ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ अवश्यस करें। खुद को किसी भी प्रकार के हैवी वर्कआउट से बचाकर रखें।
बॉडी को शेप में लाने के लिए चेयर बेस्ड एक्सरसाइज़ के अलावा कुछ देर तक स्क्वैट्स भी करें। इससे शोल्डर्स और बैली बेहतर होने लगते हैं।
अगर आप प्रेगनेंट है या फिर मेनोपॉज से गुज़र रही हैं, तो वेट लिफिंटंग एक्सरसाइज करने से परहेज करें।