अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

मणिपुर में काबा कोई बताएगा क्या?

Share

                    -सुसंस्कृति परिहार

मणिपुर में हालात काबू होने की बजाय बिगड़ते जा रहे हैंइस पूर्वोत्तर राज्य से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. दरअसल 4 मई का एक वीडियो  जिसमें कूकी समुदाय की दो महिलाओं को मैतेई पक्ष के कुछ लोग निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमा रहे हैं।

 इस घटना के सामने आने के बाद इलाके में तनाव फैल गया है। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के गुरुवार को होने वाले प्रदर्शन से ठीक एक दिन पहले प्रसारित किया जा रहा था।बताया जा रहा है कि ये वीडियो इस वजह से वायरल किया जा रहा है, ताकि उस समुदाय की दुर्दशा को उजागर किया जा सके।

ITLF के एक प्रवक्ता ने बताया कि इंफाल से 25 कि भी दूर कांगपोकपी जिले में मई का है। इसमें महिलाओं को नग्न अवस्था में दर्शाया गया है। वीडियो में पुरुष पीड़ित महिलाओं से लगातार छेड़छाड़ करते दिखाई दे रहे हैं। वहीं पीड़ित महिलाएं बंधक बनी हुई हैं और लगातार मदद की गुहार लगा रही हैं। उन्होंने बताया कि अपराधियों ने इस वीडियो को बनाने के बाद वायरल भी कर दिया है। इससे इन निर्दोष महिलाओं द्वारा झेली गई भयावह यातना कई गुना बढ़ गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है हालांकि अज्ञात सशस्त्र बदमाशों द्वारा 2 महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के वायरल वीडियो के संबंध में, अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या आदि का मामला दर्ज किया गया है। अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ नोंगपोक सेकमाई पीएस (थौबल जिला) में मामला दर्ज किया गया है।

इस घटना के सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि मणिपुर पर केन्द्र सरकार की चुप्पी और मणिपुर की डबल इंजन सरकार का रवैया ठीक नहीं है बल्कि कूकी जनजाति के खिलाफ मैंतेई को उकसाने वाला है।जैसा कि अब तक यह जाहिर हो चुका है कि मैंतेई लोग जो 55% के  करीब हैं उन्हें अनुसूचित जन जाति का दर्जा देकर वहां मौजूद 40%कूकी जनजाति का जल जंगल जमीन से हक छीनकर कारपोरेट को देना चाहते हैं। मेहनत कश कूकी जनजाति के लोग इसलिए उजाड़े जा रहे हैं,उनके घरों को जलाया गया वे विस्थापित किए जा रहे हैं।उनका कितना बुरा हाल है 4मई का सामने आया वीडियो है।इससे कूकी खौले हुए हैं और मैतेई को अपना शत्रु मान जी जान से लड़ते हुए मारे जा रहे हैं वे पलायन कर पड़ौसी असम, मिजोरम, नागालैण्ड की तरफ पलायन भी कर रहे हैं जो चिंताजनक है ये राज्य उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे यह हम सभी भलीभांति जानते हैं कि शरणार्थियों के प्रति अब देश का रवैया क्या है? गुरुवार के प्रदर्शन के बाद स्थितियां बहुत बिगड़ी लग रही हैं।

अफ़सोसनाक यह है कि कूकियों के साथ जो घटित हो रहा है वह सरकार की मेहरबानी से सामने नहीं आ रहा है इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं हवाई जहाज से निगरानी सरकार कर रही है। शर्मनाक यह है कि हमारी केन्द्र सरकार मणिपुर को नाश करने के तकरीबन दो माह बाद सर्वदलीय बैठक हो रही है इससे पहले 24जून को एक सर्वदलीय बैठक 18 दलों ने मणिपुर में हिंसा को देखते राष्ट्रपति शासन की मांग की थी जिसे नहीं माना गया।तब से अब तक मणिपुर लगता है युद्ध जैसी स्थिति में पहुंच चुका है। 

जबकि यह विषय अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर आ चुका है मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी हिंसा के मामले में भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के संकेत मिल रहे हैं। यह विचारणीय और शर्मनाक है हार्लांकि भारत ने इसका विरोध किया है।यूरोपीय संसद इस मामले में बहस कर रही है. लेकिन भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।अंग्रेजी अख़बार ‘द हिंदू’ की ख़बर में कहा गया है कि भारत ने इसे अपना आतंरिक मामला बताते हुए यूरोपीय संसद की मणिपुर हिंसा पर ‘अर्जेंट डिबेट’ की योजना को ख़ारिज किया है।

यह ख़बर भी मिल रही है कि इंफाल में पढ़ने वाले  राज्यों के विद्यार्थियों को भी वापस निकालने का सिलसिला शुरू हो चुका है।उधर असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस का दावा है कि हालात सुधर रहे हैं।परस्पर विरोधी इन दावों से तो यही लगता है हालात बेकाबू हैं।मीना चानू ने जिस अंदाज़ में मणिपुर बचाने की गुहार लगाई है वह यह बताती है कि वहां के हालात बदतर हैं।एक महिला द्वारा मुख्यमंत्री का इस्तीफा फाड़े जाने की कथित साजिश के बावजूद पद पर बने रहना और महिलाओं के साथ इस तरह के हो रहे घृणित और लज्जा जनक व्यवहार के प्रति क्या वह महिला शर्मिंदा नहीं हुई। मुख्यमंत्री शर्मिंदा होंगे यह कहना तो भाजपा का अपमान होगा। महिला आयोग  सामाजिक कार्यकर्ताओं खासकर महिलाओं को इस ख़बर को संज्ञान में लेकर शीध्र कदम उठाना होगा।इस बीच सोमवार से शुरू होने वाले मानसून सत्र से भी उम्मीद बंधती है।

आज ज़रूरत इस बात की है कि मणिपुर में काबा जानने के लिए राहुल गांधी की तरह मणिपुर को बचाने अन्य दलों , पत्रकारों और समाज सेवियों को भी आगे आकर वहां जाकर वस्तुस्थिति से अवगत कराना होगा वरना तिल तिल करके मणिपुर के मैंतेई और कूकी ख़त्म हो जायेंगे।उनके भाईचारे को बर्बाद करने वालों की पहचान कर उन्हें नेस्तनाबूद करना होगा तभी मणिपुर हम बचा पाएंगे।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें