शशिकांत गुप्ते
आज सीतारामजी कुछ गणना कर रहे थे। मैने पूछा क्या कर रहे हो?
सीतारामजी ने कहा घरेलू खर्च का बढ़ते महंगाई में Calculation कर रहा हूं।
मैने कहा इन दिनों लोग Calculation को भूल गएं हैं।
Manipulation में निपुण हो गए हैं।
चर्चा को बढ़ाते हुए,मैने कहा आपको तो मालूम ही है,अपने देश में आधिकारिक (officially) तौर पर 26+38=64 राजनैतिक दल हैं?
इनके दलों के अलावा भी बहुत से दल हैं। ये शेष दल विशेष अवसर की प्रतिक्षा में रहते हैं।
सीतारामजी ने पूछा यह विशेष अवसर का मतलब?
मैने कहा यह सिर्फ अवसर नहीं अवसरवादिता है,मसलन जिधर बम उधर हम वाली कहावत को चरितार्थ करते हैं?
सीतारामजी ने कहा कुछ निर्दलीय भी तो हैं?
मैने कहा ये निर्दलीय तो,सिर्फ manipulation के लिए काम में आते हैं। यदि सत्ता पर विराजमान होने के लिए वांछित संख्या में कमी होने पर इन निर्दलियों की पौ बारह हो जाती है।
सीतारामजी ने कहा आधिकारिक दलों के अलावा शेष दलों की संख्या कितनी होगी?
मैने कहा शेष दलों की संख्या लगभग ग्यारह हो सकती है। कुल 64+11=75 दल हो जाते हैं।
इसका औसत निकलने पर यह ज्ञात होता है कि, प्रत्येक दल लगभग 1.87 करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात अपने देश का हरएक दल भ्रष्टाचार का विरोधी है। यह बात मैं टीवी चैनल पर होने वाली बहस में हिस्सा लेने वाले दलों प्रवक्ताओं की भाषा में ही पूर्ण जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं।
सभी दल देश की उन्नति चाहते हैं।
कोई एक दल ढूंढ के दिखा दो जो भ्रष्टाचार का विरोध न करता हो?
इसीलिए नेताओं पर भ्रष्टाचार के सिर्फ आरोप लगते हैं,आरोप सिद्ध कभी भी नहीं होते हैं।
सीतारामजी ने कहा सुना है,राजनैतिक दलों को संचालित करने के लिए देश के धनकुबेर जो आर्थिक मदद करतें हैं,उसे Donation मतलब दान कहते हैं।
मैने कहा यह donation नहीं होता है,यह निवेश अर्थात (investment) होता हैं।
दान देने पर तो यह कहावत बोली जाती है नेकी कर दरिया डाल। निवेश को भुनाया जाता है।
भुनाने का तरीका Reciprocal मतलब पारस्परिक सूझ बुझ से खग जाने खग की भाषा में होता है। यह समझना आम जन के बूते की बात नहीं है?
अंत में आम आदमी स्थिति तो फिल्म श्री ४२०(१९५५) के इस गीत की कुछ पंक्तियों जैसी ही है। गीतकार शैलेन्द्र रचित गीत की पंक्तियां प्रस्तुत हैं।
सीधी सी बात है न मिर्ची मसाला
कहके रहेगा कहने वाला
रंज-ओ-ग़म बचपन के साथी
आँधियों में जली जीवन बाती
भूख ने हैं बड़े प्यार से पाला
स्पष्टीकरण,उपर्युक्त चर्चा पूर्ण रूप से काल्पनिक है। इसका किसी तरह किसी भी वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है।
शशिकांत गुप्ते इंदौर