अमरीक सिंह
आमतौर पर रवायत रही है कि जिस राज्य में बहुमत से चुनी हुई सरकार हो, वहां मुख्यमंत्री तो मीडिया से अक्सर रूबरू होते हैं लेकिन राज्यपाल एकदम दूरी बनाकर रखते हैं। पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कई बार इस परंपरा को तोड़ा। पहले वह मौके पर मौजूद मीडियाकर्मियों से बातचीत कर लेते थे लेकिन अब उन्होंने बाकायदा पंजाबी के सबसे बड़े अखबार ‘अजीत’ को विशेष लंबा साक्षात्कार दिया है। जो चौतरफा खासा चर्चा का विषय चंद घंटों में ही बन गया।
इससे पहले प्रदेश के राज्यपालों ने राष्ट्रपति शासन के राज्य-व्यवस्था का मुखिया होने के नाते लंबे-लंबे इंटरव्यू प्रेस को दिए। यह पहला मौका है कि चुनी हुई सरकार के रहते कोई राज्यपाल मीडिया से इस तरह मुखातिब हो। गौरतलब है कि राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने लंबे और बेबाक इंटरव्यू के लिए अखबार समूह के पंजाब में सबसे ज्यादा बिक्री वाले पंजाबी दैनिक ‘अजीत’ को चुना, जिससे अजीत अखबार समूह और सरकार की खुली अदावत चल रही है।
भगवंत मान सरकार ने ‘अजीत’ के विज्ञापन बंद किए हुए हैं और अखबार भी सरकार के खिलाफ जमकर हमलावर है। जानते हैं कि बनवारीलाल पुरोहित ने सरकार के कामकाज पर क्या विस्तृत प्रतिक्रिया दी।
“नशे की समस्या पंजाब में लगातार गंभीर रुख अख्तियार कर रही है। लोगों को खुद जागरूक होने की जरूरत है और सरकार के भरोसे नहीं रहना है। लोगों को तो अभी भी शक हो रहा है कि सरकार जानबूझकर आंखें बंद करके नहीं बैठी है। कुछ दिन पहले देश के नारकोटिक बोर्ड के निदेशक मिलने आए थे और उनकी रिपोर्ट बेहद मायूस करने वाली थी। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 70 लाख लोग नशे से प्रभावित हो चुके हैं। पिछले दिनों नारकोटिक बोर्ड द्वारा अकेले लुधियाना में 57 शराब की दुकानों पर छापेमारी की गई और स्थानीय पुलिस पर विश्वास न होने की वजह से वे चंडीगढ़ से पुलिस साथ लेकर गए थे”।
उन्होंने आगे कहा कि “इनमें से अधिकतर खेतों से नशीले पदार्थ पकड़े गए हैं लेकिन यह शराब के ठेके किसने अलॉट किए थे? क्या यहां बाड़ ही खेत को नहीं खा रही। और शराब के ठेके से भी नशीले पदार्थों का बिकना बेहद निराशाजनक है। सीमावर्ती जिलों के दौरों के दौरान सीमा से 15 किलोमीटर के दायरे में नागरिक सुरक्षा समितियों के गठन के लिए कहा है ताकि नशा तस्करों से मिलीभगत वाले बेनकाब हो सकें और गांव के लोग इकट्ठे होकर नशीले पदार्थों की बिक्री रोक सकें। पुलिस को बेखौफ होकर इस बाबत जानकारी दे सकें।”
राज्यपाल से यह पूछे जाने पर कि आपने भी बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया था, लेकिन सरकार द्वारा राहत का वितरण अभी शुरू नहीं हो सका? राज्यपाल ने कहा: “राहत के वितरण में देरी के लिए मुख्यमंत्री खुद जिम्मेवार हैं। क्योंकि काफी समय तो वह यही कहते रहे कि हमें केंद्र से वित्तीय सहायता की जरूरत नहीं, जिस कारण प्रशासन द्वारा भी केंद्रीय टीमें में भेजे जाने की मांग नहीं की गई। पंजाब में केंद्रीय टीमें में इस वजह से देर से आईं और अब इस संबंध में सहायता मिलने की उम्मीद बंधी है”।
उनका आगे कहना था कि “केंद्र द्वारा प्रदेश को 218.40 करोड़ रुपए भेजे गए थे, उसका वितरण कहां हुआ है, किसी को नहीं मालूम। लेकिन केंद्रीय टीमों के दौरे के दौरान भी जिलाधकारी फंड न मिलने का मामला जरूर उठा रहे थे। बरसात के मौसम से पहले भी जो सरकार द्वारा जरूरी काम किए जाते हैं, उनकी ओर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन बाढ़ की स्थिति के दौरान जिलास्तरीय अधिकारियों, समाजसेवी संस्थाओं व धार्मिक संस्थाओं का काम प्रशंसनीय रहा। एनडीआरएफ और सेना द्वारा भी बेहतर काम किया गया”
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि ‘मैं स्पष्ट कर चुका हूं कि विधानसभा का अधिवेशन ही गैर-संवैधानिक था वह गैरकानूनी था, फिर इसके द्वारा पारित किए गए बिल कैसे कानूनी हो सकते हैं? अधिवेशन के गैर-संवैधानिक होने की बाबत संवैधानिक विशेषज्ञ से राय ली है। फिर भी बिलों के संबंध में क्या करना है- इस संबंध में मैं जरूर उचित समय पर फैसला लूंगा, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा नहीं दी जा सकती। मेरे कार्यकाल द्वारा विधानसभा सचिव को अधिवेशन से पहले ही इसके गैर कानूनी होने के बारे में लिख दिया गया था।”
जब राज्यपाल से पूछा गया कि आपके अनुसार यदि अधिवेशन ही गैरकानूनी था तो फिर अधिवेशन के दौरान आपके लिए मुख्यमंत्री द्वारा जो भाषा इस्तेमाल की गई, क्या उसके लिए मुख्यमंत्री को अधिवेशन में की गई टिप्पणियों के कारण कानूनी सुरक्षा मिल सकती है?
पुरोहित ने जवाब दिया: मुझे यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री ने मेरे संबंध में जैसे तू-तू मैं-मैं की गैरस्तरीय भाषा इस्तेमाल का इस्तेमाल किया, मुझे ‘वेहला’ व ‘लव लेटर’ लिखने वाला कहा, उसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान पर मैं संविधान की धारा 124 के तहत कार्रवाई करवा सकता हूं और इस धारा के तहत 7 साल की कैद की सजा है, लेकिन मैं ऐसा करके प्रदेश में और बवाल खड़ा नहीं करना चाहता। फिलहाल ऐसी शब्दावली को सहन कर रहा हूं।”
राज्यपाल से पूछा गया कि आपके कहने के अनुसार संविधान की धारा 167 के तहत मांगी जानकारी सरकार आपको नहीं दे रही और इस संबंध में आगे आप क्या कार्रवाई कर सकते हैं?
इसके जवाब में बनवारी लाल पुरोहित बोले, “प्रदेश सरकार राज्यपाल द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी देने के लिए संवैधानक तौर पर पाबंद है। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो केस किया था, उसमें भी सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था की धारा 167 के तहत राज्यपाल की ओर से मांगी जानकारी फौरन देने के लिए सरकार कानूनी तौर पर पाबंद है, लेकिन मुख्यमंत्री इसकी परवाह नहीं कर रहे। यह मामला सरकार को संविधान के अनुसार न चलाने का है।
सरकार मेरे सब्र का इम्तिहान ले रही है, आखिरकार मुझे यह मामला राष्ट्रपति के पास भी भेजना पड़ सकता है।”
एक सवाल के जवाब में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा यह कहना विशेष महत्व रखता है कि “अपनी पार्टी व राजनीतिक कामकाज के लिए 8 लाख रुपए प्रति घंटे के हिसाब से चार्टर्ड विमान लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री व अन्य को साथ लेकर देश के दूसरे राज्यों में घूमने के लिए सरकारी स्रोतों का दुरुपयोग है और मैं अपनी रिपोर्ट में यह सब कुछ शामिल करूंगा।”
वह कहते हैं, “मुझे सरकार में शामिल विशेष हस्तियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार संबंधी दस्तावेजों व सुबूतों सहित शिकायतें मिल रही हैं। सरकार में चल रहा भ्रष्टाचार चिंता का विषय है। मैं हासिल शिकायतों की जांच कर रहा हूं और समय आने पर कार्रवाई भी होगी।”
“मुख्यमंत्री केजरीवाल को घुमाने में व्यस्त रहते हैं। उन्हें फुर्सत ही नहीं की कर्ज में डूबे इस राज्य के लिए जारी फंडों के लिए केंद्रीय मंत्रियों से मिलें।”
पत्रकारों और कुछ मीडिया संस्थानों के साथ हो रहे व्यवहार पर बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि,”पत्रकारों का बाजू मरोड़ना प्रेस की आजादी पर हमला है और यह एक लोकतांत्रिक तथा सभ्य समाज की निशानी नहीं। सरकार को मीडिया हाउस को परेशान करना या उसके विज्ञापन रोकने का कोई अधिकार नहीं। सरकार 700-800 करोड़ रुपए के सरकारी विज्ञापन अपनी मर्जी से नहीं बांट सकती। दूसरे राज्यों को विज्ञापन दिए जा रहे हैं, यह भी पूर्ण तौर पर एकदम अनुचित प्रक्रिया है। मैंने सरकार से इस संबंध में जानकारी मांगी थी, लेकिन मुझे यह जानकारी मिली नहीं।