एस पी मित्तल, अजमेर
16 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी की उपस्थिति में दिल्ली कांग्रेस कमेटी के प्रमुख नेताओं की एक बैठक हुई। इस बैठक में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली प्रदेश में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने पर विचार विमर्श हुआ। आप इंडिया गठबंधन के उन 26 दलों में शामिल हैं। जिन्होंने लोकसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ने का संकल्प किया है, ताकि पीएम मोदी को हराया जा सक। हाल ही में कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप पार्टी में नजकियां तब और बढ़ी जब दिल्ली सर्विस बिल पर संसद में कांग्रेस ने केजरीवाल का समर्थन किया। इस समर्थन की एवज में केजरीवाल ने कांग्रेस के प्रमुख नेताओं का लिखित में आभार प्रकट किया। दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं। इन सभी सात सीटों पर गत दो बार से भाजपा के उम्मीदवार ही जीत रहे हैं। चूंकि दिल्ली प्रदेश में दो बार से आप की सरकार बन रही है, इसलिए कांग्रेस और आम मिल कर लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं ताकि दिल्ली में भाजपा से कुछ सीटें छीनी जा सके। मोदी और भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस और केजरीवाल ने पहले के अपने सभी मतभेद भुला दिए हैं। भले ही केजरीवाल की पार्टी का जन्म ही कांग्रेस के भ्रष्टाचार के विरोध से हुआ हो, लेकिन अब केजरीवाल को कांग्रेस के साथ तालमेल करने में कोई एतराज नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार बदली हुई परिस्थितियों में राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आप का गठबंधन हो सकता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी नहीं चाहते हैं कि आप की वजह से हार का सामना करना पड़े। गहलोत गुजरात चुनाव में कांग्रेस के सीनियर ऑब्जर्वर थे। कांग्रेस की हार के लिए गहलोत ने आप को ही जिम्मेदार माना था। केजरीवाल गुजरात की तरह राजस्थान में भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। प्रचार की शुरुआत धमाकेदार की थी। पंजाब से गंगानगर हनुमानगढ़ क्षेत्र में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बड़ी सभा भी कर चुके हैं। लेकिन इंडिया गठबंधन बनने के बाद केजरीवाल ने राजस्थान में कोई राजनीतिक गतिविधियां नहीं की है। कांग्रेस दिल्ली में तो केजरीवाल के साथ गठबंधन करे और राजस्थान में केजरीवाल कांग्रेस को हराए,ऐसा नहीं होगा। यदि दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए तालमेल होगा तो फिर विधानसभा चुनाव में राजस्थान में भी कांग्रेस और केजरीवाल के बीच तालमेल संभव है। सूत्रों के अनुसार सरकार रिपीट के लिए लालायित सीएम गहलोत केजरीवाल के साथ तालमेल के पक्ष में हैं। गहलोत चाहते हैं कि जिन सीटों पर भाजपा की दो से लेकर पांच बार तक लगातार जीत हो रही है, उनमें से कुछ सीटें केजरीवाल की पार्टी को दे दी जाए। यदि कांग्रेस और आप के बीच तालमेल होता है तो यह राजस्थान की राजनीति में बड़ा बदलाव होगा।
भाजपा, जेजेपी के साथ:
भाजपा को कांग्रेस और केजरीवाल के गठबंधन का आभास हो गया है, इसलिए भाजपा ने हरियाणा में अपनी सहयोगी जननायक जनता पार्टी की एंट्री राजस्थान में करवा दी है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और दिग्गज जाट नेता नारायण सिंह की पुत्रवधू रीटा सिंह 14 अगस्त को जेजेपी में शामिल हो गई हैं। जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने रीटा सिंह को हाथों हाथ प्रदेश की महिला विंग का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया है। राजस्थान में जाट बाहुल्य करीब 28 सीटें ऐसी हैं जिन पर भाजपा प्रत्याशी की कभी जीत नहीं हुई। भाजपा ऐसी सीटों पर जेजेपी के उम्मीदवारों का समर्थन कर सकती है। मालूम हो कि जेजेपी के विधायकों के समर्थन से ही हरियाणा में भाजपा की सरकार चल रही है और अजय चौटाला के पुत्र दुष्यंत चौटाला खट्टर सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। जेजेपी की एंट्री करवा कर भाजपा भी जाट बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस का प्रभाव कम करना चाहती है। सूत्रों के अनुसार रीटा सिंह दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जेजेपी की उम्मीदवार हो सकती है। अभी रीटा के पति वीरेंद्र सिंह कांग्रेस से विधायक हैं।