शिरीष खरे
किसानों की आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए समय-समय पर राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त समितियों द्वारा यह बताया जा चुका है कि इसका मुख्य कारण साहूकारों द्वारा की जाने वाली जबरन वसूली है। सरकार ने साहूकारों की जबरन वसूली पर लगाम लगाने के लिए 2014 में एक कानून बनाया था। लेकिन, तस्वीर ये है कि उत्पीड़न अभी भी रुका नहीं है। कानून लागू होने के बाद से अवैध साहूकारों के संबंध में 10,000 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से करीब पांच सौ मामलों में केस दर्ज किया गया है। हालांकि, किसानों के लिए साहूकारों के फंदे को सुलझाने की बड़ी चुनौती अभी भी बनी हुई है।
क्यों बदल दिया था कानून?
इससे पहले राज्य में ‘मुंबई साहूकार नियंत्रण अधिनियम, 1946’ था। लेकिन, इस अधिनियम के तहत जिला उप-रजिस्ट्रार को साहूकार द्वारा हड़पी गई किसान की भूमि को संबंधित किसान को वापस करने का कोई अधिकार नहीं था। आखिरकार यह कानून रद्द कर दिया गया।
फिर ‘महाराष्ट्र साहूकार (विनियमन) अधिनियम, 2014’ अस्तित्व में आया। राज्य में फिलहाल साहूकारी के मामले इसी कानून के तहत निपटाए जाते हैं। यदि एक ही व्यक्ति किसी जमीन की रजिस्ट्री बार-बार करता है या बार-बार ब्याज देता है तो उस व्यक्ति पर इस अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
पिछले वर्ष साढ़े छह लाख से ज्यादा ने लिया कर्ज
वहीं, कृषि और गैर-कृषि ऋण संस्थानों के अलावा लाइसेंस प्राप्त साहूकारों को व्यक्तिगत ऋण वितरित करने की अनुमति है। इसके लिए सहकारिता आयुक्त एवं पंजीयक, सहकारी समितियां कार्यालय के माध्यम से लाइसेंस जारी किए जाते हैं। प्रक्रिया के तहत एक आवेदन जमा करना होता है। सामान्य शर्तों के अनुसार, केवल संबंधित परिचालन क्षेत्र में ही व्यवसाय करना अनिवार्य है। इसके अलावा भी यदि साहूकार अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है तो जिला रजिस्ट्रार साहूकार का लाइसेंस रद्द कर सकता है। 31 मार्च, 2023 की समाप्ति पर राज्य में लाइसेंसधारी साहूकारों की कुल संख्या 11 हजार 520 थी। इन ऋणदाताओं ने गैर-कृषि और कृषि क्षेत्रों में कुल 6 लाख 55 हजार 440 कर्जदारों को 1084.71 करोड़ रुपए के ऋण वितरित किए हैं।
साढ़े नौ हजार से ज्यादा शिकायतें
किसान को संबंधित जिला उप-पंजीयक कार्यालय में आवेदन करना होगा। यह आवेदन गोपनीय रूप से किया जा सकता है। किसान सादे कागज पर लिखकर आवेदन कर सकते हैं। वे यह कहते हुए शिकायत दर्ज करा सकते हैं, “मेरी जमीन पर संबंधित व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है।” इसके साथ ही किसान साहूकार से लिए गए कर्ज, उस पर ब्याज से संबंधित दस्तावेज सबूत के तौर पर जमा कर सकता है। आवेदन में दी गई जानकारी सत्यापित करने के लिए प्रमाण संबंधी अन्य दस्तावेज लगा सकता है।
इसके बाद सहकारिता विभाग साहूकार के कार्य क्षेत्र में छापेमारी करता है। फिर पूरा मामला ‘महाराष्ट्र साहूकार (विनियमन) अधिनियम, 2014’ के तहत सुलझाया जाता है। जनवरी 2023 के अंत में अवैध साहूकारों के संबंध में 9 हजार 358 शिकायतें प्राप्त हुईं। उनमें से मात्र 907 मामलों में अधिनियम के तहत किसानों के पक्ष में आदेश पारित किया गया है। यह कुल शिकायतों का दस फीसदी भी नहीं है। वहीं, इन दस फीसदी में भी संबंधितों के विरूद्ध कुल 495 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं।
नहीं हो रहा कानून का पालन
हालांकि, अवैध साहूकारों के संबंध में प्राप्त शिकायत के बाद महाराष्ट्र साहूकार (विनियमन) अधिनियम, 2014 के प्रावधानों के आधार पर जांच की जाती है। यदि कोई व्यक्ति बिना लाइसेंस के साहूकारी का काम करता हुआ पाया जाता है तो जिला रजिस्ट्रार या सहायक रजिस्ट्रार को बिना वारंट के किसी भी उचित समय पर परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने का अधिकार है। इस अधिनियम के समुचित क्रियान्वयन एवं अनाधिकृत साहूकारों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु शासन के निर्णय दिनांक 1 मार्च, 2017 के अनुसार संबंधित कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। सहकारिता विभाग का दावा है कि इस समिति के माध्यम से अवैध साहूकारों के खिलाफ की गई कार्रवाई की नियमित समीक्षा की जाती है। पर, सरकारी आंकड़ा बताता है कि ज्यादातर प्रकरण में नियम अनुसार कानून का पालन नहीं किया जा रहा है।
देखा जाए तो ऋणदाता को उधारकर्ता से सीधे ब्याज मोड में ब्याज वसूलना होता है। लेकिन, इसमें चक्रवृद्धि आधार पर ब्याज नहीं लिया जा सकता। कोई ऋणदाता उधारकर्ता से मूल राशि से अधिक ब्याज नहीं ले सकता है। यानी अगर कोई 1 लाख रुपये का लोन लेता है तो कर्जदाता अधिकतम 1 लाख रुपए का ब्याज ले सकता है। अधिनियम की धारा 16 के तहत यदि निरीक्षण अधिकारी संतुष्ट है कि दस्तावेजों के निरीक्षण के बाद उधारकर्ता द्वारा ऋणदाता को गिरवी रखी गई संपत्ति ऋणदाता के कब्जे में है तो वह ऐसी संपत्ति का कब्जा उधारकर्ता को तुरंत सौंपने का आदेश दे सकता है। लेकिन, ऐसा तभी संभव है जब साहूकार के पास लाइसेंस है।
लेकिन, ज्यादातर साहूकारी अवैध तरह से की जा रही है और ऐसे में यदि लाइसेंसधारी साहूकारों पर ही शिकंजा नहीं कसा जाएगा तो किसानों को इस जाल से निकलना मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि जो व्यक्ति बिना लाइसेंस के साहूकारी करता है, उसे 5 साल तक की कैद या 50,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
सात महीने में 500 से ज्यादा किसान आत्महत्याएं
एक बार फिर यह बात सामने आई है कि मराठवाड़ा में किसानों के आत्महत्या के दौर को रोकने में सरकार सफल नहीं हो पाई है. पिछले महीने 101 किसानों ने अपनी जान दे दी। संभागीय आयुक्तालय से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात महीनों में मराठवाड़ा के आठ जिलों में 584 किसानों ने आत्महत्या की है।
जाहिर है कि किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। पिछले साल भारी बारिश की मार झेलनी पड़ी थी। इससे लाखों हेक्टेयर की खरीफ फसलें बर्बाद हो गईं। राज्य सरकार की घोषणा के मुताबिक किसानों को मुआवजा दे दिया गया है। दूसरी तरफ आधा अगस्त बीत चुका है, लेकिन सभी जगह बारिश नहीं होने से खरीफ की फसल फिर संकट में है। मराठवाड़ा में 80 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र शुष्क भूमि है और हर जगह सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है।
इसीलिए किसानों को प्रकृति की मार का सामना करना पड़ता है। कभी प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलें बर्बाद हो जाती हैं तो कभी कृषि उपज का कोई दाम नहीं मिलता। इस चक्र में फंसे किसान सोच रहे हैं कि कर्ज कैसे चुकाएं। यही वजह है कि कई किसान मौत के मुंह में समा रहे हैं।