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कांग्रेस के17 मौजूदा विधायकों के कट सकते हैं टिकट;पहली लिस्ट 15 सितंबर तक: 109 नए चेहरे उतारने की तैयारी

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भोपाल

मध्यप्रदेश में सत्ता वापसी की पुरजोर कोशिश में जुटी कांग्रेस ने कैंडिडेट सिलेक्शन की प्रक्रिया तेज कर दी है। कांग्रेस 10-15 सितंबर तक 100 से ज्यादा नामों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है। पार्टी ने उम्मीदवार चयन के लिए तीन सर्वे कराए हैं। सूत्रों ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ज्यादातर सीटों पर नाम लगभग फाइनल हो चुके हैं।

2 सितंबर को भोपाल में कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होने वाली है। इसमें सर्वे रिपोर्ट के साथ ही जिलास्तर पर संगठन के पदाधिकारियों के फीडबैक पर मंथन होगा। इसके बाद उम्मीदवार के नाम फाइनल किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि पहले हारी हुई सीटों पर नामों की घोषणा होगी।

कांग्रेस 109 सीटों पर नए चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में है। मौजूदा 17 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि ये संख्या बढ़ भी सकती है।

पहले जानिए, किन विधायकों के टिकट पर खतरा

1. मुरली मोरवाल (बड़नगर) – पिछला चुनाव 5 हजार वोट से जीते थे। जिला और ब्लॉक कमेटी से मिला फीडबैक इनके पक्ष में नहीं है। बेटे करण के खिलाफ रेप केस का मामला दर्ज है। हालांकि, उन्हें जमानत मिल चुकी है।

2. विक्रम सिंह नातीराजा (राजनगर ) – पिछला चुनाव केवल 732 वोट से जीते थे। तीन बार विधायक रह चुके हैं। अब पत्नी कविता सिंह का नाम आगे बढ़ाया है। पूर्व विधायक शंकर सिंह के बेटे सिद्धार्थ सिंह बुंदेला इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं।

3. नीरज दीक्षित (महाराजपुर) – इस सीट से पिछली बार 4 हजार वोट से जीते थे। दो सर्वे में फीडबैक खराब मिला है। यहां से नौगांव नगर पालिका अध्यक्ष अजय तिवारी और पूर्व सांसद प्रियव्रत चतुर्वेदी की बेटी निधि टिकट की दावेदार हैं।

4. सुनीता पटेल (गाडरवारा) – एंटी इनकमबेन्सी ज्यादा है। सर्वे की रिपोर्ट ठीक नहीं आई है। जिला पदाधिकारियों का फीडबैक भी पक्ष में नहीं है। यहां से कांग्रेस कौरव या फिर ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारेगी।

5. तरबर सिंह लोधी (बंडा) – सर्वे रिपोर्ट में परफॉर्मेंस ठीक नहीं है। 2018 का चुनाव 24 हजार से अधिक वोट से जीता था। BJP ने जातीय समीकरण के आधार पर वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। इससे तरबर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब यहां से पूर्व विधायक नारायण प्रजापति पर कांग्रेस दांव लगा सकती है।

6. सुनील सराफ (कोतमा) – स्थानीय नेता खुलकर विरोध कर रहे हैं। पिछले दिनों क्षेत्र के सभी सरपंच व अन्य जनप्रतिनिधियों ने कमलनाथ से मिलकर शिकायत की थी कि सराफ झूठी व फर्जी शिकायतें कराकर परेशान करते हैं। इस बार उनका टिकट कट सकता है।

7. देवेंद्र पटेल (उदयपुरा) – जातीय समीकरण के चलते टिकट पर संकट है। इस क्षेत्र में 50 हजार किरार निर्णायक वोटर हैं। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय मसानी भी सक्रिय हैं। यह सीट बुधनी से सटी है। दोनों ही समीकरण से संजय सिंह का दावा मजबूत दिख रहा है।

8. ग्यारसी लाल रावत (सेंधवा) – प्रारंभिक सर्वे में रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है। उन पर ईसाई धर्म का प्रचार करने का आरोप लगा है। स्थानीय संगठन का फीडबैक उन्हें टिकट मिलने या कटने का आधार बनेगा।

9. चंद्रभागा किराड़े (पानसेमल) – सर्वे रिपोर्ट ठीक नहीं है और स्थानीय नेताओं में नाराजगी है। तीन महीने पहले कार्यकर्ता सम्मेलन में किराड़े का विरोध किया गया। नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी उम्मीदवार को बदलेगी, तभी वे काम करेंगे। ऐसे में कांग्रेस युवा चेहरा प्रकाश धुरिसंह खेड़कर को मैदान में उतार सकती है।

10. मनोज चावला (आलोट) – प्रारंभिक सर्वे में रिपोर्ट ठीक नहीं है। हालांकि, स्थानीय संगठन से फीडबैक मिलने के बाद उनके टिकट पर अंतिम मुहर लगेगी।। यहां से पूर्व विधायक प्रेमचंद्र गुड्‌डू के परिवार से किसी को भी मौका दिया जा सकता है।

इन विधायकों की पहली सर्वे रिपोर्ट आई

रवि जोशी (खरगोन), मेवाराम जाटव (गोहद), सुरेश राजे (डबरा), ब्रहा मलावी (घोड़ाडोंगरी), संजय यादव (बरगी), अर्जुन काकोड़िया (बरघाट), और अशोक मसकोले (निवास) की प्रारंभिक सर्वे में स्थिति बेहतर नहीं पाई गई। फिलहाल, इनकी दो सर्वे रिपोर्ट आना बाकी हैं।

दीपक जोशी को खातेगांव से उतार सकते हैं

BJP से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री दीपक जोशी को खातेगांव से मैदान में उतारा जा सकता है। हाटपिपल्या से उपचुनाव हारने वाले राजवीर सिंह को टिकट मिल सकता है, लेकिन कांग्रेस यहां से नए चेहरे पर भी दांव लगा सकती है।

सूत्रों का कहना है कि खातेगांव विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुल है। ऐसे में जातीय समीकरण देखें, तो दीपक जोशी इस सीट से लड़ सकते हैं। वैसे भी इस सीट से टिकट के पांच दावेदार मनीष चौधरी, लक्ष्मीनारायण बंडावाला, गौतम बंटू गुर्ज, मनोज होलानी और ओम पटेल हैं।

PCC चीफ कमलनाथ दे चुके संकेत

जिन मौजूदा विधायकों को फिर से मैदान में उतारा जा रहा है, उन्हें कमलनाथ ने तैयारी करने का मौखिक आदेश दे दिया है। उन्होंने 8 अगस्त को भोपाल में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि हमें टिकट के दावेदारों के लिए लिस्ट जारी करने की जल्दी नहीं है, जिन्हें टिकट दिया जाना है, उन्हें सूचित कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा 95 में से 74 विधायकों को क्षेत्र में प्रचार करने के लिए कहा जा चुका है।

तीन सर्वे रिपोर्ट ही टिकट का मुख्य आधार

पार्टी के एक पदाधिकारी के मुताबिक कमलनाथ उम्मीदवारों के चयन में जोखिम लेना नहीं चाहते। यही वजह है कि 20 से अधिक विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी है।

जिन विधायकों की प्रारंभिक सर्वे में रिपोर्ट ठीक नहीं थी, उन्हें क्षेत्र में सक्रिय होकर परफॉर्मेंस सुधारने की हिदायत दी गई थी। इसके बाद हुए दो सर्वे में भी जिन विधायकों के प्रदर्शन में सुधार नहीं आया, उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा।

जिलाध्यक्ष और प्रभारियों को बंद लिफाफे में देंगे दावेदारों के नाम

कांग्रेस सितंबर के दूसरे सप्ताह में 100 से अधिक सीटों के टिकट घोषित करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है। मप्र के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी रणदीप सिंह सुरजेवाला और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह ने प्रदेश के 63 जिला प्रभारियों और जिलाध्यक्षों से प्रत्येक विधानसभा से दावेदारों के नाम बंद लिफाफे में मांगे हैं। साथ ही, इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन कमलनाथ से 230 विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम मांगे हैं। खास बात यह है कि बंद लिफाफे में दावेदारों की जाति और उपजाति के बारे में भी पूछा गया है।

तीन चरणों में होगी उम्मीदवारों की घोषणा

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस बार तीन चरणों में प्रत्याशियों की घोषणा करेगी।

पहला चरण  उन सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जाएंगे, जहां उम्मीदवार के नाम को लेकर विरोध नहीं है। इसमें हारी हुई सीटें भी शामिल की जाएंगी, ताकि उम्मीदवारों को जनसंपर्क के लिए ज्यादा समय मिल सके।

दूसरा चरण – उन सीटों पर नामों का ऐलान किया जाएगा, जहां कांग्रेस के विधायक हैं। इसमें उन नामों को घोषित किया जाएगा, जिन्हें कमलनाथ क्षेत्र में तैयारी करने का इशारा कर चुके हैं।

तीसरा चरण – इसमें शेष सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जाएंगे। इसमें नए चेहरों के साथ-साथ अन्य दलों से पार्टी में शामिल होने वाले उन नामों की घोषणा की जाएगी, जिन्हें टिकट देने का निर्णय होगा।

इंटरनल सर्वे-फीडबैक पर मंथन के बाद आएगी पहली लिस्ट

सूत्रों का कहना है कि पार्टी के इंटरनल सर्वे और फीडबैक पर स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में मंथन के बाद ही उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी होगी। इसके लिए प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में 2 सितंबर को भोपाल में बैठक होगी। ऐसे में उम्मीद है कि यदि उम्मीदवारों चयन को लेकर विरोध नहीं होगा, तो करीब 100 सीटों पर नामों की की पहली लिस्ट 10 से 15 सितंबर के बीच में जारी हो जाएगी।

इस सूची में उन 66 सीटों पर उम्मीदवारी का ऐलान की उम्मीद है, जहां कांग्रेस लगातार पांच बार से हार रही है। कांग्रेस ने इन सीटों को बेहद कमजोर माना है। बता दें कि BJP ने 17 अगस्त को हारी हुई सीटों में से 39 पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।

5 बार से हार रही 62 सीटों पर दिग्विजय का प्लान

कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को BJP के लिए सुरक्षित मानी जाने वाली 62 विधानसभा सीटों का प्रभार सौंपा है। दिग्विजय सिंह पर इन सीटों को जीतने के लिए रणनीति बनाने की भी जिम्मेदारी है।

इन 62 सीटों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा सीट बुधनी, यशोधरा राजे सिंधिया की शिवपुरी, गोपाल भार्गव (रेहली) और भूपेंद्र सिंह (खुरई) और कई मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि इन सीटों पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के पर्यवेक्षकों ने दावेदारों से नाम लिए थे, उन्हें PCC को सौंप दिया गया है। दिग्विजय सिंह ने भी इन सभी क्षेत्रों का दौरा किया है। इस दौरान उन्होंने स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ उनकी अपेक्षाओं और शिकायतों को सुनकर सभी सीटों की रिपोर्ट तैयार की है, जिसके आधार पर उम्मीदवार के चयन किया जाएगा।

इन 62 सीटों पर लगातार चुनाव हार रही थी कांग्रेस

गोविंदपुरा, बैरसिया, भोजपुर, सांची, बुधनी, आष्टा, सीहोर, कुरवाई, शमशाबाद, इंदौर -2, इंदौर-4, इंदौर- 5, महू, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, मंदसौर, रतलाम सिटी, मल्हारगढ़, नीमच, जावद, जबलपुर कैंट, पनागर, सिहोरा, मुड़वारा, रहली, सागर, खुरई, नरयावली, दतिया, बालाघाट, रीवा, सीधी, हरसूद, सोहागपुर, धार, गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, देवसर, धौहनी, जयसिंहनगर, जैतपुर, बांधवगढ़, मानपुर, परसवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, आमला, टिमरनी, सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया, सुसनेर, शुजालपुर, देवास, खातेगांव, बागली, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर और सारंगपुर।

सत्ता में आना है तो कांग्रेस को एक चौथाई टिकट काटने होंगे

कांग्रेस को यदि फिर से सत्ता में आना है, तो मौजूदा विधायकों में से कम से कम एक चौथाई के टिकट काटने होंगे। पार्टी नेतृत्व को देखना होगा कि वह किसी भी तरह से दवाब में ना आए और जीतने वाले को ही टिकट दे। इसके लिए नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारना पड़ेगा। नहीं तो पहले विधायक टूट कर गए और अब हार कर आएंगे।

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