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भाजपा की दूसरी सूची में चिटनिस, इमरती, सिद्धार्थ, नारायण, पटेरिया और बंटी साहू का नाम तय

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पहली सूची के 39 उम्मीदवारों में से एक दर्जन से ज्यादा प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। इसके डैमेज कंट्रोल के लिए भी शीर्ष नेताओं ने तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने साफ कर दिया है कि पार्टी पहली सूची के किसी भी प्रत्याशी का टिकट अब नहीं बदलेगी

मप्र में भाजपा इस बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर राज्य में फिर से सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर चुनावी मैदान में उतर रही है। 2018 की गलतियों से सबक लेते हुए भाजपा ने इस बार अपने रणनीति में व्यापक बदलाव किया है। इसके लिए मेगाप्लान बनाया गया है। जिसके तहत जहां इस बार हारी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा पहले की जानी है। वहीं पार्टी ने इस बार एक तरफ जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा अन्य दिग्गज नेताओं को भी चुनाव प्रचार अभियान में आगे रखा है। वहीं, अब एंटी इनकंबेंसी के माहौल को कमजोर करने के लिए पार्टी 50 से 55 विधायकों  का टिकट काटने की भी तैयारी कर ली है।  उनकी जगह युवा और नए चेहरे को मौका दे सकती है। इसके जरिए सत्ता विरोधी लहर को मात देकर उन सीटों पर फिर से जीत हासिल की जा सके। हालांकि, टिकट कटने वाले नेताओं की लिस्ट में कुछ ऐसे विधायक भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 75 पार हो चुकी है।
अपने मेगाप्लान के तहत पार्टी ने 2018 में हारी हुई सीटों में से 39 पर प्रत्याशियों की घोषणा पहले कर दी है।, वहीं शेष 64 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा एक-दो दिन में कर दी जाएगी। सूत्रों की माने तो सीएम की शीर्ष नेतृत्व के साथ पार्टी प्रत्याशियों की दूसरी सूची को लेकर भी चर्चा हो चुकी है। गौरतलब है कि पार्टी ने राज्य के एक-एक विधानसभा सीट पर जीत हार के समीकरण को लेकर और वर्तमान विधायकों की सक्रियता, लोकप्रियता, उम्र, जनाधार और जीतने की क्षमता को लेकर कई स्तरों पर व्यापक और बड़े पैमाने पर सर्व करवाए हैं। पार्टी ने दूसरे राज्यों के विधायकों से हर विधानसभा सीट की ग्राउंड जानकारी एकत्र की है। इस आधार पर पार्टी ने अपने वर्तमान विधायकों को बड़े पैमाने पर बदलने का फैसला किया है।
चिटनीस, इमरती, सिद्धार्थ के टिकट तय
उधर, भाजपा सूत्रों का कहना है की 2018 में हारी सीटों के लिए दो दौर की चर्चा के बाद ग्वालियर दक्षिण से पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, बुरहानपुर से अर्चना चिटनीस, बैतूल से हेमंत खंडेलवाल, डबरा से इमरती देवी और दमोह से पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ के नामों पर सहमति बन गई है। वहीं ग्वालियर पूर्व से देवेंद्र प्रताप तोमर और समीक्षा गुप्ता के नामों पर चर्चा चल रही है। सहमति नहीं बनी तो तीसरा नाम भी आ सकता है। मुरैना सीट से रघुराज कंसाना, करैरा से जसमंत जाटव छितरी व दिमनी से गिर्राज दंडोतिया के नामों पर असमंजस है। सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमा सहमत हुआ तो इनके नाम बदले भी जा सकते हैं। जबलपुर पश्चिम में अभिलाष पांडे व प्रभात साहू में से एक नाम हो सकता है। जबलपुर उत्तर में पूर्व मंत्री शरद जैन ने बेटे रोहित का टिकट मांगा है। यहां धीरज पटेरिया का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी सीट पर मंगल सिंह और गंगाबाई उइके (पूर्व विधायक स्व. सज्जन सिंह उइके की पत्नी) का नाम है। छिंदवाड़ा सीट पर जिलाध्यक्ष बंटी साहू का नाम तय है। उधर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, विदिशा व रायसेन की उदयपुरा सीट को लेकर एक दौर की चर्चा बाकी है। भोपाल दक्षिण-पश्चिम में पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता बड़े दावेदार हैं। पार्टी नए चेहरे की संभावना भी टटोल रही है। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी की सीट को भी हारी हुई में रखा गया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो त्रिपाठी के नाम पर अभी आम राय नहीं बनी है। दिल्ली स्तर से निर्णय होगा। सीधी की सिंहावल सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के सामने भाजपा सांसद रीति पाठक को ला सकती है।
कई सांसदों पर भी दांव
बताया जाता है कि भाजपा इस बार कई सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर भाजपा के चुनावी सर्वेक्षण का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। बताया जा रहा है कि भाजपा उन सीटों पर विशेष ध्यान दे रही है जो इस समय पार्टी के कब्जे में हैं। ऐसी 127 सीटें हैं। इन सीटों पर पार्टी खास सर्वे करा रही है। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी मप्र में भी गुजरात का फार्मूला अपना सकती है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा करीब 55 तक विधायकों का टिकट काट सकती है। ये संख्या करीब 50 फीसदी तक हो सकती है यानी 60 से अधिक विधायकों का टिकट भी कट सकता है। अगर ऐसा होता है तो पहली बार होगा जब किसी पार्टी ने इतनी बड़ी संख्या में अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हों।
सूबे में इतनी बड़ी संख्या में कभी भी मौजूदा विधायकों के टिकट नहीं काटे गए। बताया जाता है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी से अधिक अपेक्षाकृत युवा और नए चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी में है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की चुनावी रणनीति तैयार है। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव में 2019 का पिछला प्रदर्शन दोहराने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा ने 2024 में सूबे की सभी 29 में से 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। सूत्रों की मानें तो भाजपा लोकसभा चुनाव में भी करीब 12 मौजूदा सांसदों के टिकट काट सकती है। भाजपा की रणनीति नए और युवा चेहरों को मैदान में उतारने की है। बढ़ती उम्र के कारण भी एक सांसद का टिकट कटने की संभावना है। भाजपा लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव वाला फार्मूला ही अपनाएगी।
युवाओं को मिलेगा मौका
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस बार अपने 50 से 55 वर्तमान विधायकों का टिकट काट कर उनकी जगह युवा और नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है ताकि सत्ता विरोधी लहर को मात देकर उन सीटों पर फिर से जीत हासिल की जा सके। हालांकि, टिकट कटने वाले नेताओं की लिस्ट में कुछ ऐसे विधायक भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 75 पार हो चुकी है। आपको बता दें कि, 2018 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से थोड़ा ज्यादा वोट हासिल होने के बावजूद राज्य में सिर्फ 109 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई थी। जबकि, कांग्रेस के उम्मीदवार 114 सीटों पर जीते थे।
भाजपा नहीं बदलेगी कोई प्रत्याशी
पहली सूची के 39 उम्मीदवारों में से एक दर्जन से ज्यादा प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। इसके डैमेज कंट्रोल के लिए भी शीर्ष नेताओं ने तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने साफ कर दिया है कि पार्टी पहली सूची के किसी भी प्रत्याशी का टिकट अब नहीं बदलेगी। बता दें, भाजपा में छतरपुर, चाचौड़ा, झाबुआ, महेश्वर समेत कई सीटों पर प्रत्याशियों का खुलकर विरोध हो रहा है।

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