एस पी मित्तल, अजमेर
22 सितंबर को जब कांग्रेस के विधायक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार दानिश अबरार सवाई माधोपुर के देवनारायण मंदिर के वार्षिकोत्सव में भाग लेने पहुंचे तो गुर्जर समुदाय के लोगों ने दानिश के लिए मुर्दाबाद के नारे लगाए। दानिश के खिलाफ पायलट के गद्दारों को गोली मारो के नारे भी लगे। 2018 में दानिश अबरार को सचिन पायलट ने ही कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया और गुर्जर मतों से जीत भी दिलवाई, लेकिन संकट के समय दानिश अबरार पायलट का साथ छोड़ गए। इससे गुर्जर समाज में नाराजगी है। पायलट के नाम पर चुनाव जीतने और फिर धोखा देने का नतीजा ही रहा कि 22 सितंबर को विधायक दानिश को गुर्जरों के विरोध का सामना करना पड़ा। सब जानते हैं कि 2018 में पायलट के चेहरे को आगे रखकर ही कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल किया। पायलट के चेहरे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2018 में भाजपा का एक भी गुर्जर मुख्यमंत्री बनने की संभावना को देखते हुए प्रदेश भर के गुर्जर मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में एक तरफा मतदान किया। यह बात अलग है कि कांग्रेस हाईकमान ने पायलट के बजाए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया। पायलट की कांग्रेस में हो रही दुर्गति को अब गुर्जर समुदाय भी देख रहा है। गुर्जरों को पता है कि अशोक गहलोत के रहते पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। राजस्थान में कांग्रेस की जो तस्वीर सामने है,उससे जाहिर है कि चुनाव में बहुमत मिलने पर गहलोत ही मुख्यमंत्री होंगे। पायलट को भले ही कांग्रेस कार्य समिति का सदस्य बना दिया गया हो, लेकिन दो माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पायलट की कोई भूमिका नहीं है। चुनाव की लगाम पूरी तरह गहलोत के हाथ में है। सचिन पायलट राहुल, प्रियंका और खडग़े के आने पर कांग्रेस की सभाओं में नजर आते हैं। हालांकि पायलट अब कांग्रेस के समर्थन में भाषण देते हैं, लेकिन पायलट को भी पता है कि बहुमत मिलने पर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। जानकारों की माने तो 200 में से 35 सीटे ऐसी हैं, जहां गुर्जर मतदाता निर्णायक स्थिति में है। अनेक सीटों पर गुर्जर मतदाताओं की संख्या अच्छी है। जिन विधायकों ने पायलट को धोखा दिया, उन्हें गुर्जर मतदाता सबक सिखाने के मूड में है, इसका ताजा उदाहरण विधायक दानिश अबरार का विरोध है।