अग्नि आलोक
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अन्याय को छुपाने के लिए धर्म बहुत जरूरी है

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नग्न देह का तमाशा देखते
मुंह पर चुप्पी साधे लोग
कल कोई बने फूलन
और तुम्हे उड़ा दे गोलियों से
तो मत कहना कि ये अत्याचार हुआ तुम्हारे साथ।

तुमने बनाया है जिसे सर्कस की शेरनी
वो कल पिंजड़ा तोड़ जब आयेगी बाहर
तो नही करेगी फर्क नचाने वाले और भीड़ के बीच।

भीड़ का चुपचाप तमाशा देखने का अंत पता है न?
अंधे और बहरे राजा की गुलामी करने से क्या होगा?
अच्छे से जानते हो न!
कल जब निकलेगी तुम्हारी चीख
तब भी तुम्हारा राजा तुमको नही सुन पाएगा।
नही पहचान पायेगा कि तुम उसके आदमी हो।

यह हमेशा हुआ है कि जब जब कहीं दूर नोचा गया है
किसी स्त्री का बदन, सताई गई है औरत।
राजा किसी देवी के मंदिर में पूजा कर रहा होता है।

जब जब उठी अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाजें
राजा ने डंका बजवा कर राज्य में घोषणा कर दिया कि

मंदिर का काम पूरा होने वाला है।

जब जब न्यायालयों को सुननी थी उनकी चीख पुकार।
उसने किसी विवादित मंदिर – मस्जिद का फैसला सुना डाला।

सिद्ध हुआ आज इन सबसे कि
अन्याय को छुपाने के लिए धर्म बहुत जरूरी है।

स्त्री के गर्भ पर जब भी हुआ प्रहार
किसी मंदिर के गर्भगृह का घंटा बजने लगा।

योनि में जब भरी जा रही थी मिर्ची और उसे किया जा रहा था क्षत विक्षत।
तब एक भीड़ चली जा रही थी एक देवी के योनि का रक्त दर्शन करने।

मासिक धर्म में भी योनि के रक्तपिपासुओं की एक बड़ी जमात
किसी देवी के योनि की पूजा करता है।

तुम्हारे धर्म ने तुम्हे पत्थरों का पुजारी बना दिया,
जिसकी पूजा करते करते तुम्हारा कलेजा भी हो गया है पत्थर।
न विश्वास तो अपने करेजे पर हाथ रखकर देखो।

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