अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

सामयिक:संघ की ध्रुवीकरण की नीति फ्लाप,हिंदुत्ववादी व्यथित

Share

                            -सुसंस्कृति परिहार

पिछले कुछ सालों से संघ के समावेशी बयानों और गतिविधियों से ऐसा माहौल बनाने की पुरज़ोर कोशिश हो रही है कि संघ की विचारधारा में बदल रही है।मसलन जब संघ प्रमुख बहुत  पहले यह कह चुके हैं कि भारत के तमाम लोगों का डीएनए एक है तो अब तक यह विषैला माहौल क्यों है? हाल ही में उन्होंने मस्जिद और चर्च जाने की बात भी कह दी। बदलाव की यदि यही भावना होती तो नई संसद में उनकी शाखा से निकले भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी अपने संसदीय साथी दानिश अली के साथ इस तरह बदजुबानी से पेश नहीं आते और ना ही लोकसभाध्यक्ष साधारण फटकार लगाते तथा भाजपा नेता इस तरह अट्टहास करते। साहिब जी की तो बात और है वे शालीनता का परिचय देते हुए अक्सर गंभीर स्थितियों में मौन साध लेते। जबरदस्त अनुशासन है संघ की पाठशालाओं का।

अल्पसंख्यकों के साथ चाहे वे  ईसाई , मुसलमान ,दलित,पिछड़े आदिवासी हों वे सब संघी चितपावनों की वजह से हमेशा नफ़रत के शिकार रहे हैं। मनुवादी मानसिकता और मनुस्मृति का अनुमोदन करने वाले लोग अगर मेल मिलाप की बात कह रहे हैं तो समझ लीजिए वे संघनीत  भाजपा के डूबने से चिंतित हैं क्योंकि आज़ादी के लगभग 65 साल बाद सत्ता का सुख उनसे छिनने के हालात बन रहे हैं।

यह भी देखा जा रहा है संघ और भाजपा के सम्बंधों में जो खटास पैदा हुई है उसकी वजह गुजरात लाबी का, संघ जो महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है उसकी उपेक्षा बताया जा रहा है।संघ प्रमुख के भांजे गडकरी की स्थिति भी ठीक नहीं है। उत्तर प्रदेश चुनाव में  यह बात खुलकर सामने आ गई थी जब साहिब जी को कुछ सभाओं तक ही जाने दिया गया।संघ का एजेंडा इसलिए योगी आदित्यनाथ तेजी से फालो करते हैं तथा प्रदेश में गुजरात की तरह मुस्लिमों को दबाने का काम कर रहे हैं। बुल्डोजर संस्कृति और अपराधियों को सरेआम शूट करना इसके उदाहरण हैं।संघ अन्य प्रदेशों  में यही चाहता है। राजस्थान में और मध्यप्रदेश में ऐसी कोशिशें हुईं किंतु उन जैसी कामयाबी नहीं मिल पाई। कहने का आशय यह है संघ अब गुजरात लाबी विहीन भाजपा चाहता है।

इसीलिए इस तरह के बयान और ज़िल्लत झेले लोगों तक पहुंचने की कोशिश हो रही हैं लेकिन इस बीच केंद्रीय भाजपा सरकार की बदौलत अवाम अब इनके इरादों को समझने लगा है। यहां तक कि इनकी टुकड़े टुकड़े गैंग के कथित हिंदुत्ववादी संगठन जिसके ज़रिए देश में साम्प्रदायिक सद्भाव और सौहार्द को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचाई गई है वे भी सकते में हैं समझ में नहीं आ रहा है कि किस तरह ऐसे लोगों के साथ काम करें।दो राहे पर खड़े ये भक्त अनमने मन से यह भी कह रहे हैं संघ का कोई भरोसा नहीं वे विजयादशमी पर जब प्रणव मुखर्जी का सम्मान कर सकते हैं तो सोनिया गांधी या किसी मुस्लिम नेता का भी उस मंच पर सम्मान कर सकते हैं जो हिंदुत्ववादियों की थाती है।यह भी चर्चाओं में है कि गुजरात लाबी को पराजित करने यदि वे कांग्रेस को समर्थन दे दें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।विदित हो,संघ कांग्रेस के शासन काल में ही पनपा है इसलिए यदि उनके सभी समीकरण यदि फेल होते हैं जनता दुत्कार देती है तो कांग्रेस का साथ देकर वे अपने बचत का इंतजाम कर सकते हैं।अब ये कांग्रेस को सोचना होगा कि इन फासिस्टवादी ताकतों से कैसे निपटना है।

कुल मिलाकर संघ और भाजपा दोनों का विश्वास जनता के बीच ख़त्म हो चुका है। ध्रुवीकरण की नीति भी फ्लाप हो रही है। मध्यप्रदेश में संघ के दुलारे मामा की बदहाल हालत देखकर संघ के विश्वसनीय लोगों ने जनहित पार्टी बनाकर भाजपा से खिसक रही वोटों को पाने की चेष्टा कर रही है देखना है यह छलावा लोग समझ पाते हैं या नहीं।यदि इस चुनाव में उन्हें कामयाबी मिलती है जिसकी उम्मीद बहुत कम है तो वे 2024 के आमचुनाव में भाजपा की जगह नाम परिवर्तन कर जनहित पार्टी से सामने आ सकते हैं। लेकिन यह दूर की कौड़ी है ।अभी तो संघ प्रमुख के बयानों से भाजपा और कथित हिंदुत्ववादी ताकतें परेशां है।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें