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मध्य प्रदेश को चुनावी प्रयोगशाला बना रही BJP

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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की ऐसी सूची जारी कि जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चा शुरू हो गई। बीजेपी की दूसरी सूची में कई नाम ऐसे हैं जिनको देखकर कई लोग हैरान हैं। एमपी चुनाव के लिए बीजेपी कोई ऐसा प्रयोग करेगी इसकी उम्मीद काफी कम थी। भारतीय जनता पार्टी की ओर से जो लिस्ट जारी हुई है उसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों के नाम हैं। ऐसे में सवाल है कि बीजेपी एक साथ इतने दिग्गजों को चुनाव मैदान में क्यों उतार रही है। नाम सामने आने के बाद कांग्रेस की ओर से हमला शुरू है और कहा जा रहा है कि विदाई तय है। वहीं बीजेपी के भीतर कई लोगों का मानना है कि यह मोदी-शाह का मास्टर स्ट्रोक है। हालांकि इस लिस्ट को देखें तो ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं इसमें लोकसभा चुनाव के लिए भी प्रयोग है। इस लिस्ट को देखकर राजस्थान के लिए भी चर्चा शुरू हो गई।

केंद्रीय मंत्री और सांसदों के नाम इस लिस्ट में क्यों?

सबसे अधिक चर्चा 3 केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव लड़ाने की है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम शामिल है। इन केंद्रीय मंत्रियों के अलावा चार और सांसदों को पार्टी ने इस बार टिकट दिया है। इस लिस्ट में जिन सांसदों का नाम शामिल है उसमें जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सीधी से रीति पाठक और सतना से गणेश सिंह का नाम शामिल है। हालांकि अभी तक सिर्फ दो ही लिस्ट आई है। चर्चा है कि आने वाली लिस्ट में कुछ और मौजूदा सांसदों के नाम भी हो सकते हैं। वहीं इस लिस्ट के आने के बाद सबसे अधिक चर्चा इस बात कि है कि क्या लोकसभा चुनाव में इन्हें मौका नहीं मिलेगा। यह सवाल बड़ा है लेकिन उससे पहले इन सांसदों के सामने एक बड़ी चुनौती भी है। चर्चा ऐसी है कि इनमें से कई एक ही सीट से कई बार से सांसद हैं और एंटी इनकंबेंसी का भी डर है।

एक साथ दो मोर्चों पर है बीजेपी की तैयारी
जिन सीटों पर इन सांसदों को उतारा गया है वह पार्टी के लिए आसान नहीं। ऐसा नहीं है कि केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के उतरने का मतलब जीत की गारंटी। इनमें से कुछ सीटें तो ऐसी हैं जो कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं। ऐसे में बीजेपी आसानी से इन सीटों को हाथ से नहीं जाने देना चाहती। इनमें से कई सांसद ऐसे हैं जो एक ही सीट पर चार- पांच बार के सांसद हैं। चाहें नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल,फग्गन सिंह कुलस्ते या राकेश सिंह। ये सभी कई बार से एक ही सीट से सांसद हैं। लगातार कई बार सांसद रहने की वजह से एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी रहता है वहीं पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि बीजेपी इस बार लोकसभा चुनाव में कई नए चेहरों को उतार सकती है। ऐसे में सवाल है कि क्या वह प्रयोग मध्य प्रदेश से शुरू हो गया है।


राजस्थान में भी क्या पार्टी कर सकती है प्रयोग

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की जो लिस्ट जारी हुई है उसकी चर्चा मध्य प्रदेश के बाद सबसे अधिक राजस्थान में हो रही है। माना जा रहा है कि एमपी वाले प्रयोग का असर अभी से ही राजस्थान में दिखाई देने लगा है। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी यहां भी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। मध्य प्रदेश के लिए अभी तक दो लिस्ट प्रत्याशियों की आई है और अब तक शिवराज सिंह चौहान का नाम इस लिस्ट में नहीं है। एमपी और राजस्थान में क्या किसी चेहरे के साथ पार्टी आगे बढ़ेगी यह भी फिलहाल तय नहीं है। यूपी चुनाव को यदि उदाहरण के तौर पर देखें तो यहां योगी आदित्यनाथ का नाम पार्टी की ओर से जारी पहली लिस्ट में था। अब सवाल है कि क्या पार्टी इसको लेकर भी कोई प्रयोग करने जा रही है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने फैसले से चौंका सकती है
हर सरकार को किसी न किसी स्तर पर एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ता और इसके असर को कम करने के लिए लिए राजनीतिक दल अपने तरीके से अलग-अलग कदम उठाते हैं। याद होगा दिल्ली एमसीडी का इससे पहले वाला चुनाव जब यह फैसला हुआ कि किसी मौजूदा पार्षद को दोबार टिकट नहीं मिलेगा। इसका फायदा भी हुआ। इसके साथ ही अलग-अलग पैमाना बनाकर दूसरे राज्यों में ऐसे प्रयोग हुए हैं। बीजेपी विधानसभा चुनावों के साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भी अपनी तैयारी तेज कर दी है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से मिलने वाली चुनौती के बीच बीजेपी अपने वर्तमान सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर फिर से इलेक्शन जीत सकने वाले सांसदों की लिस्ट तैयार करने में जुटी है। ऐसा कहा जा रहा है कि 65 से ज्यादा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं है ऐसे में एंटीइनकंबेंसी से बचने के लिए बीजेपी इन सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल सकती है। वहीं कुछ सांसद ऐसे हैं जिनकी उम्र अधिक है उनका भी टिकट कट सकता है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कई चौंकाने वाले फैसले हुए हैं और माना जा रहा है कि 2024 में एक बार फिर मोदी अपने फैसले से चौंका सकते हैं।

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