अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

*जरूरी है स्वतन्त्र पत्रकारिता पर सत्ता के आतंक का विरोध*

Share

      ~ जूली सचदेवा 

 दिल्ली पुलिस और उसकी स्पेशल सेल शाखा ने एक साथ न्यूज़क्लिक के कई पत्रकारों के घर छापा मारा। इसमें न्यूज़क्लिक के सम्पादक प्रबीर, लेखक गीता हरिहरन के साथ-साथ वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह, अभिसार शर्मा, सोहेल हाशमी जैसे कई अन्य नाम शामिल हैं।

      यह पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इससे पहले भी कई अन्य स्वतन्त्र न्यूज़ चैनलों पर पुलिस ने अपनी दबिश दी है।

छापे के दौरान स्पेशल सेल ने इन पत्रकारों के घर से इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे लैपटॉप और मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिया है। बताया जा रहा है कि कई पत्रकारों और न्यूज़ चैनलों (जो मोदी सरकार के भोंपू नहीं हैं) पर UAPA के तहत केस दर्ज़ किया गया है।

    फण्डिंग की जाँच के नाम पर पिछले 9 सालों में मीडिया की स्वतन्त्रता पर हमले अभूतपूर्व रूप से बढ़े हैं। न्यूज़लॉन्ड्री पर 2014 में रेड डाली गई थी, वहीं 2021 में न्यूज़क्लिक के दफ़्तर पर छापा पड़ा था और इस बीच कितने ही पत्रकारों पर झूठे मुकदमे डाल कर उन्हें डराने-धमकाने और चुप कराने का काम किया जा रहा है। 

आम जनता के मुद्दों को उठाने वाले चैनलों और न्यूज़ पोर्टल्स पर कभी आयकर विभाग का छापा तो कभी स्पेशल सेल का छापा, फ़ासीवादी मोदी सरकार के डर और बौखलाहट के अलावा कुछ और नहीं है!

     गोदी मीडिया के अलावा बाकी सभी मीडिया हाउस फ़ासिस्टों की आँखों में काँटे की तरह चुभ रहें हैं। हम जानते हैं कि पूँजीवादी मीडिया, जिसे वैसे तो पूँजीवादी जनतन्त्र का चौथा खम्भा कहा जाता है, आज सार्विक तौर पर नंगा हो चुका है।

      गोदी मीडिया या दूसरे शब्दों में मोदी मीडिया का काम आज सिर्फ़ झूठी ख़बरें दिखाना, फूहड़ विज्ञापन चलाना और साम्प्रदायिक- अन्धराष्ट्रवादी उन्माद फैलाना रह गया है। मुख्यधारा मीडिया के ज़रिये आज फ़ासीवादी मोदी सरकार बड़े ही सुनियोजित तरीके से लोगों के दिमाग में ज़हर घोलने का काम कर रही है।

       साम्प्रदायिकता, उन्माद और अन्धराष्ट्रवाद के प्रचार के ज़रिये ये आम जनता की ज़िन्दगी के भौतिक और आर्थिक प्रश्नों को गोल कर जाते हैं और इनके इस एजेण्डे के ख़िलाफ़ बोलने वाली हर आवाज़ इनके राह में बाधा पैदा करने का काम कर रही है।

 पिछले कुछ दिनों में जनता के एक बड़े हिस्से ने गोदी मीडिया की असलियत को समझा है जिसकी वज़ह से कई जगहों पर इन्हें बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।

     आज कुछ गिने-चुने स्वतन्त्र मीडिया चैनल हैं जो यूट्यूब और अलग–अलग सोशल साइटों के ज़रिये इस फ़ासीवादी सरकार की सच्चाई को बयाँ करते हैं। इनपर हमला अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है।

     आज न्यूज़क्लिक व अन्य मीडिया चैनलों व उनके पत्रकारों पर हमले के ख़िलाफ़ हमें पुरजोर तरीके से अपनी आवाज़ उठानी होगी नहीं तो कल यह हर उस व्यक्ति के घर तक पहुँचेंगे जो सच बोलता है और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।

     इन घटनाओं पर सड़कों पर उतर के अपनी आवाज़ उठाने के साथ ही हमें फ़ासीवादियों के समूचे सांस्कृतिक व राजनीतिक प्रचार के मूल पर क़दम-ब-क़दम हमला करना होगा और उनकी असलियत को जनता के सामने स्पष्ट करना होगा। तभी  सरकार के जनविरोधी इरादों को नाक़ामयाब किया जा सकता है। (चेतना विकास मिशन).

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें