भोपाल. इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व चंद्रग्रहण के साए में मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा पर lunar eclipse चंद्रग्रहण रहेगा, जो भारतवर्ष में दिखाई देगा। चंद्रग्रहण मध्यरात्रि में पड़ेगा और इसका सूतक दोपहर बाद से ही प्रारंभ हो जाएगा। ऐसे में Sharad Purnima शरद पूर्णिमा पर पूजा अर्चना सहित अन्य कार्यक्रम दिन में ही आयोजित किए जाएंगे, वहीं चंद्रमा की शीतल रोशनी में बनने वाली खीर भी इस बार ग्रहण के कारण मध्यरात्रि में नहीं बन पाएगी। ऐसे में ग्रहण समाप्ति के बाद ही खीर बना सकेंगे। इस माह दो प्रमुख पर्वेां पर ग्रहण पडऩे जा रहे हैं। सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहेगा, जबकि शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण रहेगा। सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए हमारे यहां न तो इसका कोई सूतक मान्य होगा और न ही कोई दोष लगेगा, इसलिए पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन निर्विघ्र्न होंगे, इसी प्रकार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगेगा, जो भारतवर्ष में दिखाई देगा। इस ग्रहण का सूतक दोपहर बाद से प्रारंभ होगा जो मध्यरात्रि के बाद तक रहेगा। ऐसे में इस दिन रात्रि में मंदिरों के पट बंद रहेंगे, मंदिरों में भजन कीर्तन तो होंगे, लेकिन खीर का भोग नहीं लगेगा।
कई मंदिरों में एक दिन पहले होगा आयोजन
Sharad Purnima शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के चलते कई मंदिरों में शरदोत्सव के आयोजन एक दिन पहले ही किए जाएंगे। शहर के बांके बिहारी मार्कंडेय मंदिर के पं. रामनारायण आचार्य ने बताया कि ग्रहण के चलते मंदिर में एक दिन पहले ही शरदोत्सव होगा और भगवान को खीर का भोग लगाया जाएगा। इसी प्रकार श्रीजी मंदिर लखेरापुरा के पं.श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मंदिर में एक दिन पहले ही शरदोत्सव मनाया जाएगा।
9 साल बाद शरद पूर्णिमा पर ग्रहण
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम का कहना है कि 2014 में भी शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण पड़ा था, लेकिन इस दौरान वह चंद्रग्रहण विदेशों में ही दिखाई दिया था, भारत में उसका प्रभाव नहीं था। यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर होगा। ग्रहण का प्रारंभ ईशान कोण से होगा और मोक्ष चंद्रमा के अग्नि कोण पर होगा। ग्रहणमाला ग्रंथ के अनुसार एक पखवाड़े में दो ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं।