भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता कभी भी लागू हो सकती है। इस बीच, कांग्रेस के लिए बुरी खबर आई है। आगर मालवा से कांग्रेस विधायक विपिन वानखेड़े सहित युवा कांग्रेस के 6 नेताओं को एक-एक साल की कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उन सभी पर अर्थदंड भी लगाया गया है। यह सजा भोपाल की विशेष एमपी-एमएल कोर्ट ने सुनाई है।
विधायकों और सांसदों के मामलों की सुनवाई के लिए अलग से अदालत गठित की गई हैं। इस कोर्ट के जज ने ही विधायक विपिन वानखेड़े, कांग्रेस यूथ विंग के मीडिया प्रमुख विवके त्रिपाठी, विकास नंदवाना, महक नागर, संजय वर्मा और गौरव उइके को सजा सुनाई है।
विधायक वानखेड़े की बढ़ सकती है मुश्किलें
विपिन को आगर मालवा से टिकट दिया जाना है, क्या अब वे चुनाव लड़ पाएंगे? यह भी सवाल उठने लगे हैं। आपको बता दें कि जिस मामले में नेताओं को सजा सुनाई गई है वह करीब 12 साल पुराना है। वर्ष 2011 में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। तब प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव नहीं हो रहे थे। युवा नेता चाहते थे कि चुनाव कराए जाएं। इसी बात पर आपत्ति लेते हुए युवा कांग्रेस ने विधानसभा घेराव की चेतावनी दी थी।
विपिन वानखेड़े युवा कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी थे। उनके ही नेतृत्व में विधानसभा का घेराव किया जाना था। पुलिस के अनुसार जब युवा कांग्रेस के नेता घेराव करने जा रहे थे, तभी इन युवाअ नेताओं ने पुलिस पर पत्थर फेंकने, पुलिस की गाड़ी को नुकसान पहुंचाया। इन आरोपों के चलते ही पुलिस ने इनपर एफआईआर दर्ज की थी। अब 12 साल पर इन नेताओं को सजा सुना दी गई है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यह सजा एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश जयंत जैन ने सुनाई है।
हाल ही में चर्चा में आए थे विधायक
विधायक विपिन वानखेड़े पर हाल ही में आगर मालवा में जन आशीर्वाद यात्रा का विरोध करने के आरोप लगे थे। कुछ हफ्ते पहले वानखेड़े को आगर कोतवाली पुलिस ने हिरासत में लिया था। विधायक ने पहले ही बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा का विरोध किए जाने की चेतावनी दी थी। उसके बाद एतिहात के तौर पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर कोतवाली थाने में नजरबंद किया था।
चुनाव पर संकट नहीं
आपको बता दें कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 में दोषी नेताओं, सांसदों और विधायकों को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रावधान किया गया है। अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि सामान्य अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने वाले किसी भी विधायिका सदस्य को यदि 2 वर्ष से अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो उसे दोषी ठहराए जाने की तिथि से आयोग्य माना जाएगा। लेकिन विपिन वानखेड़े को एक वर्ष ही सजा सुनाई गई है, ऐसे में उनके चुनाव लड़ने पर कोई खतरा नहीं है।